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पिछड़ा-अतिपिछड़ा समाज से माफी मांगे बीजेपी- JDU
जनता दल यूनाइटेड के प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक झा और अनुप्रिया का कहना है कि बिहार में नगर निकाय चुनाव शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो चुका है। इससे साबित होता है कि बीजेपी की ओर से फैलाए गए झूठ, अफवाह और जनता को गुमराह करने के कुत्सित प्रयासों पर जनता ने पानी फेर दिया। बीजेपी को अब बिहार के पिछड़ा और अतिपिछड़ा समाज से माफी मांगनी चाहिए। जदयू प्रवक्ता अभिषेक झा ने ये भी सवाल उठाया कि क्या अब बीजेपी उत्तर प्रदेश में इलाहबाद हाईकोर्ट की ओर से निकाय चुनाव में आरक्षण को लेकर लगाए गए रोक पर भी उतना ही हाय-तौबा मचाएगी? इसका जवाब बीजेपी की ओर से ना में ही आएगा क्योंकि, उनका अतिपिछड़ा आरक्षण को लेकर दोहरे चरित्र का इतिहास बहुत पुराना है।
‘गुजरात में भी बिना ट्रिपल टेस्ट के हुए थे निकाय चुनाव’
अभिषेक झा की मानें तो 4 मार्च 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने पिछड़ा आयोग बनाकर ट्रिपल टेस्ट कराने का निर्देश दिया था। इसके बावजूद अक्टूबर 2021 में गुजरात के गांधीनगर में बगैर ट्रिपल टेस्ट के निकाय चुनाव हुए। इसके साथ गुजरात में ही दिसंबर 2021 में पंचायत चुनाव भी बिना ट्रिपल टेस्ट के ही कराए गए। बिहार में भी जब सितंबर 2021 में बिना ट्रिपल टेस्ट के पंचायत चुनाव कराए गए तो उस समय भी भाजपा ने मुंह पर पट्टी बांध ली थी। बिहार सरकार की ओर से कमीशन बनाकर 41 दिनों में रिपोर्ट सौंपने पर सवाल उठाया गया था। ऐसे में BJP को बताना चाहिए कि मध्य प्रदेश में गौरीशंकर बिसेन को डेडिकेटेड कमीशन का चेयरमैन कैसे बनाया गया? उन्होंने महज दो दिनों में न्यायालय को रिपोर्ट कैसे सौंप दी? बीजेपी बताए कि क्या मध्य प्रदेश सरकार की ओर से सौंपे गए रिपोर्ट की प्रामाणिकता पर हाईकोर्ट ने भी सवाल नहीं उठाए हैं?
जातीय जनगणना ही समस्या का एकमात्र हल: JDU
JDU के मुताबिक देश में पिछड़ों और अतिपिछड़ों के आरक्षण संबंधी सभी समस्याओं का एकमात्र हल जातिगत जनगणना है। यही कारण है कि देश में बने सभी पिछड़े आयोगों ने अपने रिपोर्ट में एक सुर में जातीय आकंड़ों की कमी को सबसे बड़ी समस्या बताया है। अभिषेक झा ने कहा कि हमारे नेता नीतीश कुमार ने इस विषय को गंभीरता से समझा है। कुछ ही महीनों में बिहार सफल रूप से जातिगत जनगणना करनेवाला वाला देश का पहला राज्य होगा। जदयू की ओर से ये भी मांग की गई है कि इस तरह की जनगणना पूरे देश में होने चाहिए। इन संबंध में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कई बार केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार से पहले भी आग्रह किया है और आज फिर से अनुरोध कर रहे हैं। अगर बीजेपी पिछड़ा-अतिपिछड़ा विरोधी नहीं है तो अब भी विलंब नहीं हुआ है। नरेंद्र मोदी की सरकार पूरे देश में जातीय जनगणना कराने की घोषणा करे।
लालू के दबाव में जातिगत जनगणना करवा रहे नीतीश?- बीजेपी
जातीय जनगणना पर जदयू के आरोपों पर बीजेपी ने पलटवार किया है। बीजेपी के पूर्व विधायक और प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा कि जातीय जनगणना कराने में नीतीश कुमार आखिर देरी क्यों कर रहे हैं? क्या नीतीश कुमार, लालू प्रसाद यादव के दबाव में जातीय जनगणना नहीं करा रहे है? प्रेम रंजन पटेल ने कहा कि सभी को ये याद है कि लालू प्रसाद यादव ने बिना आरक्षण दिए ही पंचायत का चुनाव कराया था। लेकिन एनडीए की सरकार ने लालू प्रसाद यादव के जंगल राज को 2005 में उखाड़ फेंका। बीजेपी ने नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाया। फिर 2006 में एनडीए के शासनकाल में ही पंचायत चुनाव में अतिपिछड़ा को आरक्षण दिया गया। बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि दरअसल, लालू यादव सिर्फ अतिपिछड़ा को सब्जबाग दिखाकर उनका वोट हासिल करते थे। उनके उत्थान के लिए कोई काम नहीं करते थे। अब नीतीश कुमार उसी लालू यादव के साथ मिलकर सरकार चला रहे हैं। इसलिए जनता दल यूनाइटेड को इस सवाल का जवाब देना चाहिए कि क्या नीतीश कुमार वास्तव में लालू प्रसाद यादव के दबाव में जातीय जनगणना नहीं करा रहे?
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