Home Bihar नीतीश का गुस्सा: ऑफ रिकॉर्ड राजद विधायक भी कह रहे- विपक्षी कोई भी हो, तुम-तड़ाक करना शोभा नहीं देता

नीतीश का गुस्सा: ऑफ रिकॉर्ड राजद विधायक भी कह रहे- विपक्षी कोई भी हो, तुम-तड़ाक करना शोभा नहीं देता

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नीतीश का गुस्सा: ऑफ रिकॉर्ड राजद विधायक भी कह रहे- विपक्षी कोई भी हो, तुम-तड़ाक करना शोभा नहीं देता

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नीतीश का रौद्र रूप चर्चा में है।

नीतीश का रौद्र रूप चर्चा में है।
– फोटो : अमर उजाला

मांगों के समर्थन में सामने आकर प्रदर्शन करने वालों और नापसंद सवाल पूछने वाले पत्रकारों पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गरम रूप देख चुके बिहार विधानसभा के सदस्यों ने बुधवार को सदन में जन-प्रतिनिधियों के प्रति सीएम के गुस्से को खुली आंखों से देखा। सदन में मुख्यमंत्री के इस रूप पर राजनीतिक दलों में सरकार-विपक्ष के हिसाब की प्रतिक्रिया दिख रही है, हालांकि आम लोगों ने इसे अनुचित बताया। विपक्ष इसके लिए मुख्यमंत्री की ओर से माफी पर अड़ा है, जबकि सत्ता पक्ष के विधायक इसपर बात शुरू होते ही भाजपा को जली-कटी सुनाने लग रहे। जदयू के विधायक पूरी तरह नीतीश के स्टैंड के साथ हैं, राजद वाले सामने से टिप्पणी से बच रहे और कांग्रेसी विधायक इसका जवाब टाल दे रहे। हालांकि, यह बात भी है कि राजद के तीन विधायकों से बात हुई और तीनों ने ऑफ रिकॉर्ड यह बात कही कि “विपक्षी कोई भी हो, सदन में ‘तुम-तड़ाक’ मर्यादित नहीं। यह परंपरा के रूप में स्थापित हो गया तो जन प्रतिनिधि मुंह नहीं दिखा सकेंगे।” शीतकालीन सत्र का तीसरा दिन शराबबंदी की सार्थकता, जहरीली शराब से मौत और इसपर मुख्यमंत्री के कड़े शब्दों पर कुर्बान हो ही गया। अभी इसकी गूंज और लंबी रहेगी, क्योंकि गुरुवार को एक तरफ मौतों की सूची भी लंबी होती गई और दूसरी तरफ राजद विधायक व पूर्व मंत्री सुधाकर सिंह ने जहरीली शराब से मौत को सत्ता संपोषित नरसंहार करार दिया। ऐसे में बुधवार और गुरुवार को सदन की कार्यवाही खत्म होने पर ‘अमर उजाला’ से बातचीत में किसने क्या कहा, जानना रोचक है-

मुख्यमंत्री ने भाजपाइयों को याद दिलाया, और कुछ तो नहीं

“जब शराबबंदी का प्रस्ताव आया, तब भाजपा नीतीश जी के साथ थी। जब यह कानून पास हुआ तो विपक्ष में रहकर भी शराबबंदी के पक्ष में थी। अब एक बार फिर विपक्ष में है तो बार-बार सवाल उठा रही है। सरकार अपने हिसाब से पूर्ण शराबबंदी के लिए प्रयासरत है। नीतीश जी वही याद दिला रहे थे, और कुछ तो नहीं!”

