Home Bihar पेट में तरबूज जितना ट्यूमर, पटना तक होता रहा इलाज, आखिर में सीतामढ़ी के डॉक्टर से मिला जीवनदान

पेट में तरबूज जितना ट्यूमर, पटना तक होता रहा इलाज, आखिर में सीतामढ़ी के डॉक्टर से मिला जीवनदान

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पेट में तरबूज जितना ट्यूमर, पटना तक होता रहा इलाज, आखिर में सीतामढ़ी के डॉक्टर से मिला जीवनदान

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सीतामढ़ी: धरती के भगवान कहे जाने वाले सीतामढ़ी के डॉक्टरों की टीम ने मरीज के पेट से 3 किलो 200 ग्राम का ट्यूमर निकाला। चिकित्सकों ने कठिन ऑपरेशन कर ट्यूमर निकालने के साथ ही उस मरीज की जान बचा ली। इस तरह इनके प्रयास से इस शख्स को जीवन दान मिला। वो अब नई ऊर्जा और हौसले के साथ आगे की जिंदगी गुजार सकेगा।

पेट से निकला 3 किलो का ट्यूमर

सीतामढ़ी शहर के कैंसर और लेप्रोस्कोपिक सर्जन डॉक्टर (प्रो) प्रशांत सिंह और गाइनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर तूलिका सिंह को अहम कामयाबी मिली। रीगा प्रखंड के रामनगरा गांव के श्यामजी सिंह का सफल ऑपरेशन कर 3.2 किलो का ट्यूमर निकाला। बताया गया कि श्यामजी नाम का ये मरीज पिछले कई महीने से ट्यूमर के चलते परेशान चल रहा था। ट्यूमर के कारण उसका पेट फूल रहा था। आंत से खून का रिसाव भी हो रहा था। साथ ही शरीर में खून की काफी कमी होती जा रही थी। बेहतर इलाज के लिए विभिन्न अस्पतालों का पिछले तीन महीने से चक्कर लगा रहा था। जांच और दवा के बाद भी उसकी तबीयत ठीक नहीं हुई। तब यहां के डॉक्टरों ने उसे पटना रेफर कर दिया। विभिन्न चिकित्सकों के यहां जांच/इलाज पर काफी पैसा खर्च करने के बावजूद मरीज की परेशानी कम नहीं हुई।

डॉ प्रशांत सिंह से मिला जीवन दान

स्थानीय और बाहर के कई डॉक्टरों के यहां दिखाने के बावजूद जब बीमारी का सटीक इलाज संभव नहीं हो सका। इसके बाद मरीज सीधे पहुंचा शहर के चर्चित प्रशांत सर्जरी केयर हॉस्पिटल के सर्जन डॉक्टर प्रशांत सिंह के पास। यहां मरीज का इलाज शुरू किया गया और ऑपरेशन के लिए मरीज को तैयार किया गया। सबसे पहले उसे पांच यूनिट खून और विभिन्न तरह के टीके लगाए गए। हार्ट अटैक की संभावना को देखते हुए कार्डियोलॉजिस्ट का परामर्श लिया गया। करीब दो घंटे तक चले ऑपरेशन के बाद तीन किलो से ज्यादा का ट्यूमर निकाला गया।

ट्यूमर से जान पर खतरा

डॉ प्रशांत सिंह ने NBT को बताया, जांच में जो मिला, उसे मेडिकल भाषा में पोर्टल हाइपरटेंशन विथ मैसिव स्पेनोमेगली विथ हाइपरस्प्लेनिजम कहते है। ये एक गंभीर बीमारी होती है। इससे जान पर खतरा बना रहता है। इस बीमारी में तिल्ली काफी बड़ी हो जाती है और असामान्य रूप से रक्त कोशिकाओं को तोड़ने लगती है, जिससे हीमोग्लोबिन और प्लेटलेट कम होने लगता है। ऐसे में दिल पर भी जोर पड़ता है और हार्ट अटैक की संभावना अधिक बनी रहती है।

रिपोर्ट- अमरेंद्र चौहान

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