Home Bihar बिहार की सियासत का ‘प्ले स्कूल’ है पटना यूनिवर्सिटी, लालू-नीतीश हों या फिर सुशील मोदी…यहीं से सीखा राजनीतिक ककहरा

बिहार की सियासत का ‘प्ले स्कूल’ है पटना यूनिवर्सिटी, लालू-नीतीश हों या फिर सुशील मोदी…यहीं से सीखा राजनीतिक ककहरा

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बिहार की सियासत का ‘प्ले स्कूल’ है पटना यूनिवर्सिटी, लालू-नीतीश हों या फिर सुशील मोदी…यहीं से सीखा राजनीतिक ककहरा

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Patna University Chhatra Sangh Chunav: पटना यूनिवर्सिटी छात्र संघ चुनाव को लेकर आज वोटिंग जारी है। कौन विजेता होगा और किसके सिर पर यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष का ताज सजेगा, इसका फैसला शाम तक में हो जाएगा। पटना यूनिवर्सिटी बिहार के सियासी नेताओं का पॉलिटिकल ‘प्ले स्कूल’ भी माना जाता है। PU छात्र संघ चुनाव से ही बिहार के कई कद्दावर नेताओं का देश की सियासत में प्रवेश हुआ। इसी पॉलिटिकल ‘प्ले स्कूल’ के सियासी प्रोडक्ट हैं आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव, बिहार के सीएम नीतीश कुमार और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी। PU की छात्र राजनीति से निकले बिहार के कई बड़े नेता सियासी फलक पर चमक रहे हैं।

लालू-नीतीश ही नहीं ये सियासी दिग्गज भी रह चुके हैं PU स्टूडेंट

-पु-

हम पटना यूनिवर्सिटी में 70 के दशक में हुए छात्र संघ चुनाव की बात कर रहे हैं। उस दौरान चुनाव में महासचिव के पद पर जीत दर्ज करने वाले लालू यादव आगे देश के बड़े राजनीतिज्ञ बन गए। पटना विश्वविद्यालय की छात्र राजनीति से कई बड़े नेता निकले हैं। जिनमें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी का नाम भी शामिल है। इनके अलावा रविशंकर प्रसाद, रामविलास पासवान और अश्विनी चौबे पटना विवि की छात्र संघ चुनाव से अपनी राजनीति शुरू की थी।

1917 में हुई थी पटना यूनिवर्सिटी की स्थापना

1917-

पटना विवि की स्थापना 1917 में अंग्रेजों ने की, जो देश का सातवां सबसे पुराना विश्वविद्यालय है। उस समय यूनिवर्सिटी का कार्यक्षेत्र नेपाल और उड़ीसा तक फैला था। पटना यूनिवर्सिटी में छात्र संघ की स्थापना 1956 में हुई। उस समय से लेकर 60 के दशक तक छात्र संघ के प्रतिनिधियों का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से होता था। उसके बाद 1968 के आस-पास यूनिवर्सिटी में प्रत्यक्ष चुनाव होने लगा।

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1973 में लालू यादव चुने गए छात्र संघ अध्यक्ष

1973-

1970 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी में रहे रामजतन सिन्हा अध्यक्ष पद के लिए चुने गए। 1973 में जब चुनाव हुआ, तो लालू यादव छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए। सुशील मोदी महासचिव और रविशंकर प्रसाद सहायक महासचिव बने। जिस समय लालू पटना यूनिवर्सिटी छात्र संघ के अध्यक्ष चुने जाते हैं उसी दौरान गुजरात सहित पूरे देश में छात्र असंतोष उभार पर होता है। छात्रों का नेतृत्व लोकनायक जयप्रकाश नारायण करते हैं और पहली बार लालू जेपी से जुड़ते हैं।

गौरवशाली रहा है अतीत

अस्सी का दशक छात्र संघ चुनाव के लिए बुरी खबर लेकर आया। 1984 आते-आते चुनाव में हिंसा का बोलबाला हो गया। उम्मीदवार खतरनाक हथियार के साथ प्रचार करने लगे। उसके बाद छात्र संघ चुनाव पर रोक लग गया। 1975 की जेपी की संपूर्ण क्रांति पटना यूनिवर्सिटी के कुछ नेताओं के लिए वरदान साबित हुई। इस क्रांति के जरिए लालू यादव, नीतीश कुमार और सुशील मोदी के साथ रविशंकर प्रसाद समेत सियासी दिग्गजों ने राजनीति की मुख्यधारा में प्रवेश किया।

पटना यूनिवर्सिटी से जुड़े रहे ये दिग्गज

इस विश्वविद्यालय से लोकनायक जयप्रकाश नारायण, अनुग्रह नारायण सिंह, विधानचंद्र राय और ललित नारायण मिश्र भी जुड़े रहे। साहित्य शिरोमणि राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर, पद्मश्री गायिका शारदा सिन्हा, बीजेपी नेता सीपी ठाकुर सहित महावीर मंदिर न्यास के प्रमुख किशोर कुणाल भी इसी यूनिवर्सिटी की देन हैं।

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