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अपनी जाति सार्वजनिक कर कैसा लगा
आरसीपी ने लिखा है- नीतीश बाबू, बिहार से अभी दो महत्वपूर्ण खबरें आई हैं। एक खबर जातीय गणना से संबंधित है। बख्तियारपुर पहुंच कर अपने अपनी जाति सार्वजनिक की। कैसा लगा नीतीश बाबू, अपनी जाति के बारे में अपने मुख से बखान करने में? जरा सोचिए, डॉ. लोहिया जी को कैसा लगा होगा? आप भूल गए कि डॉ. लोहिया जाति तोड़ो अभियान चलाते थे। खैर, लोहिया जी के विचारों से अब आपको क्या लेना-देना? उनके विचारों और सिद्धांतों को तो आप पहले ही दफना चुके हैं। मुझे अच्छा लगता नीतीश बाबू, अगर आप अपनी जन्मस्थली बख्तियारपुर से बिहार के युवा-युवतियों को रोजगार देने के कार्यक्रम की शुरुआता करते। खैर, आपको युवक-युवतियों के भविष्य से क्या लेना-देना ?
कुर्सी सुरक्षित रखना ही आपका लक्ष्य
कैसे आपकी कुर्सी सुरक्षित रहे, यही आपका एकमात्र लक्ष्य है। दूसरी खबर मोतीहारी से आ रही है। बताया जा रहा है कि जहरीली शराब से के सेवन से कई लोगों की मौत हो चुकी है। नीतीश बाबू, इसके लिए कौन जिम्मेवार है ? जब से बिहार में शराबबंदी की नीति आपने लागू की तब से जहरीली शराब पीने से कितने लोगों की मौत हुई है, इससे आपको क्या लेना-देना? आप तो इतने संवेदनहीन हो गए हैं कि कुछ दिनों पूर्व आप ने बयान दिया था कि जो पीयेगा, वो मरेगा। पानी पीने से मौत नहीं हुई है नीतीश बाबू। मौतें हुई हैं शराब पीने से। आप तो सहमत नहीं होंगे, लेकिन बिहार के सभी लोग इस बात को समझते हैं कि शराबबंदी की आपकी नीति पूर्ण रूप से विफल रही है।
बिहार में फल-फूल रहा शराब का धंधा
ये जगजाहिर है कि अवैध शराब का करोबार पूरे बिहार में तेजी से फूला फला है। अवैध शराब के उत्पादन एवं बिक्री पर आप रोक लगाने में नाकाम रहे हैं। बिहार की अदालतों में सबसे ज्यादा मुकदमे या तो भूमि विवाद से हैं या शराब के। ग्रामीण इलाकों के कमजोर तबके के लोग अदालतों का चक्कर काट रहे हैं।
गरीबों की परेशानी के बारे में कभी सोचा है ?
नीतीश बाबू, आपने कभी सोचा कि अदालतों के चक्कर काटने में गरीब लोगों को कितनी परेशानियों को झेलना पड़ता है। उनके उपर किस प्रकार का आर्थिक बोझ आ जाता है। प्रदेश को राजस्व का जो नुकसान हो रहा ह, उसकी तो आपको चिंता ही नहीं है। ऐसा अनुमान है कि अगर शराबबंदी अभी लागू नहीं रहती तो आबकारी से 20 हजार करोड़ से ज्यादा की आय प्रति वर्ष बिहार सरकार की होती। बिहार जैसे आर्थिक रूप से कमजोर प्रदेश को कितना बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है।
आपको इससे क्या लेना-देना है नीतीश बाबू
बिहार जैसे आर्थिक रूप से कमजोर प्रदेश को कितना बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है। आपको इससे क्या लेना-देना ? शराब के अवैध कारोबारी मालामाल है। जनता हाल बेहाल है। शराबबंदी से गरीब त्रस्त हैं और आप मस्त हैं। जातिवाद जिंदाबाद ! शराबबंदी जिंदाबाद ! कुर्सीवाद जिंदाबाद !
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