Home Bihar नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू से पूरी तरह मुक्त नहीं हुए हैं कुशवाहा… अभी भी फंसा है पेंच!

नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू से पूरी तरह मुक्त नहीं हुए हैं कुशवाहा… अभी भी फंसा है पेंच!

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नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू से पूरी तरह मुक्त नहीं हुए हैं कुशवाहा… अभी भी फंसा है पेंच!

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नील कमल, पटना: 28 फरवरी से राष्ट्रीय लोक जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ( Upendra Kushwaha ) बिहार यात्रा पर निकल रहे हैं। दो चरण में पूरी होने वाली इस यात्रा की शुरुआत उपेंद्र कुशवाहा महात्मा गांधी के कर्म स्थली यानी चंपारण जिला से कर रहे हैं। 20 मार्च तक चलने वाली इस यात्रा में उपेंद्र कुशवाहा जनता के बीच जाकर यह बताने का काम करेंगे कि उन्होंने नीतीश कुमार ( Nitish Kumar ) का साथ क्यों छोड़ा है। इसके साथ ही वह जेडीयू के तमाम कार्यकर्ताओं को यह भी बताने का काम करेंगे कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कितने बदल चुके हैं।

शुक्रवार यानी 24 फरवरी को विधान परिषद की सीट से देंगे इस्तीफा

उपेंद्र कुशवाहा ने भले ही राष्ट्रीय लोक जनता दल बनाकर नई पार्टी का गठन कर लिया हो। लेकिन तकनीकी तौर पर वह आज भी जनता दल यूनाइटेड के ही सदस्य हैं। क्योंकि एमएलसी के पद से उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया है। बता दें कि उपेंद्र कुशवाहा ने जिस दिन जनता दल यूनाइटेड और नीतीश कुमार का साथ छोड़ा था, उसी दिन उन्होंने यह भी कहा था कि वह एमएलसी के पद से भी इस्तीफा देने जा रहे हैं। उन्होंने कहा था कि सभापति जब भी उन्हें वक्त देंगे, उसी दिन जाकर अपना इस्तीफा उन्हें सौंप देंगे। उपेंद्र कुशवाहा ने बताया कि उन्हें कल यानी शुक्रवार 24 फरवरी का वक्त दिया गया है। शुक्रवार को विधान परिषद जाकर अपना इस्तीफा दे देंगे। यानी शुक्रवार 24 फरवरी को उपेंद्र कुशवाहा पूरी तरह से जनता दल यूनाइटेड मुक्त हो जाएंगे।

महत्वपूर्ण पदों पर रहते हुए पहले भी इस्तीफा दे चुके हैं उपेंद्र कुशवाहा

जनता दल यूनाइटेड के नेता भले ही यह कहते हो कि उपेंद्र कुशवाहा को उन्होंने सांसद बनाया, विपक्ष का नेता बनाया, जेडीयू संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बनाया, विधान परिषद का सदस्य बनाया। जेडीयू के ऐसे बयान पर उपेंद्र कुशवाहा के करीबी ने बताया कि जनता दल यूनाइटेड को आगे बढ़ाने में उपेंद्र कुशवाहा ने जितनी मेहनत की थी, आज मुख्यमंत्री के ईद-गिर्द रहने वाले उसका लाभ उठा रहे हैं। राष्ट्रीय लोक जनता दल के नेता का कहना है कि उपेंद्र कुशवाहा ने कभी भी पद को महत्व नहीं दिया। उपेंद्र कुशवाहा का लक्ष्य जनता की सेवा करना और बिहार का विकास करना है। इसलिए जब पहली बार जेडीयू को छोड़ा था तब राज्यसभा में 3 साल का कार्यकाल रहने के बावजूद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। इसी प्रकार नेता प्रतिपक्ष के तौर पर रहते हुए भी उन्होंने कभी भी किसी गलत कार्य के साथ समझौता नहीं किया। अगर उन्हें फोर्स किया गया तो इस्तीफा देने में देरी नहीं लगाई।

उपेंद्र कुशवाहा के करीबी ने बताया कि 2014 में जब नरेंद्र मोदी की सरकार बनी थी, तब वह केंद्र में मानव संसाधन राज्य मंत्री बने थे। लेकिन मंत्री रहते उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। राष्ट्रीय लोक जनता दल के नेता का कहना है कि आज की तारीख में जनता दल यूनाइटेड के पास कुछ नहीं बचा। जदयू के पास न तो नैतिकता है, न मुख्यमंत्री में निर्णय लेने की क्षमता बची है। जेडीयू के कार्यकर्ता भी हताश हैं जो अब उपेंद्र कुशवाहा के साथ जुड़ने लगे हैं।

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