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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पिछले कुछ दिनों में नालंदा जिले के इस्लामपुर और एकंगरसराय, बेन, परबलपुर, थरथरी, हिलसा, नगरनौसा, अस्थावां, बिंद, सरमेरा, कतरीसराय और नूरसराय के अलग-अलग गांवों और कस्बों का दौरा कर चुके हैं। इन जगहों पर सीएम नीतीश की ओर से दिए गए भाषणों पर गौर करें तो दो बातें कॉमन दिखती हैं। पहली बात यह है कि सीएम ने नालंदा दौरे में लगभग हर जगह कहा है कि आपकी बदौलत ही हमें पूरे सूबे की सेवा करने का मौका मिला। दूसरी बात यह कि हमारी कोशिश रहेगी कि आपकी सेवा करते रहें और शासन को और बेहतर बनाने के लिए आपसे सुझाव लेने आए हैं। इन दोनों बातों के राजनीति मायने समझे जा सकते हैं।
कल्याण बिगहा नहीं, नालंदा जिले के इस गांव से आते थे नीतीश के परदादा
अब तक तमाम मीडिया रिपोर्ट्स में यही बताया जाता रहा है कि सीएम नीतीश मूल रूप से बख्तियारपुर के पास हरनौत ब्लॉक के कल्याण बिगहा गांव के हैं। बता दें कि सीएम नीतीश के परदादा कल्याण बिगहा के नहीं थे। नीतीश कुमार के परदादा दादा सीताराम सिंह मूल रूप से नालंदा जिले के तेलमार गांव के रहने वाले थे। 19वीं सदी के अंतिम दौर में परिवार में बंटवारा होने पर उन्होंने घर और गांव को त्याग दिया था और तेलमार से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित कल्याण बिगहा आ गए थे। यहां उन्होंने करीब छह एकड़ जमीन खरीदी थी। उसी पर खेती का काम करके परिवार का पालन पोषण करने लगे।
नीतीश कुमार का जन्म कल्याण बिगहा में ही हुआ, लेकिन उनका पालन पोषण करीब 10 किलोमीटर दूर के शहर बख्तियारपुर में हुआ। दरअसल, बख्तियारपुर में नीतीश कुमार के पिता राम लखन ने वैद्य (आर्युवेदिक डॉक्टर) का काम शुरू किया था। इलाके के पुराने लोग बताते हैं कि उस दौर में बख्तियारपुर में नीतीश के पिता एकलौते वैद्य थे। इसलिए उनका क्लिनिक ठीक-ठाक चलता था। वैद्यगिरी से अच्छी कमाई होने पर रामलखन सिंह ने बख्तियारपुर में एक व्यापारी का पुराना मकान खरीद लिया था और उसी में परिवार समेत रहते थे।
युवाकाल में नीतीश कुमार भी आर्युवेदिक दवाइयां बनाने में पिता की मदद करते थे। लोगों के रोगों का उपचार करने के साथ ही राम लखन इलाके में कांग्रेस पार्टी के नेता भी थे। उन्होंने कांग्रेस से विधानसभा चुनाव लड़ने की मंशा भी जाहिर की थी, लेकिन पार्टी ने उन्हें कभी टिकट नहीं दिया। इस वजह से भी कांग्रेस के प्रति सीएम नीतीश के मन में युवाकाल से ही नकारात्मक छवि बन गई थी।
कल्याण बिगहा के सामाजिक ताने-बाने के चलते हुए नीतीश का मुस्लिमों से लगाव
जिस कल्याण बिगहा में आकर नीतीश कुमार के परदादा सीताराम सिंह बसे थे वह मुसलमान जमींदार की काश्तकारी का हिस्सा था, जो गांव से लगान वसूली का काम कुछ बडे किसानों को कमीशन पर दिया जाता था। हालांकि उस दौर में ये किसान ठेकेदार कहलाते थे। उस दौर में जमींदार लगान एंव अन्य चीजों के नाम पर किसानों के प्रति क्रूर रवैया अपनाते थे। उस दौर में जमींदारों की क्रूरता को सामान्य माना जाता था। इन सबके बावजूद कल्याण बिगहा और आसपास के इलाकों में मुस्लिमों की अच्छी खासी आबादी होने के चलते नीतीश कुमार के कई दोस्त इसी धर्म के लोग थे। उनकी मां परमेश्वरी देवी उस दौर में इतने खुले विचार की थीं कि उन्होंने नीतीश कुमार को मुस्लिम युवकों से दोस्ती रखने या उनके घर खान-पान करने से कभी नहीं रोका। इस वजह से नीतीश को मुस्लिमों के कल्चर और सोचने समझने के नजरिए को नजदीक से समझने का मौका मिला।
