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राज्य उच्च शिक्षा निदेशक रेखा कुमारी ने सरकार के फैसले की पुष्टि करते हुए कहा कि सरकार ने यह फैसला नालंदा जिले के सैकड़ों छात्रों को लाभ पहुंचाने के लिए लिया है, जिन्हें छोटे-मोटे काम के लिए पटना स्थित विश्वविद्यालय कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ता है। उन्होंने कहा कि बख्तियारपुर पीपीयू क्षेत्राधिकार का केंद्र है, जिसमें 25 घटक और 100 से अधिक संबद्ध और बीएड कॉलेज हैं, जो बिहार के पटना और नालंदा दोनों जिलों में स्थित हैं।’
पहले मीठापुर में मिली थी जमीन
पीपीयू के रजिस्ट्रार प्रोफेसर जितेंद्र कुमार के अनुसार, बख्तियारपुर में 10 एकड़ कृषि भूमि के आवंटन के बारे में विश्वविद्यालय को अभी तक आधिकारिक अधिसूचना प्राप्त नहीं हुई है। विश्वविद्यालय को पहले पटना में पुराने बस स्टैंड के पास मीठापुर में 8.05 एकड़ जमीन आवंटित की गई थी। लेकिन बाद में इस दलील पर इसे काट कर 6.8 एकड़ कर दिया गया कि वहां मेट्रो स्टेशन बनाने के लिए जमीन छोड़नी होगी, उन्होंने कहा कि 10 एकड़ जमीन के आवंटन से विश्वविद्यालय की जरूरत पूरी होगी।
शिक्षक संघ की कड़ी प्रतिक्रिया
उधर, पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने इस फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रोफेसर एके सिंह ठाकुर ने कहा कि ‘पीपीयू मुख्यालय को बख्तियारपुर में स्थानांतरित करने के पीछे कोई तर्क नहीं है। क्योंकि पटना जिले के छात्रों की जरूरतों को पूरा करने के लिए मार्च 2018 में मगध विश्व विद्यालय (एमयू), बोधगया से विभाजन के बाद विश्वविद्यालय बनाया गया था।इसके अलावा, विश्वविद्यालय और पटना स्थित कॉलेजों में शिक्षक और गैर-शिक्षण कर्मचारी, जिन्हें वर्तमान में 16 प्रतिशत एचआरए मिल रहा है, को पीपीयू मुख्यालय स्थानांतरित करने के बाद मुश्किल से 7 प्रतिशत एचआरए मिलेगा।’
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