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जगदा बाबू से तेजस्वी ने कान में क्या कहा?
अब सवाल उठता है कि आखिर कौन-सा मसला था, जिसे तेजस्वी यादव चलते-चलते जगदानंद सिंह से कान में कहे? क्या उनको जगदा बाबू से कमरे में कहने की हिम्मत नहीं हुई? मीटिंग के दौरान इस मसले पर चर्चा क्यों नहीं की? या फिर बैठक के दौरान तेजस्वी को इस ‘जरूरी बात’ की याद नहीं आई? कहीं सुधाकर सिंह से जुड़ी बात तो नहीं थी? क्या सुधाकर सिंह को संभालने के लिए ‘मेसेज’ दिया? खैर, जब किसी ने सुना ही नहीं तो अनुमान ही लगाया जा सकता है। बेहतर तो तेजस्वी यादव और जगदानंद सिंह ही बता सकते हैं।
सुधाकर सिंह को लेकर हुई कान में बात?
वैसे, 2025 विधानसभा चुनाव को तेजस्वी यादव के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। नीतीश कुमार ने ये मेसेज सात पार्टियों (महागठबंधन) की बैठक में दी थी। मगर, चाचा-भतीजे के बीच में जगदा बाबू हैं। ऐसा कहा जाता है कि जगदानंद सिंह को नीतीश कुमार पसंद नहीं करते हैं। मगर लालू यादव चाहते हैं कि बिहार यूनिट की कमान उनके पुराने वफादार मित्र जगदा बाबू के पास ही रहे। जगदा बाबू को नीतीश कुमार तो फिर भी बर्दाश्त कर लें मगर उनके बेटे सुधाकर सिंह ने नाक में दम कर रखा है। जब मंत्री थे तब भी, और मंत्री पद से इस्तीफ देने के बाद भी। नीतीश कुमार की फ्लैगशिप कृषि रोडपैम की ही धज्जियां उड़ाते हैं। इससे सरकार की काफी फजीहत होती है।
सिर्फ अच्छी-अच्छी बातों के मूड में तेजस्वी?
बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पार्टी दफ्तर पहुंचे थे। लाव-लश्कर के साथ उनके ‘करीबी दोस्त’ भी मौजूद थे। तेजस्वी यादव के पार्टी ऑफिस आने से काफी गहमागहमी का माहौल था। आरजेडी सत्ता में है तो मीडियावालों का भी काफी जमावड़ा था। जब से तेजस्वी यादव डेप्युटी सीएम बने हैं, तब से नीतीश राज में उनको सबकुछ अच्छा दिखने लगा है। जहरीली शराब से दर्जनों लोगों की मौत भी दुखद घटना है। राज्य में सरकारी नौकरियों की बहार है। तेजस्वी यादव चाहते हैं कि लोग उनसे सिर्फ अच्छी-अच्छी बातें करें। अच्छे-अच्छे सवाल पूछे। मगर इन पत्रकारों को कौन समझाए? मुंह खोलते ही दुखद घटनाओं से जुड़े सवाल पूछ देते हैं। तेजस्वी यादव को लगता है कि बिहार को मीडियावाले बदनाम कर रहे हैं।
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