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डेटा एनालिटिक्स के माध्यम से, सीटीडी की जांच इकाई ने पाया कि फर्जी फर्म ने बिना किसी खरीद के 73 करोड़ रुपये का कोयला बेचा था। हद तो ये कि इसके लिए आईटीसी के माध्यम से कर की कुल राशि का भुगतान किया गया था।वो भी तब भी जब भुगतान के लिए उनके पास आईटीसी यानि इनपुट टैक्स क्रेडिट उपलब्ध नहीं था। अधिकारियों ने कहा कि जांच के दौरान यह पाया गया कि फर्जी फर्म ने इस चोरी में अहम भूमिका निभाई। इस दौरान कंपनी ने अपनी सप्लाई चेन के जरिए कई अन्य फर्मों से फर्जी या अवैध लेन-देन किया।
बिहार-झारखंड से बंगाल तक टैक्स चोरी का कनेक्शन
इसने झारखंड से 14 , बिहार से दो और उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल से एक-एक सहित कुल 19 फर्मों को कोयले की आपूर्ति की है। झारखंड ट्रेल के विश्लेषण के प्रारंभिक चरण में, अधिकारियों ने पाया कि झारखंड की 14 फर्मों में से, चार फर्मों का पंजीकरण कर अधिकारियों द्वारा रद्द कर दिया गया था, जो इस सिंडिकेट की फर्जी प्रकृति को और साबित करता है। बाकी 10 फर्में भी नई पंजीकृत थीं। प्रतिमा ने कहा कि विभाग इस सिंडिकेट में शामिल फर्मों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगा। उन्होंने कहा ‘कोयला व्यापार में होने वाली धोखाधड़ी और कर चोरी को रोकने के लिए, विभाग निर्यात दिखाने वाले अन्य ट्रेल्स और व्यापारियों की भी जांच कर रहा है।’
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