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बांका. बांका के किसानों को इनदिनों दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. शुरुआत में मौसम ने दगाबाजी की और अब कीट का प्रकोप ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है. इसको लेकर बांका के किसान काफी परेशान हैं. इस बार मानसून का साथ नहीं मिलने से जिले के 60 फीसदी खेतों में धान की रोपाई नहीं हो सकी.जिससे किसानों के खेत खाली रह गए. ऐसे में कुछ किसानों ने आगत यानि समय से पहले दलहन की बुआई कर दी. किसानों के लिए आगत रबी की बुआई परेशानी का सबब बन गया. दलहनी फसल में उकठा रोग लग जाने से किसान परेशान हैं. खासकर मसूर और चना की फसल में उकठा रोग लगने से पौधे मुरझाकर सूखने और मरने लगे हैं. इससे किसान काफी चिंतित हैं.
दलहनी फसल में उकठा रोग लगने से किसान परेशान
जिला कृषि कार्यलय के मिले आकड़ों के मुताबिक इस साल 4 हजार 819 हेक्टेयर में चना की बुआई की गई है, जबकि 3 हजार 159 हेक्टेयर में मसूर की बुआई की गई है. बुआई के बाद खेतों में फसल देखकर किसान खूश थे. लेकिन अब उकठा रोग ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी है. दलहनी फसलके पौधे की जड़ें सूख जा रही हैं. इससे पौधे भी सूख रहे हैं.
बांका के किसान मुरारी सिंह ने बताया कि उकठा रोग लगने से दलहन की फसल को काफी नुकसान हो रहा है. समय पर वर्षा नहीं होने के कारण धान की रोपाई नहीं हो सकी थी. इसके बाद दो एकड़ में चना की बुआई की थी. फसल काफी अच्छी थी, लेकिन अब पौधे मर रहे हैं. नीरज सिंह ने कहा कि हमने आगात मसूर की बुआई की है. बुआई के बाद फसल काफी अच्छी थी, लेकिन धीरे-धीरे खेतों में पौधे मरने लगे.
कृषि वैज्ञानिक ने फसल के उपचार का बताया तरीका
कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. रघुवर साहू ने बताया कि इस रोग से बचने के लिए संक्रमित पौधों को खेत से बाहर निकाल कर नष्ट कर दें. संक्रमित क्षेत्र में मसूर की खेती ना करें. बोआई से पहले प्रति किलोग्राम बीज को दस ग्राम ट्राइकोडर्मा विरिडी एक फीसद डब्ल्यूपी से उपचारित करें. इसके अलावे प्रति लीटर पानी में तीन ग्राम कापर आक्सीक्लोराइड मिलाकर छिड़काव करें. इसके साथ ही रोग के लक्षण दिखाई देने पर किसान कार्बोडाजिम 50 डब्ल्यूपी 0.2 फीसद घोल को पौधें की जड़ों में डालें.
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प्रथम प्रकाशित : 22 दिसंबर, 2022, 15:45 IST
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