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रिपोर्ट-महमूद आलम
नालंदा. बिहार के छात्रों को अब एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा. क्योंकि नालंदा के चंडी स्थित नालंदा कॉलेज आफ इंजीनियरिंग (एनसीई) में अब एयरोनाटिकल इंजीनियरिग की पढ़ाई होगी. एई में एमटेक करने के लिए 60 सीटों की मंजूरी मिल गई है. यह बिहार का पहला इंजीनियरिग कालेज होगा, जहां एयरक्राफ्ट और स्पेसक्राफ्ट के डिजाइन और निर्माण से जुड़ी पढ़ाई शुरू होगी. एयरोनाटिकल इंजीनियरिग कोर्स की शुरुआत के लिए आर्यभट्ट नालेज यूनिवर्सिटी, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग तथा अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षण संस्थान (एआईसीटीई) से मान्यता मिल गई है.
देश का सातवां कॉलेज
देश में 6 इंजीनियरिग कॉलेजों में पहले से एयरोनाटिकल इंजीनियरिंग का कोर्स संचालित है. नालंदा कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग इस कोर्स का संचालन करने वाला देश का सातवां और बिहार का पहला कॉलेज होगा. जहां पहले से एयरोनाटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई हो रही है, उनमें इंडियन इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी (आईआईटी) कानपुर, मुम्बई, खड़गपुर, मद्रास, इंडियन इंस्टीट्यूट आफ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलाजी तिरुवनन्तपुरम एवं पंजाब इंजीनियरिग कॉलेज चंडीगढ़ के नाम शामिल हैं.
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इसमें करियर निर्माण की बेहतर संभावनाएं
एनसीई के प्राचार्य डॉ. राजन सरकार ने बताया कि एयरोनाटिकल इंजीनियरिग कोर्स में एयर क्राफ्ट को आपरेट करने की ट्रेनिग, फ्लाइट के पेबल मशीन की स्टडी, डिजाइन, मेंटेन्स से जुड़े सभी कार्यों की पढ़ाई होगी. उन्होंने कहा कि एयरोनाटिकल इंजीनियरिंग का क्षेत्र इंजीनियरिंग में सबसे चुनौतीपूर्ण माना जाता है. इसमें करियर निर्माण की बेहतर संभावनाएं हैं. बताया कि एनसीई में दो साल पूर्व पावर सिस्टम में एमटेक की पढ़ाई शुरू हुई थी. सबसे पहले एनबीए से पावर सिस्टम का कोर्स कराने को लेकर मान्यता मिली थी. पावर सिस्टम में कुल 30 सीट है.
2008 में खुला नालंदा कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग
आपको बता दें कि नालंदा कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग नालंदा के चंडी में स्थित है. यह एक सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज है. इसका उद्घाटन 19 नवंबर 2008 को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया था. यह आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय से संबद्ध है. यह विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत कार्यरत एक सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज है. यह 2008 में बिहार सरकार द्वारा स्थापित किया गया है. यह उस पवित्र भूमि पर स्थित है जहां भगवान बुद्ध ने ज्ञान का अनुभव किया था और भगवान वर्धमान महावीर ने निर्वाण ग्रहण किया था. यह प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की भूमि से संबंधित है. जहां दुनिया भर के छात्र बौद्ध धर्म का अध्ययन करेंगे. कॉलेज की चार शाखाएं थी. जिनमें कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग, सिविल इंजीनियरिंग, मैकेनिकल इंजीनियरिंग और इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग. इसके अलावा अब एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग बढ़ाया गया है.
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प्रथम प्रकाशित : 17 दिसंबर, 2022, दोपहर 2:35 बजे IST
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