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पालीगंज में ऐसे चल रहा है धर्मांतरण का खेल!
पालीगंज का लालगंज-सेहरा गांव इन दिनों चर्चा में है। वजह है इस गांव में एसएच-69 के किनारे स्थित झोपड़ीनुमा घर मे शुक्रवार और सोमवार को आयोजित होने वाली प्रार्थना सभा। ग्रामीण सामने आकर तो नहीं लेकिन दबी जुबान से सप्ताह में दो दिन आयोजित होने वाली इस प्रार्थना सभा का विरोध किया था। नवभारत टाइम्स.कॉम के संवाददाता ने पड़ताल की तो उसे गांव के उत्तर तरफ एक झोपड़ीनुमा घर मे कुछ महिलाएं इकट्ठे बैठी थी। महिलाओं का आना जारी था। एक जगह पर एक बड़े समूह में महिलाएं परमपिता के प्रार्थना में शामिल होने के लिए यहां आई हैं। जैसे ही दिन के 12 बजे एक महिला ‘त्वमेव माता च पिता त्वमेव…’ से प्रार्थना सभा की शुरुआत करती है।
आगे आगे महिला उच्चारण कर रही है और पीछे से सभी महिलाएं ताली बजा बजाकर उसका अनुकरण करती देखी गईं। एक के बाद एक संगीतमय प्रार्थना पूरी करने के बाद उक्त महिला ने प्रार्थना में शामिल होने के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए बोली की परमपिता परमेश्वर के प्रार्थना करने से सभी कष्ट दूर होते हैं। बिमारियां दूर होती हैं। अतः हम सभी को परमपिता के शरण मे अपने को समर्पित कर देना चाहिए।
उधर, ग्रामीण इसका विरोध करते रहे। ग्रामीण मुरारी सिंह के मुताबिक गांव में आयोजित होने वाली प्रार्थना सभा ईसाइयत को बढ़ावा देने वाला है। इससे समाज मे विखराव होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। ग्रामीणों ने कहा कि प्रार्थना का जो तरीका है वह हिन्दू विरोधी है। प्रार्थना करना गुनाह नहीं है, लेकिन छुप छुपाकर आराधना या प्रार्थना शक तो पैदा करता ही है।
अपनी पत्नी को प्रार्थना सभा मे लेकर पहुंचे रामगोविंद मांझी ने कहा कि प्रार्थना सभा से उनकी पत्नी को फायदा हुआ है। इसीलिए उसे लेकर वे अक्सर यहां आते हैं। ईसाई धर्म अपनाने के सवाल पर भड़कते हुए सवाल किया कि परमपिता का प्रार्थना करना कब से गुनाह हो गया। पालीगंज के लालगंज-सेहरा में चल रहे प्रार्थना सभा के संबंध में पूछने पर हिंदूवादी संगठन से जुड़े स्थानीय सुरेश कश्यप ने साफ तौर पर प्रार्थना सभा का विरोध करते हुए कहा कि यदि प्रार्थना से रोग व कष्ट दूर होते तो पटना में ईसाई मिशन की ओर से कुर्जी और त्रिपौलिया में चलाए जा रहे अस्पतालों को बन्द कर देना चाहिए और मरीजों से प्रार्थना कराई जानी चाहिए।
आरोप लगाते हुए कहा कि प्रलोभन देकर हिंदुओं का धर्मांतरण कराया जा रहा है। हिंदुओं के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है। यदि इस ओर ध्यान नही दिया गया तो वो दिन दूर नहीं जब इलाके में हिन्दू से अधिक ईसाई होंगे। बहरहाल प्रार्थना सभी बदस्तूर जारी है।
इनपुट: हनुमतेश्वर दयाल
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