[ad_1]
Unique Tradition: देश-दुनिया में कई अजब-गजब संस्कृति और परंपरा रही है। जिसका पालन लोग सालों से करते आ रहे है। बिहार के नालंदा के कुछ गांवों में भी एक अनोखी परंपरा सालों से चली आ रही है। इसके तहत एक दर्जन गांवों के लोग प्याज की खेती नहीं करते है।
हाइलाइट्स
- बाबा बनौत की याद में प्याज की खेती नहीं करते
- बेटियां ससुराल जाने पर भी खुद से प्याज की खेती नहीं करती
- ग्रामीण बाबा बनौत की समाधि स्थल पर करते है पूजा अर्चना
बाबा बनौत की याद में प्याज की खेती नहीं करते
प्याज की खेती नहीं करने के पीछे यह भी कहा जाता है कि गांव में सैकड़ों साल पहले संत के रूप में बाबा बनौत रहा करते थे। वे शुद्ध शाकाहारी थे प्याज और लहसुन का सेवन नहीं करते थे। इस कारण ग्रामीणों ने भी गांव में प्याज की खेती ही करना छोड़ दिया। जबकि स्थानीय लोग प्याज और लहसुन का सेवन करते हैं।
बेटियां ससुराल जाने पर भी खुद से प्याज की खेती नहीं करती
रैतर गांव के अलावा धरमपुर, विशुनपुर, कालीबिगहा, दुर्गानगर, बंगाली बिगहा और शंकरपुर गांव में प्याज की खेती नहीं होती है। जबकि जीवलाल बिगहा, भोजपुर और बेलदरिया गांव में भी लोग प्याज की खेती नहीं करते। समाजसेवी रामानंद ने बताया कि ग्रामदेवता बनौत बाबा के कारण इन 12 गांव में प्याज की खेती नहीं होती है। यहां जो भी प्याज लगाता है तो उसके साथ कोई न कोई अनहोनी हो जाती है। यहां की बेटियां भी शादी के बाद ससुराल में भी खुद से प्याज की खेती नहीं करती हैं।
करते हैं बाबा बनौत की पूजा
गांव के दक्षिण छोर पर एक समाधि बाबा बनौत की समाधि स्थल है। कहा जाता है कि बाबा इसी स्थल पर कुटिया बनाकर रहते थे। ग्रामीणों के बीच पूज्य थे। जब उनका देहावसान हुआ तो लोगों ने उसी स्थान पर उनकी समाधि बनायी और पूजा-अर्चना करने लगे। आज भी बनौत बाबा के दरबार में हर दिन भक्तों की भीड़ जुटती हैं। और उसी परम्परा को निभा रहे हैं। जबकि महज एक किलोमीटर पर दूसरे गांव के किसान प्याज की खेती करते हैं। उन्हें किसी तरह का कोई नुकसान नहीं होता।
रिपोर्ट-प्रणय राज
आसपास के शहरों की खबरें
नवभारत टाइम्स न्यूज ऐप: देश-दुनिया की खबरें, आपके शहर का हाल, एजुकेशन और बिज़नेस अपडेट्स, फिल्म और खेल की दुनिया की हलचल, वायरल न्यूज़ और धर्म-कर्म… पाएँ हिंदी की ताज़ा खबरें डाउनलोड करें NBT ऐप
[ad_2]
Source link