अजीत शर्मा, कांग्रेस विधायक (मोबाइल पर बातचीत में)

गुस्सा उनका व्यक्तिगत मसला है, शराबबंदी तो गलत नहीं

“समय लगा है, लेकिन सरकार पूर्ण शराबबंदी के लिए प्रयासरत है। यह पूरी तरह लागू नहीं हो पाया है तो इसके लिए जनता जिम्मेदार है। सरकार ने नियम बना दिया, लोग नहीं मान रहे। जो सीएम के निर्णय में साथ थे और अब शराबबंदी पर सवाल उठा रहे हैं। गुस्से पर कुछ नहीं कहूंगा, वह उनका व्यक्तिगत मामला है।”

सूर्यकांत पासवान, राजद विधायक (मोबाइल पर बातचीत में)

10 साल पहले तो ऐसे नहीं थे, अब अमर्यादित हो गए नीतीश

“सदन में मर्यादा की स्थापना मुख्यमंत्री की अहम जिम्मेदारी होती है। पता नहीं, मुख्यमंत्री 10 साल पहले इस तरह तो नहीं थी। अब क्या हो गया है कि इस तरह बोलने लगे हैं। कुछ और बात चल रही है, जिसका फ्रस्ट्रेशन इस तरह निकाल रहे। इस तरह से विपक्षी प्रतिनिधि को बोलना अशोभनीय और अक्षम्य है।”

नितिन नवीन, भाजपा विधायक (मोबाइल पर बातचीत में)

आज हम सत्ता में, कल कोई और भी संभव; इसलिए गलत न करें

“बाकी बातें अपनी जगह है, लेकिन यह ठीक नहीं कि किसी भी जन प्रतिनिधि को सदन या बाहर कोई भी तुम-तड़ाक करे। हमलोग सरकार में हैं, इसलिए सीधे क्या बोल सकते हैं। कोई आज सरकार में है, कल कोई और भी हो सकता है। यह तो नेतृत्व करने वालों को ही देखना चाहिए। गरिमा बनी रहनी ही चाहिए।”

राजद विधायक (बुधवार को सदन से बाहर अनौपचारिक बातचीत में)

थक गए नीतीश, नाकामी का गुस्सा इस तरह दिखा रहे

हम शराबबंदी के पक्ष में हैं, लेकिन शराबबंदी कागज पर है। इस नाम पर जहर आ रहा है तो जिम्मेदार मुख्यमंत्री हैं। लोकतंत्र में सभी प्रतिनिधि को अपनी बात रखने का अधिकार है। सदन में मुख्यमंत्री का व्यवहार उनकी हताशा को दर्शाता है। वह थक चुके हैं और नाकामी का गुस्सा दूसरों पर दिखा रहे हैं।

प्रदीप सिंह, भाजपा सांसद (मोबाइल पर बातचीत में)

बड़प्पन बर्दाश्त करने में, सीएम को ऐसा नहीं करना चाहिए

“सार्वजनिक रूप से शराब बंद है, लेकिन चोरी-छिपे यह खुला है और वह भी बड़े पैमाने पर। इसपर लोग बोलेंगे ही। शराबबंदी नीतीश का ड्रीम प्रोजेक्ट है, इसलिए उसपर टिप्पणी बर्दाश्त नहीं कर पा रहे। सदन में बहुत कुछ बर्दाश्त करना पड़ता है। किसी सदस्य से अमर्यादित व्यवहार अनुचित है, खासकर सीएम को ऐसा नहीं करना चाहिए।”

आशीष रंजन, समाजसेवी, अररिया (मोबाइल पर बातचीत में)

चिल्लाकर या ऊंगली दिखाकर दबाव नहीं बनाया जा सकता

“निजी अनुभव से कहूं तो शराबबंदी बिल्कुल लागू नहीं है। बार-बार जहरीली शराब के पीछे सरकार को ही जिम्मेदार कहा जाना चाहिए। कोई कहता है तो इसपर भड़कने की जगह काम करना चाहिए। थककर इस तरह गुस्सा उतारना गलत है। आप चिल्लाकर या ऊंगली दिखाकर दबाव नहीं बना सकते, यह समझना चाहिए।”

राजन सिंह, भोजपुरी अभिनेता (मोबाइल पर बातचीत में)

हार नहीं माननी चाहिए, किसी खास विषय पर तनाव न लें

“सैद्धांतिक तौर पर शराबबंदी है, लेकिन व्यावहारिक तौर पर नहीं। गलतियों को महसूस करना बड़प्पन है, लेकिन उसकी जगह गुस्सा दिखाना बिल्कुल गलत है। मुख्यमंत्री को हार नहीं माननी चाहिए और शराबबंदी को लागू करना चाहिए। उन्हें सदन में अमर्यादित आचरण से गलत परंपरा स्थापित नहीं करनी चाहिए।”

