[ad_1]
नीम के पेड़े के नीचे करते थे पढ़ाई
पंकज त्रिपाठी ने बताया कि बचपन में यहां पर स्कूल का अपना कोई भवन नहीं था। सिर्फ नीम का पेड़ था। और इसी पेड़ के नीचे वे यहां पर पढ़ाई करते थे। पंकज त्रिपाठी ने अपने बचपन के दिनों की जिक्र करते हुए कहा कि वे घर से जूट का बोरा लेकर आते थे। यहां खुले आसमान के नीचे फर्श पर बैठकर पढ़ाई करते थे। आज इसी स्कूल की बदौलत वे बॉलीवुड में लगातार कई सफल फिल्मों में अभिनय कर रहे हैं।
गांव का नाम रोशन कर रहे पंकज त्रिपाठी
पंकज त्रिपाठी ने कहा कि इस गांव की मिट्टी से निकलकर वे बॉलीवुड में अपना और अपने गांव का नाम रोशन कर रहे हैं। उनकी इच्छा है कि इस स्कूल के हालात को बदला जाए। इस स्कूल के भवन का जीर्णोद्धार पंकज त्रिपाठी के पिता के नाम से संचालित संस्था पंडित बनारसी तिवारी हेमंती देवी फाउंडेशन के द्वारा किया गया है।
स्कूल में सोलर सिस्टम से बिजली सप्लाई
स्कूल के चारदीवारी और कमरों का रंग रोगन किया गया है। उसका मरम्मती किया गया है। स्कूल में सोलर सिस्टम से बिजली सप्लाई की जा रही है। इसके अलावा सभी कमरों में पंखे और बच्चो को स्पोर्ट्स किट उपलब्ध कराए जा रहे है। पंकज त्रिपाठी ने बताया कि उनके अनुरोध पर बर्गर पेंट के मालिक के द्वारा इस स्कूल के चारदीवारी और पूरे भवन की पेंटिंग भी कराई गई है।
प्रतिभा का परिचय दें गांव के बच्चे
पंकज त्रिपाठी ने कहा कि वे चाहते हैं कि इस स्कूल के बच्चे भी अपने गांव और राज्य से बाहर निकल कर अपने प्रतिभा का परिचय दें। उन्होंने कहा कि गोपालगंज के डीएम के द्वारा कुछ महीने पूर्व गौरव ऐप का उद्घाटन किया गया था। इस ऐप के ही माध्यम से वे अपने गांव की मिट्टी से जुड़कर अपने गांव के स्कूल और गांव का विकास करना चाहते थे।
पंकज त्रिपाठी मिट्टी से जुड़े हुए अभिनेता हैं
इस मौके पर डीएम डॉ नवल किशोर चौधरी ने भी पंकज त्रिपाठी का आभार प्रकट किया। डीएम ने कहा कि पंकज त्रिपाठी मिट्टी से जुड़े हुए अभिनेता हैं। उनके बातों में गोपालगंज और बिहार की कल्चर यहां की भाषा और परंपरा झलकती है। डीएम ने कहा कि पंकज त्रिपाठी इस गांव के लिए कुछ करना चाहते हैं। पंकज त्रिपाठी ऐसे अभिनेता है जो गोपालगंज और बिहार के लिए बड़ी उपलब्धि है।
2023 में आएंगी सात फिल्में
पंकज त्रिपाठी ने बताया कि उनकी आने वाली 7 फिल्में हैं, जो 2023 में दर्शकों के बीच में आएंगी। लेकिन वे इस समय फिल्मों के बारे में बात नहीं करना चाहते हैं। सिर्फ अपने गांव के विकास और बच्चों के उज्जवल भविष्य को लेकर वे यहां पर आए हुए हैं।
[ad_2]
Source link