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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने चेम्बर में विधायकों से बातचीत के दौरान सलाह देते हुए कहा कि अल्पसंख्यक समाज के लोगों को एआईएमआईएम की रणनीति के बारे में बताइए, नहीं तो आगे बहुत दिक्कत होगी। उन्होंने यहां तक कहा कि एआईएमआईएम बीजेपी के इशारे पर काम कर रही है।
गोपालगंज, कुढ़नी उपचुनाव में AIMIM के चलते हारा महागठबंधन
इसमें कोई शक नहीं कि नीतीश कुमार राजनीति के माहिर खिलाड़ी हैं और हाल के उप चुनावों में जिस तरह परिणाम सामने आए हैं, उससे महागठबंधन को चिंतित होना लाजमी है। गोपालगंज में हुए उप चुनाव में एआईएमआईएम उम्मीदवार को 12,000 से अधिक वोट मिले थे, जबकि कुढ़नी में इस पार्टी को करीब 3200 मत मिले। महागठबंधन के प्रत्याशी को इन दिनों उप चुनावों में छोटे अंतर से हार का सामना करना पड़ा है।
‘मुसलमानों के वोट कटने का सीधा नुकसान महागठबंधन को’
महागठबंधन में शामिल राजद का वोट बैंक मुस्लिम, यादव समीकरण को माना जाता है। ऐसे में कहा जाता है कि मुसलमानों के वोट कटने का सीधा नुकसान महागठबंधन को ही होगा। बिहार की राजनीति के जानकार अजय कुमार भी कहते हैं कि इसमें कोई शक नहीं कि एआईएमआईएम के बिहार में आने का नुकसान महागठबंधन को ही उठाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि सीमांचल की अधिकांश सीटों पर मुस्लिम मतदाता चुनाव परिणाम को प्रभावित करते हैं।
वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम ने मुस्लिम बहुल सीमांचल में पांच सीटें जीतकर अपनी ताकत का एहसास अन्य दलों को करा दिया है। हालांकि एआईएमआईएम के चार विधायक बाद में राजद में शामिल हो गए।
पूरे बिहार में अपना जनाधार बढ़ाने में जुटी है AIMIM: अख्तरुल इमाम
वैसे, एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल इमाम कहते हैं कि कोई भी पार्टी अपने विस्तार को लेकर सचेत है। नीतीश कुमार तो वर्षों तक बीजेपी के ही साथ रहे हैं। आज भी वे भले महागठबंधन में हैं लेकिन विधानसभा चुनाव में वे बीजेपी के ही साथ थे। उन्होंने कहा कि एआईएमआईएम पूरे बिहार में अपना जनाधार बढ़ाने में जुटी है।
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