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शराबबंदी कानून पर सवाल
जानकार मानते हैं कि बिहार में महागठबंधन के अंदर अमिताभ बच्चन की फिल्म ‘शराबी’ का गाना गूंज रहा है। ‘नशे में कौन नहीं है मुझे बताओ जरा’। पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने पहले ही कह दिया है कि बिहार में बड़े-बड़े अधिकारी शराब का सेवन करते हैं। जीतन राम मांझी ने एक साल पहले जनवरी 2022 में गया इमामगंज प्रखंड में कंबल वितरण कार्यक्रम में कहा था कि बिहार के बड़े-बड़े अधिकारी, विधायक, एमपी, मंत्री सब लोग रात 10 बजे अच्छी शराब पीते है। इसलिए हम गरीब लोगों को कहते हैं कि आप लोग भी रात में दस बजे के बाद थकान मिटाने के लिए थोड़ी-थोड़ी पीकर सो जाया करें। ज्यादा पीकर घर में झगड़ा न करें। मांझी के इस बयान के बाद बवाल मच गया था। पिछले दिनों एक कार्यक्रम में तो उन्होंने कार्यक्रम में शामिल उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से शराबबंदी कानून को वापस लेने की मांग करते हुए इसके लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बात करने तक का अनुरोध कर दिया।
शराबबंदी कानून के खिलाफ राजद
इधर, राजद भी इस कानून को लेकर की जा रही कारवाई के विरोध में खड़ा नजर आ रहा है। राजद के नेता और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने भी इस कानून में पासी और मुसहर जाति को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है। चौधरी ने कहा कि बिहार में शराबबंदी कानून पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए। उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि शराबबंदी कानून ठीक है लेकिन इस कानून के तहत गरीब लोगों को ही निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि पिछड़े, अति पिछड़े, दलित महादलित वर्ग के लोग ही ज्यादातर शराबबंदी कानून के तहत पकड़े जा रहे हैं, इसलिए शराब बंदी कानून की समीक्षा की जानी चाहिए। उन्होंने यहां तक कहा कि पासी और मुसहर समुदाय इस कानून से प्रताड़ित हो रहे हैं। चौधरी ने कहा कि शराबबंदी कानून को लेकर जो सख्ती अपनाई जा रही है, उससे अच्छा मैसेज नहीं जा रहा है। पासी और मुसहर समुदाय के हजारों हजार लोग जेल गए, सब लोग प्रताड़ित हो रहे हैं। सब गरीब हैं और पिछड़े हैं।
महागठबंधन की सहयोगी कांग्रेस भी विरोध में
बिहार में शराबबंदी कानून को लेकर जेडीयू के अलावा कोई दल समर्थन नहीं करते हैं। महागठबंधन सरकार में सहयोगी कांग्रेस के विधायक दल के नेता अजीत शर्मा और जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने शराबबंदी को विफल करार देते रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी तो शुरू से ही शराबबंदी कानून की समीक्षा की बात कहते रहे हैं। बोधगया में आयोजित बौद्ध महोत्सव कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से जीतन राम मांझी ने बिहार में शराब फिर से चालू करने की वकालत करते हुए कहा कि शराब को फिर से चालू कराने के लिए मुख्यमंत्री से बात कीजिए। मांझी ने तेजस्वी से यह भी कहा कि अगर आप चाहिएगा, तो मुश्किल नहीं है। उन्होंने आगे यहां तक कहा कि अति सर्वत्र वर्जयेत। ज्यादा नींबू गारने से तीखा हो जाता है। उन्होंने कहा कि गया और बिहार में घूमने के लिए देश-विदेश से पर्यटक आ रहे हैं, लेकिन वो घूमने के बाद यहां रुक नहीं रहे हैं। वे आस-पास के राज्यों में रुकते हैं क्योंकि बिहार में शराबबंदी है।
शराबबंदी से सरकार को घाटा
पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के अलावा कई नेता गाहे-बगाहे शराबबंदी पर सवाल उठाते रहे हैं। जानकारों की मानें, तो बिहार में शराबबंदी के बाद माफियाओं ने एक अलग आर्थिक तंत्र खड़ा कर लिया है। बिहार में करोड़ों रुपये की अवैध शराब की बिक्री जारी है। तस्कर और माफिया सक्रिय हैं। बिहार सरकार चाहकर भी लगाम नहीं लगा पा रही है। नेताओं का मानना है कि बिहार में जहरीली शराब पीने से लोगों की लगातार मौत होती है। उसके बाद जांच होती है, सबकुछ फिर सामान्य हो जाता है। अभी हाल में छपरा में जहरीली शराब पीने से सैकड़ों लोगों की मौत हो गई। शराबबंदी के बाद बिहार में विदेशी मुद्रा से राजस्व की बढ़ोतरी रूक गई है। जीतन राम मांझी कहते हैं कि शराबबंदी के कारण पर्यटकों की संख्या घट गई है, इसलिए आप (तेजस्वी ), मुख्यमंत्री से शराबबंदी वापस लेने की बात करें। इससे बिहार घूमने आए पर्यटक बिहार में ही रूकेंगे और बिहार की आय भी बढ़ेगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हालांकि इस कानून के वापस लेने की मांग को ठुकराते रहे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कई बार यह कह चुके हैं कि महात्मा गांधी नशा मुक्त भारत देखना चाहते थे। वो कहते रहे हैं कि बिहार में उन्होंने महिलाओं के कहने पर शराब बंदी कानून लागू किया है, शराबबंदी की वजह से घरों में खुशहाली देखने को मिल रही है।
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