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मर्डर में पांडव गिरोह का हाथ?
अब तक की जांच के बाद पुलिस सूत्र पटना के इस हत्याकांड में पांडव गिरोह की संलिप्तता की बात कह रही है। पांडव गिरोह 90 के दशक में बिहार में खड़ा हुआ था। बताया जा रहा है इस गैंग के लोगों में ही आपसी रंजिश चल रही है। गिरोह में दो-तीन गुट बन गए हैं, जिनमें वर्चस्व की जंग चल रही है। पटना के डबल मर्डर केस को पांडव गिरोह के ही दो लोगों चितरंजन शर्मा और संजय सिंह की आपसी अदावत से जोड़कर देखा जा रहा है। बताया जा रहा है कि वर्चस्व की जंग में हाल के दिनों में अब तक 9 लोगों की हत्या हो चुकी है।
बताया जा रहा है कि पिछले 35 दिनों के अंदर चितरंजन शर्मा के 4 परिजनों की हत्या हो चुकी है। इसी साल 26 अप्रैल को चितरंजन के चाचा अभिराम शर्मा की जहानाबाद और भतीजे दिनेश शर्मा को मसौढ़ी में मर्डर कर दिया गया था। 26 अप्रैल को जहानाबाद और पटना के मसौढ़ी में डबल मर्डर हुआ था। मिठाई कारोबारी अभिराम शर्मा और उनके भतीजे दिनेश शर्मा की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। अभिराम शर्मा को जहानाबाद के उनके घर पर गोली मारी गई। उसी वक्त भतीजे को मसौढ़ी गांधी मैदान गेट के समीप गोलियों से भून डाला गया।
दो दिन पहले नीमा गांव की रेल पटरी पर संजय सिंह के रिश्तेदार सुधीर शर्मा की डेड बॉडी मिली थी। संजय सिंह की ओर से आरोप लगाया गया था कि यह हत्या चितरंजन शर्मा ने करवाई है। कहा जा रहा है कि संजय सिंह गुट ने इसी का बदला लेने के लिए पटना में चितरंजन शर्मा के भाई की हत्या करवाई है। संजय सिंह और चितरंजन शर्मा की अदावत में नीमा गांव के 9 लोगों की जान जा चुकी है।
क्या है पांडव सेना?
साल 1995-96 के दौर में बिहार में जातीय हिंसा चरम पर था। ऊंची जाति के संगठन और नक्सलियों के बीच जबरदस्त टकराव होता था। पटना-गया रेल लाइन के किनारे बसे नीमा गांव के पांच दोस्तों चितरंजन शर्मा, बब्लू सिंह, संजय सिंह, अशोक सिंह और विपिन सिंह ने मिलकर पांडव सेना बनाई थी। नीमा गांव पटना जिले के धनरूआ थाना अंतर्गत आता है। उस दौर में इन पांच दोस्तों के गैंग की तूती बोलती थी। बाद के दौर में पांचों दोस्तों में किसी वजह से दूरी बनी जिसके बाद से इनके बीच वर्चस्व की जंग शुरू हो चुकी है।
साल 1995-96 पटना के दक्षिणी इलाके में नक्सलियों की तूती बोलती थी। इनके गढ़ और वर्चस्व वाले क्षेत्र में पुलिस जाने में भी सोचती थी। नक्सलियों की लेवी और रंगदारी की डिमांड से किसान परेशान थे। कुछ लोग नक्सलियों को संरक्षण देकर कारोबार को बढ़ा रहे थे। मसौढ़ी के नदंवा-नीमा गांव और आसपास के इलाके में भी नक्सलियों के खौफ से नीमा के रहने वाले संजय सिंह बचपन से ही वाकिफ थे। लॉ की डिग्री हासिल करने के बाद संजय सिंह ने नक्सलियों के जुल्म को कानून के जरिए चुनौती देना शुरू किया। खास सफलता नहीं मिलने पर गांव के लोगों से चर्चा कर पांच दोस्तों ने मिलकर पांडव सेना बनाई। खेल-खेल में संजय सिंह, चितरंजन सिंह, विपिन सिंह, बब्लू सिंह और अशोक सिंह ने पांडव सेना बनाकर नक्सलियों के संरक्षणकर्ता विपिन बिहारी सिंह के ईट भट्ठा पर धावा बोल दिया और दो राइफल और एक दो नाली बंदूक लूट लिया।
गिरफ्तारी के लिए पुलिस पीछे पड़ी थी, इसी दौरान पांडव सेना गिरोह ने पटना के बीएन कॉलेज के गेट पर विपिन बिहारी सिंह को गोली मारकर हत्या कर दी और लाइसेंसी रिवाल्वर लूट लिया। इलाके के लोग बताते हैं कि पांडव सेना ने नक्सलियों से लंबे समय तक लोहा लिया।
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