Home Bihar निकाय चुनाव पर अब भी पेच: हाईकोर्ट में मंगल को सुनवाई, सुमो बोले- प्रत्याशी नहीं खर्च करें पैसे

निकाय चुनाव पर अब भी पेच: हाईकोर्ट में मंगल को सुनवाई, सुमो बोले- प्रत्याशी नहीं खर्च करें पैसे

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निकाय चुनाव पर अब भी पेच: हाईकोर्ट में मंगल को सुनवाई, सुमो बोले- प्रत्याशी नहीं खर्च करें पैसे

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चुनाव पर अब भी जिच।

चुनाव पर अब भी जिच।
– फोटो : अमर उजाला

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बिहार राज्य निर्वाचन आयोग ने बुधवार को 244 नगर पालिकाओं के चुनाव के लिए अधिसूचना जारी कर 18 और 28 नवंबर की तारीखें दे दीं, लेकिन अब भी इसमें पेच फंसा हुआ है। मुख्य विपक्षी दल ने इसे सुप्रीम कोर्ट की अवमानना बता दिया तो दूसरी ओर आरक्षण की स्पष्टता बगैर चुनाव के फैसले को लेकर फिर याचिका दाखिल हो गई। इधर, पटना हाईकोर्ट में जस्टिस अमानुल्लाह ने इस केस को मुख्य न्यायाधीश संजय करोल को स्थानांतरित कर दिया है। कोर्ट से जुड़ी अड़चनों को देखते हुए पूर्व उप मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने इतना तक कह दिया कि प्रत्याशियों को इस अधिसूचना के आधार पर पैसे खर्च करने से पहले 8 दिन इंतजार करना चाहिए।

बिहार चुनाव आयोग न निष्पक्ष, न पारदर्शी
बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जयसवाल ने बुधवार को राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से जारी अधिसूचना के बाद गुरुवार को प्रदेश कार्यालय में प्रेस वार्ता कर कहा कि यह बहुत अजूबा है। खासकर, तब जबकि सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण को लेकर राज्य सरकार की ओर से जल्दबाजी में बनाए आयोग को ही नहीं माना है। उन्होंने कहा कि बिहार राज्य निर्वाचन आयोग न निष्पक्ष है और न ही पारदर्शी। जब चुनाव के तारीख की घोषणा हो गई है तो फिर आचारसंहिता के उल्लंघन पर चुनाव आयोग नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव और संबंधित विभाग के प्रधान सचिव पर कार्रवाई करे।

28 नवंबर का सुप्रीम आदेश तो पढ़ते नीतीश
सुशील कुमार मोदी ने राज्य निर्वाचन आयोग के फैसले पर कहा कि नीतीश सरकार को सुप्रीम कोर्ट का 28 नवंबर का पूरा फैसला सुनना और समझना चाहिए था। एक बार बिना आरक्षण का मानक तय किए चुनाव की तारीख घोषित कर नीतीश सरकार की फजीहत हो चुकी, अब दोबारा होगी क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने इनके बनाए आयोग को अभी स्वीकार नहीं किया है। अगर सरकार सुप्रीम कोर्ट की बात मानती तो आरक्षण का निर्धारण नए सिरे से करती। उन्होंने कहा कि प्रत्याशियों को नीतीश सरकार के झांसे में नहीं आना चाहिए। 8 दिन इंतजार करना चाहिए, वरना चुनाव के नाम पर खर्च किए पैसे बर्बाद हो जाएंगे। आरक्षण का निर्धारण नए सिरे से होता तो नए लोगों को भी चुनाव में उतरने का मौका मिलता, लेकिन ऐसा कुछ तो हुआ ही नहीं। सुप्रीम कोर्ट इसका संज्ञान जरूर लेगा।

मंगलवार को सुबह हाईकोर्ट में सुनवाई
पटना हाईकोर्ट में नगर निकाय चुनाव की सुनवाई अब मंगलवार को होगी। जस्टिस अमानुल्लाह ने केस को चीफ जस्टिस संजय करोल के पास कर ट्रांसफर कर दिया। अब सुनवाई मंगलवार सुबह साढ़े 10 बजे होगी।

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बिहार राज्य निर्वाचन आयोग ने बुधवार को 244 नगर पालिकाओं के चुनाव के लिए अधिसूचना जारी कर 18 और 28 नवंबर की तारीखें दे दीं, लेकिन अब भी इसमें पेच फंसा हुआ है। मुख्य विपक्षी दल ने इसे सुप्रीम कोर्ट की अवमानना बता दिया तो दूसरी ओर आरक्षण की स्पष्टता बगैर चुनाव के फैसले को लेकर फिर याचिका दाखिल हो गई। इधर, पटना हाईकोर्ट में जस्टिस अमानुल्लाह ने इस केस को मुख्य न्यायाधीश संजय करोल को स्थानांतरित कर दिया है। कोर्ट से जुड़ी अड़चनों को देखते हुए पूर्व उप मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने इतना तक कह दिया कि प्रत्याशियों को इस अधिसूचना के आधार पर पैसे खर्च करने से पहले 8 दिन इंतजार करना चाहिए।

बिहार चुनाव आयोग न निष्पक्ष, न पारदर्शी

बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जयसवाल ने बुधवार को राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से जारी अधिसूचना के बाद गुरुवार को प्रदेश कार्यालय में प्रेस वार्ता कर कहा कि यह बहुत अजूबा है। खासकर, तब जबकि सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण को लेकर राज्य सरकार की ओर से जल्दबाजी में बनाए आयोग को ही नहीं माना है। उन्होंने कहा कि बिहार राज्य निर्वाचन आयोग न निष्पक्ष है और न ही पारदर्शी। जब चुनाव के तारीख की घोषणा हो गई है तो फिर आचारसंहिता के उल्लंघन पर चुनाव आयोग नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव और संबंधित विभाग के प्रधान सचिव पर कार्रवाई करे।

28 नवंबर का सुप्रीम आदेश तो पढ़ते नीतीश

सुशील कुमार मोदी ने राज्य निर्वाचन आयोग के फैसले पर कहा कि नीतीश सरकार को सुप्रीम कोर्ट का 28 नवंबर का पूरा फैसला सुनना और समझना चाहिए था। एक बार बिना आरक्षण का मानक तय किए चुनाव की तारीख घोषित कर नीतीश सरकार की फजीहत हो चुकी, अब दोबारा होगी क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने इनके बनाए आयोग को अभी स्वीकार नहीं किया है। अगर सरकार सुप्रीम कोर्ट की बात मानती तो आरक्षण का निर्धारण नए सिरे से करती। उन्होंने कहा कि प्रत्याशियों को नीतीश सरकार के झांसे में नहीं आना चाहिए। 8 दिन इंतजार करना चाहिए, वरना चुनाव के नाम पर खर्च किए पैसे बर्बाद हो जाएंगे। आरक्षण का निर्धारण नए सिरे से होता तो नए लोगों को भी चुनाव में उतरने का मौका मिलता, लेकिन ऐसा कुछ तो हुआ ही नहीं। सुप्रीम कोर्ट इसका संज्ञान जरूर लेगा।

मंगलवार को सुबह हाईकोर्ट में सुनवाई

पटना हाईकोर्ट में नगर निकाय चुनाव की सुनवाई अब मंगलवार को होगी। जस्टिस अमानुल्लाह ने केस को चीफ जस्टिस संजय करोल के पास कर ट्रांसफर कर दिया। अब सुनवाई मंगलवार सुबह साढ़े 10 बजे होगी।



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