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संविदा शिक्षकों ने प्रतिरोध दिवस मनाया
श्रमिक दिवस (1 मई) को राज्य भर के शिक्षकों ने नयी शिक्षक नियुक्ति नियमावली का विरोध किया। यह संविदा शिक्षकों का सांकेतिक विरोध था। आंदोलन के अगले कदम की रूपरेखा शिक्षक संघ तय करेगा। महागठबंधन सरकार में शामिल वाम दलों के नेताओं ने भी नियुक्ति नियमावली पर घोर आपत्ति जताई है। वाम नेताओं का प्रतिनिधिमंडल सीएम और डेप्युटी सीएम से मिल कर अपनी आपत्ति दर्ज कराएगा।
सरकार में शामिल लेफ्ट लीडर्स हैं नाराज
महागठबंधन सरकार में शामिल सीपीआई, सीपीएम और भाकपा (माले) जैसे वाम दलों की बैठक के बाद नेताओं ने साझा बयान जारी कर नई शिक्षक नियमावली पर के प्रावधानों पर कड़ी आपत्ति जताई। वाम दलों का कहना है कि बिहार शिक्षक नियुक्ति नियमावली- 2023 में वर्षों से कार्यरत नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देने का फैसला तो अच्छा है, लेकिन इस नियमावली में राज्यकर्मी का दर्जा देने की शर्त टेढ़ी है। इसके लिए बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षा पास करने की शर्त जोड़ी गई है। इससे बिहार के लाखों नियोजित शिक्षक भयभीत हैं।
सरकारी मानक के अनुरूप बहाल हैं शिक्षक
वाम दलों का कहना है कि नियोजित शिक्षकों ने सरकार के सभी प्रकार के कार्यों का सुचारू ढंग से संपादन किया है। बिहार की शैक्षणिक व्यवस्था मजबूत करने में इनके योगदान को नकारा नहीं जा सकता। वाम दलों की मांग है कि सभी नियोजित शिक्षकों को बिना किसी परीक्षा के सीधे राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाए। यह महागठबंधन के 2020 के घोषमा पत्र के अनुरूप होगा। नई शिक्षक नियमावली पर शिक्षक संगठनों और अभ्यर्थियों की आपत्तियों पर सीएम नीतीश कुमार और डेप्युटी सीएम तेजस्वी यादव को संज्ञान लेना चाहिए। नियोजित शिक्षकों ने 17 साल इंतजार किया है।
अभ्यर्थियों को वेतन और परीक्षा पर आपत्ति
सरकार तीन लाख शिक्षकों की नियुक्ति की तैयारी में लग गई है। इसके लिए शिक्षक अभ्यर्थी को सबसे पहले शिक्षक प्रशिक्षण की परीक्षा पास करनी होगी। उसके बाद टीईटी या सीटीईटी की परीक्षा उत्तीर्ण करना जरूरी होगा। फिर बिहार लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास करनी होगी। इसके लिए भी अभ्यर्थी को तीन मौके ही मिलेंगे। इतना सब करने के बाद अभ्यर्थी सरकारी शिक्षक का दर्जा तो प्राप्त कर लेगा, लेकिन उसका वेतनमान 40 हजार से 50 हजार के बीच ही होगा। जो शिक्षक बनने का सपना देख रहे थे, उन्हें सरकार की इस नियमावली से गहरा धक्का लगा है।
अभ्यर्थियों व संविदा शिक्षकों के साथ मजाक
बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा का कहना है कि सरकार शिक्षक अभ्यर्थियों और नियोजित शिक्षकों के साथ खिलवाड़ बंद करे। उन्होंने नियोजित शिक्षकों के द्वारा नयी शिक्षा नियमावली के विरोध में प्रदर्शन को अपना नैतिक समर्थन दिया है। उन्होंने कहा है कि सरकार को नियोजित शिक्षकों और पात्रता परीक्षा पास अभ्यर्थियों की सीधी नियुक्ति करनी चाहिए। राज्य सरकार इनकी नियुक्ति के बाद बाकी बचे पदों पर नियुक्ति के लिए बिहार लोक सेवा आयोग को अधियाचना भेजे। शिक्षक के लाखों पद पर रिक्तियों को लेकर उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने 2020 के चुनाव में सीधी नियुक्ति का वादा भी किया था। अब जब इनके दल के मंत्री के पास शिक्षा विभाग है तो ये अपने वादे से मुकर गए हैं।
बीपीएससी को मिली जिम्मेदारी
नई शिक्षक नियुक्ति नियमावली के तहत बिहार लोक सेवा आयोग को भार दिया जा रहा है। राज्य के लोग अच्छी तरह जानते हैं कि हाल तक आयोग की निष्पक्षता संदिग्ध रही है। पूर्व में इसके चेयरमैन जेल भी जा चुके हैं। 67वीं पीटी परीक्षा का भी पिछले साल प्रश्नपत्र लीक हुआ था। बीपीएससी वैसे भी हाल के दिनों में विवादों में रहा है। जानकारों को मानना है कि शैक्षणिक स्तर की बड़े स्तर पर होने वाली बहाली की तैयारी पूरी नहीं है। इसलिए इसमें भी जमकर धांधली होगी। इसमें सेटिंग करने वाले लोग पास हो जाएंगे। इतना ही नहीं कई लोग शिक्षकों से परीक्षा पास कराने के नाम पर वसूली शुरू कर देंगे। इससे पहले ही कई तरह की समस्या से शिक्षक जूझ रहे हैं। आपको बता दें कि बीपीएससी की विश्वसनीयता पर पहले से संकट है। बीपीएससी अपनी परीक्षा सही तरीके से नहीं ले पाता है।
रिपोर्ट- ओमप्रकाश अश्क
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