Home Bihar बड़ी तैयारी: माता सीता की दुनिया की सबसे बड़ी प्रतिमा बनाएगी रामायण रिसर्च काउंसिल, गठित की गई समिति

बड़ी तैयारी: माता सीता की दुनिया की सबसे बड़ी प्रतिमा बनाएगी रामायण रिसर्च काउंसिल, गठित की गई समिति

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बड़ी तैयारी: माता सीता की दुनिया की सबसे बड़ी प्रतिमा बनाएगी रामायण रिसर्च काउंसिल, गठित की गई समिति

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रामायण रिसर्च काउंसिल ने माता सीता की विश्व की सबसे बड़ी प्रतिमा बनाने का संकल्प लिया है। यह जानकारी बिहार के सीतामढ़ी में काउंसिल की प्रेस वार्ता में दी गई। रिसर्च काउंसिल ने इसके लिए श्रीभगवती सीता तीर्थ क्षेत्र समिति का भी गठन कर दिया गया है। समिति का अध्यक्ष स्थानीय सासंद सुनील कुमार पिंटू को नियुक्त किया गया है।

सांसद पिंटू ने कहा कि इस काम के लिए हमें 10 एकड़ भूमि की जरूरत है। जल्द ही बातचीत करके स्थान का चयन कर लिया जाएगा। उन्होंने काउंसिल के मुख्य मार्गदर्शक परमहंस स्वामी सांदीपेंद्र महाराज (मध्यप्रदेश में नलखेड़ा स्थित बगलामुखी माता मंदिर प्रांगण के श्रीमहंत) को धन्यवाद कहते हुए सभी लोगों से इस कार्य से जुड़ने की अपील की।

उन्होंने कहा कि इस कार्य के समन्वय और क्रियान्वयन के लिए वित्त, नगर विकास, वन, पर्यावरण, पर्यटन व संस्कृति, लोक निर्माण, सिंचाई, ऊर्जा, औद्योगिक और आवास विभाग से एक-एक नोडल अधिकारी नामित करने का आग्रह भी किया जाएगा।

सांसद ने इस दौरान मां सीता डॉट कॉम वेबसाइट का शुभारंभ भी किया। उन्होंने कहा कि माता सीता की प्रतिमा के कार्य से संबंधित हर जानकारी समय-समय पर वेबसाइट पर उपलब्ध कराई जाएगी। ताकि, देश और पूरी दुनिया के लोगों को भी इस बारे में पता चलता रहे। 

काउंसिल के राष्ट्रीय समन्वयक और जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी वीरेंद्रानंद महाराज ने कहा कि प्रतिमा देश के सांस्कृतिक मूल्यों का संवर्धन करेगी। हम काउंसिल के जरिए पूरे विश्व में माता सीता के जीवन दर्शन का प्रसार कर भारत को विश्व गुरु बनाने में योगदान देंगे। माता सीता धैर्य-साहस की तब तक उदाहरण रहेंगी, जब तक यह धरती रहेगी।

कुछ ऐसी प्रतिमा बनाने की है योजना
काउंसिल के संस्थापक और महासचिव कुमार सुशांत ने बताया कि माता सीता की यह प्रतिमा 251 मीटर ऊंची होगी। इसके चारों और वृत्ताकार रूप में भगवती सीता की 108 प्रतिमाएं होंगी जो उनके जीवन दर्शन का वर्णन करेंगी। दर्शन के लिए स्थल को नौका विहार के तरीके से विकसित किया जाएगा। शोध संस्थान और अध्ययन केंद्र भी बनाया जाएगा।

इसके साथ ही यहां पर माता सीता के जीवन दर्शन पर आधारित एक डिजिटल संग्रहालय का निर्माण भी किया जाएगा। यहां रामायण के प्रमुख पात्रों की प्रतिमाएं भी स्थापित की जाएंगी। इसके अलावा इस स्थल पर इंटरप्रेटेशन सेंटर, पुस्तकालय, पार्किंग, फूड प्लाजा और पर्यटकों के लिए मूलभूत सुविधाओं को उपलब्ध कराने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

रामायण रिसर्च काउंसिल ट्रस्ट के रूप में पंजीकृत संस्था है जो भगवान श्रीराम के मानव कल्याणकारी संदेशों को प्रसारित करने का काम करती है। यह काउंसिल राम मंदिर संघर्ष पर पुस्तक लेखन का काम भी कर रही है। यह किताब 1108 पृष्ठों की है और हिंदी के साथ-साथ 10 अन्य अंतरराष्ट्रीय भाषाओं में इसके अनुवाद का काम भी चल रहा है।

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