प्रो. चंदन कुमार वर्मा, उप-प्राचार्य, एमआरजेडी कॉलेज, बेगूसराय

विस्तार

मांगों के समर्थन में सामने आकर प्रदर्शन करने वालों और नापसंद सवाल पूछने वाले पत्रकारों पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गरम रूप देख चुके बिहार विधानसभा के सदस्यों ने बुधवार को सदन में जन-प्रतिनिधियों के प्रति सीएम के गुस्से को खुली आंखों से देखा। सदन में मुख्यमंत्री के इस रूप पर राजनीतिक दलों में सरकार-विपक्ष के हिसाब की प्रतिक्रिया दिख रही है, हालांकि आम लोगों ने इसे अनुचित बताया। विपक्ष इसके लिए मुख्यमंत्री की ओर से माफी पर अड़ा है, जबकि सत्ता पक्ष के विधायक इसपर बात शुरू होते ही भाजपा को जली-कटी सुनाने लग रहे। जदयू के विधायक पूरी तरह नीतीश के स्टैंड के साथ हैं, राजद वाले सामने से टिप्पणी से बच रहे और कांग्रेसी विधायक इसका जवाब टाल दे रहे। हालांकि, यह बात भी है कि राजद के तीन विधायकों से बात हुई और तीनों ने ऑफ रिकॉर्ड यह बात कही कि “विपक्षी कोई भी हो, सदन में ‘तुम-तड़ाक’ मर्यादित नहीं। यह परंपरा के रूप में स्थापित हो गया तो जन प्रतिनिधि मुंह नहीं दिखा सकेंगे।” शीतकालीन सत्र का तीसरा दिन शराबबंदी की सार्थकता, जहरीली शराब से मौत और इसपर मुख्यमंत्री के कड़े शब्दों पर कुर्बान हो ही गया। अभी इसकी गूंज और लंबी रहेगी, क्योंकि गुरुवार को एक तरफ मौतों की सूची भी लंबी होती गई और दूसरी तरफ राजद विधायक व पूर्व मंत्री सुधाकर सिंह ने जहरीली शराब से मौत को सत्ता संपोषित नरसंहार करार दिया। ऐसे में बुधवार और गुरुवार को सदन की कार्यवाही खत्म होने पर ‘अमर उजाला’ से बातचीत में किसने क्या कहा, जानना रोचक है-

मुख्यमंत्री ने भाजपाइयों को याद दिलाया, और कुछ तो नहीं

“जब शराबबंदी का प्रस्ताव आया, तब भाजपा नीतीश जी के साथ थी। जब यह कानून पास हुआ तो विपक्ष में रहकर भी शराबबंदी के पक्ष में थी। अब एक बार फिर विपक्ष में है तो बार-बार सवाल उठा रही है। सरकार अपने हिसाब से पूर्ण शराबबंदी के लिए प्रयासरत है। नीतीश जी वही याद दिला रहे थे, और कुछ तो नहीं!”

अजीत शर्मा, कांग्रेस विधायक (मोबाइल पर बातचीत में)

गुस्सा उनका व्यक्तिगत मसला है, शराबबंदी तो गलत नहीं

“समय लगा है, लेकिन सरकार पूर्ण शराबबंदी के लिए प्रयासरत है। यह पूरी तरह लागू नहीं हो पाया है तो इसके लिए जनता जिम्मेदार है। सरकार ने नियम बना दिया, लोग नहीं मान रहे। जो सीएम के निर्णय में साथ थे और अब शराबबंदी पर सवाल उठा रहे हैं। गुस्से पर कुछ नहीं कहूंगा, वह उनका व्यक्तिगत मामला है।”

सूर्यकांत पासवान, राजद विधायक (मोबाइल पर बातचीत में)