नीतीश कुमार ने बख्तियारपुर के श्रीगणेश हाई स्कूल से 10वीं की। युवाअवस्था में नीतीश कुमार को नालंदा जिले के अलग शहरों जैसे बिहार शरीफ, अस्थावां, इस्लामपुर, हरनौत जैसे शहरों में कई बार जाने का मौका मिला। जब उन्होंने छात्र राजनीति राजनीति शुरू की तो उन्हें नालंदा जिले में युवाओं को राजनीतिक रूप से जागरूक करने का मौका मिला। शुरुआती दिनों में नीतीश कुमार नालंदा जिले के गांवों में पैदल जाते ओर किसी भी गांव में 40-50 लोगों को एकत्र करके भाषण देते थे। इस वजह से पूरे नालंदा जिले में उनके पुराने जानने और पहचानने वाले हैं।
नालंदा जिले में नीतीश कुमार को जानने वाले पुराने लोग बताते हैं कि वह चाहे किसी भी पद पर रहे हों, लेकिन उन्होंने अपनी जमीन कभी नहीं छोड़ी। इतना ही नहीं, नीतीश कुमार को जब कभी लगता है कि उनके राजनीतिक करिअर में कोई उतार-चढ़ाव हो रहा है तो वह नालंदा अपने लोगों के बीच चले जाते हैं। उनका मानना है कि नालंदा के लोगों का साथ पाकर उनका आत्मविश्वास दोबारा लौट आता है। वह इस बात को मानते हैं कि अगर परिवार के लोग साथ रहें तो इंसान किसी भी मुश्किल वक्त से निकल जाता है। नीतीश कुमार पूरे नालंदा को अपना परिवार समझते हैं।
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विपक्ष के हमलों से बेरवाह नालंदा को दिल में रखते हैं नीतीश
नालंदा जिले से विशेष लगाव के चलते बिहार की राजनीति में विपक्षी दल आरजेडी लगातार नीतीश कुमार पर आरोप लगाती रहती है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव लगातार आरोप लगाते रहे हैं कि नालंदा के प्रति नीतीश कुमार विशेष उदार हैं। तमाम विकास योजनाओं को शुभारंभ वह नालंदा से ही करते हैं। इन आरोपों के बावजूद नीतीश कुमार का लगाव नालंदा के प्रति कभी कम नहीं हुआ है। कहा जाता है कि नालंदा का नाम आते ही नीतीश कुमार भावुक हो जाते हैं।
हाल ही में बख्तियारपुर में एक मानसिक रूप से विक्षिप्त युवक ने नीतीश कुमार को मुक्का मारने की कोशिश की थी। इसके बाद भी नीतीश कुमार ने उसपर किसी किस्म की कार्रवाई करने से मना कर दिया था और उल्का उसका सही तरीके से उपचार करने का आदेश दिया था। इस घटना को लेकर कुछ नीतीश के प्रति बिहार में बढ़ती नाराजगी को बता रहे हैं। इसके अलावा बिहार में बीजेपी 77 सीटों के साथ नंबर वन पार्टी है। नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू विधानसभा में तीसरे नंबर की पार्टी है। इसके अलावा राजष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर नीतीश कुमार के नाम को लेकर कई तरह की मीडिया में खबरें आईं। इन्हीं सब वजहों से भावुक नीतीश कुमार कुछ परेशान थे। इसी वजह से वह दिल में बसने वाली जगह नालंदा जिले के अलग-अलग जगहों का दौरा कर रहे हैं।
इनपुट: परिणय कुमार
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