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हाइलाइट्स
बिहार के महालेखाकार रमावतार शर्मा द्वारा जारी वर्ष 2018-20 की रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे सामने आए हैं
इस फर्जीवाड़े ने बिहार सरकार के अधिकारियों की पोल खोल कर रख दी है
सबसे ज्यादा फर्जीवाड़े खनन विभाग में सामने आए हैं.
पटना. बिहार में कभी स्कूटर से चारा और सांढ ढोए जाने को लेकर हंगामा बरपा था और आरोप लगा था तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव पर. लालू प्रसाद यादव चारा घोटाला मामले में वर्षों तक जेल में ही बंद रहे. अब जो अनोखा घोटाला प्रकाश में आया है वह भी हैरान कर देने वाला है. जी हां सीएजी रिपोर्ट में कुछ ऐसा ही खुलासा हुआ है. खुलासा ये है कि बिहार में कई लाख टन बालू बाइक, ई-रिक्शा, ऑटो और कार से ढो लिए गए.
बिहार के महालेखाकार रमावतार शर्मा ने वर्ष 2018-20 की रिपोर्ट जारी की जिसमें चौंकाने वाले खुलासे सामने आए. कुल 5 रिपोर्ट जारी किए गए जिसमें सबसे ज्यादा फर्जीवाड़े खनन विभाग में सामने आए. रिपोर्ट के मुताबिक राज्य के 14 जिलों में खनिज परिवहन के नाम पर कुल 2 लाख 43 हजार 811 ई चालान जनरेट किए गए और 46 हजार 935 वास्तविक वाहनों की पंजीकरण संख्या का फर्जी रूप से उपयोग किया गया. इस फर्जीवाड़े ने बिहार सरकार के अधिकारियों की पोल खोल कर रख दी है.
जरा फर्जीवाड़ा को समझिए बाइक से 6,44 हजार 140 टन बालू ढोए गए, वहीं कार से 86 हजार टन बालू ढोए गए जबकि ऑटो से 3 लाख 85 हजार टन बालू ढोए गए, वहीं ई-रिक्शा से 26000 टन बालू ढोए गए. इसके अलावा अवैध खनिजों के परिवहन में सरकार को 4.20 करोड़ का चूना लगा है. जिला खनन कार्यालय और परिवहन कार्यालय में समन्वय नहीं होने से राजस्व का नुकसान हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक कृषि प्रयोजनों के लिए वाणिज्यिक कार्यों में भी राजस्व का नुकसान हुआ है. पंजीकृत ट्रैक्टरों के अवैध उपयोग के कारण 12.77 करोड़ का राजस्व का नुकसान हुआ है.
आपके शहर से (पटना)
इसके अलावा राज्य के 14 जिलों में वर्ष 18-20 में अयोग्य वाहनों का उपयोग किया गया है. खनिज परिवहन में 82,990 अयोग्य वाहनों का उपयोग किया गया. सीएजी ने साफ तौर से इसे खान एवं भूतत्व विभाग की लापरवाही बताया क्योंकि जिला सर्वेक्षण प्रतिवेदन अधूरे रह गए और बिना सर्वेक्षण किए बंदोबस्त प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई थी, जिससे खनन विभाग को करोड़ों के राजस्व का नुकसान हुआ है.
जिला समाहर्ता भागलपुर ने बालू खनन नीति का उल्लंघन किया है और 9 बालू घाटों के पट्टे रद्द कर प्रतिभूति के 1.76 करोड़ रुपए वापस कर दिया था. हैरान करने वाली बात यह है कि सबसे अधिक बोली लगाने वाले को पट्टा की पेशकश तक नहीं की गई जिससे सरकार को 18.63 दिन करोड़ के राजस्व का नुकसान हुआ है. महालेखाकार की मानें तो बंदोबस्त राशि की गलत गणना से भी राजस्व का नुकसान हुआ है.
सात जिला खनन कार्यालय में भी 16.05 करोड़ के राजस्व की कम वसूली की गई है जबकि आठ जिलों में पट्टे के विलय का निष्पादन नहीं करने से राजस्व का नुकसान हुआ है. कुल 97.41 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है. 14 जिलों में अवैध रूप से संचालित 2926 ईंट भट्टों से 61.08 करोड़ की रॉयल्टी जुर्माना नहीं वसूले गए.
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प्रथम प्रकाशित : 16 दिसंबर, 2022, 22:24 IST
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