10 साल पहले तो ऐसे नहीं थे, अब अमर्यादित हो गए नीतीश

“सदन में मर्यादा की स्थापना मुख्यमंत्री की अहम जिम्मेदारी होती है। पता नहीं, मुख्यमंत्री 10 साल पहले इस तरह तो नहीं थी। अब क्या हो गया है कि इस तरह बोलने लगे हैं। कुछ और बात चल रही है, जिसका फ्रस्ट्रेशन इस तरह निकाल रहे। इस तरह से विपक्षी प्रतिनिधि को बोलना अशोभनीय और अक्षम्य है।”

नितिन नवीन, भाजपा विधायक (मोबाइल पर बातचीत में)

आज हम सत्ता में, कल कोई और भी संभव; इसलिए गलत न करें

“बाकी बातें अपनी जगह है, लेकिन यह ठीक नहीं कि किसी भी जन प्रतिनिधि को सदन या बाहर कोई भी तुम-तड़ाक करे। हमलोग सरकार में हैं, इसलिए सीधे क्या बोल सकते हैं। कोई आज सरकार में है, कल कोई और भी हो सकता है। यह तो नेतृत्व करने वालों को ही देखना चाहिए। गरिमा बनी रहनी ही चाहिए।”

राजद विधायक (बुधवार को सदन से बाहर अनौपचारिक बातचीत में)

थक गए नीतीश, नाकामी का गुस्सा इस तरह दिखा रहे

हम शराबबंदी के पक्ष में हैं, लेकिन शराबबंदी कागज पर है। इस नाम पर जहर आ रहा है तो जिम्मेदार मुख्यमंत्री हैं। लोकतंत्र में सभी प्रतिनिधि को अपनी बात रखने का अधिकार है। सदन में मुख्यमंत्री का व्यवहार उनकी हताशा को दर्शाता है। वह थक चुके हैं और नाकामी का गुस्सा दूसरों पर दिखा रहे हैं।

प्रदीप सिंह, भाजपा सांसद (मोबाइल पर बातचीत में)

बड़प्पन बर्दाश्त करने में, सीएम को ऐसा नहीं करना चाहिए

“सार्वजनिक रूप से शराब बंद है, लेकिन चोरी-छिपे यह खुला है और वह भी बड़े पैमाने पर। इसपर लोग बोलेंगे ही। शराबबंदी नीतीश का ड्रीम प्रोजेक्ट है, इसलिए उसपर टिप्पणी बर्दाश्त नहीं कर पा रहे। सदन में बहुत कुछ बर्दाश्त करना पड़ता है। किसी सदस्य से अमर्यादित व्यवहार अनुचित है, खासकर सीएम को ऐसा नहीं करना चाहिए।”

आशीष रंजन, समाजसेवी, अररिया (मोबाइल पर बातचीत में)

चिल्लाकर या ऊंगली दिखाकर दबाव नहीं बनाया जा सकता

“निजी अनुभव से कहूं तो शराबबंदी बिल्कुल लागू नहीं है। बार-बार जहरीली शराब के पीछे सरकार को ही जिम्मेदार कहा जाना चाहिए। कोई कहता है तो इसपर भड़कने की जगह काम करना चाहिए। थककर इस तरह गुस्सा उतारना गलत है। आप चिल्लाकर या ऊंगली दिखाकर दबाव नहीं बना सकते, यह समझना चाहिए।”

राजन सिंह, भोजपुरी अभिनेता (मोबाइल पर बातचीत में)

हार नहीं माननी चाहिए, किसी खास विषय पर तनाव न लें

“सैद्धांतिक तौर पर शराबबंदी है, लेकिन व्यावहारिक तौर पर नहीं। गलतियों को महसूस करना बड़प्पन है, लेकिन उसकी जगह गुस्सा दिखाना बिल्कुल गलत है। मुख्यमंत्री को हार नहीं माननी चाहिए और शराबबंदी को लागू करना चाहिए। उन्हें सदन में अमर्यादित आचरण से गलत परंपरा स्थापित नहीं करनी चाहिए।”

प्रो. चंदन कुमार वर्मा, उप-प्राचार्य, एमआरजेडी कॉलेज, बेगूसराय



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