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रिपोर्ट- सिद्धांत राज
मुंगेर : 15 फरवरी 1932 का दिन को कोई भूल नहीं सकता है.मुंगेर में तारापुर के ब्रिटिश थाना पर राष्ट्रीय झंडा फहराने के क्रम में 34 युवाओं ने देश की आजादी के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया था. कोई सोच नहीं सकता था कि 16 से 18 वर्ष के युवा देश की आजादी के लिए कुर्बानी देकर अमिट छाप छोड़ जाएंगे. इस घटना की निशानी ब्रिटिशकालीन थाना भवन आज भी मौजूद है. लोगों को इस बात का जरूर मलाल रहा कि यह घटना बहुत दिनों तक इतिहास के पन्ने में दफ़न रहा है .
तारापुर 15 फरवरी 1932 को ब्रिटिश हुकूमत द्वारा हुए भीषण नरसंहार के लिए जाना जाता है. आजादी के दीवाने 34 वीरों ने तारापुर थाना भवन पर तिरंगा फहाराने के संकल्प को पूरा करने के लिए सीने पर गोलियां खायी थीं और वीरगति को प्राप्त हुए थे. जिनमें से मात्र 13 शवों की ही पहचान हो पाई थी. 1931 के गांधी इर्विन समझौते को रद्द किए जाने के विरोध में कांग्रेस सरकारी भवन से यूनियन जैक उतारकर तिरंगा फहराने के लिए पहल की गई थी. 15 फरवरी 1932 को आस-पास के गांव के हजारों युवाओं ने तिरंगा फहराने के संकल्प के साथ तारापुर थाना भवन पर धावा बोला जोशीले युवा भारत माता की जय और वंदे मातरम का जय घोष कर रहे थे. उस वक्त के कलेक्टर ईओ ली व एसपी डब्लू फ्लेग ने स्वतंत्रता सेनानियों पर अंधाधुंध फायरिंग गोलियां चलवा दी थीं.
जलियांवाला बाघ के बाद दूसरी सबसे बड़ी शूटिंग
देश की आजादी में मुंगेर के तारापुर में युवाओं का यह बड़ा बलिदान माना जाता है. कहा जाता है कि जालियांवाला बाग के बाद अंग्रेजों से लड़ाई में यह दूसरा सबसे बड़ा क्रांति युद्ध था. जहां वीर नौजवान जान रहे थे कि हमें सामने से गोलियां लगेगी. उसके बावजूद वह अपने सीने पर गोली खाकर तारापुर के पुराने थाना भवन पर से यूनियन जैक को उतार तिरंगा झंडा फहराया था. इन्ही क्रांति वीरों को इंसाफ दिलाने के लिए इस क्षेत्र के कई समाजसेवी और संस्थान द्वारा कई सालों से काम कर रहा था. जिसमें युवा ट्रस्ट के बैनर तले ट्रस्ट के अध्यक्ष जयराम विप्लव ने अपने सैकड़ों युवा साथियों के साथ तारापुर के ब्रिटिशकालीन थाना भवन और शहीदों के सम्मान को राष्ट्रीय दर्जा दिलाने के लिए कई बार आंदोलन किया था. साथ ही आस-पास के कई समाजसेवी जैसे चंदर सिंह राकेश, मिथिलेश सिंह, हरे कृष्ण वर्मा, कुमार प्रणय, मनमोहन चौधरी, प्रभाष चौबे सहित कई वरिष्ठ लोगों ने इस स्थल को सुरक्षित और सरकारी दर्जा देने की मांग कर रहे थे.
प्रधानमंत्री ने मन की बात में तारापुर के शहीदों का किया था जिक्र
पीएम मोदी ने 31 जनवरी 2021 को मन की बात कार्यक्रम में इन आजादी के नायकों की चर्चा की थी. पीएम मोदी ने तारापुर के रहने वाले जयराम विप्लव की चर्चा करते हुए कहा कि उन्होंने मुझे तारापुर शहीद दिवस के बारे में लिखा है. 15 फरवरी 1932 को, देशभक्तों की एक टोली के कई वीर नौजवानों की अंग्रेजों ने बड़ी ही निर्ममता से हत्या कर दी थी. उनका एकमात्र अपराध यह था कि वे ‘वंदे मातरम और भारत मां की जय के नारे लगा रहे थे. मैं उन शहीदों को नमन करता हूं और उनके साहस का श्रद्धापूर्वक स्मरण करता हूं.. प्रधानमंत्री के चर्चा के बाद राज्य सरकार भी हरकत में आई और खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पिछले वर्ष इस थाना परिसर का भ्रमण किया तारापुर थाना के सामने शहीद भवन पार्क में 34 बलिदानों की प्रतिमा स्थापित की गई और ऐतिहासिक थाना भवन को स्मारक रूप दिया गया है. यहां पहचान किए गए 13 शहीदों की आदम कद प्रतिमा लगाई गई है और 21 अज्ञात की म्यूरल यानी भित्ति या दीवार भी लगयी गयी है.साथ ही दो करोड़ रुपए की लागत से दो शहीद पार्क का निर्माण कराया.
सीएम नीतीश कुमार ने 2022 में दिया राजकीय दर्जा
15 फरवरी, 2022 को ही इस पार्क का उद्घाटन वर्चुअल के माध्यम से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया था और तभी उन्होंने इस कार्यक्रम को हर वर्ष राजकीय दर्जा के साथ मनाने के एलान किया था. इस घटना को स्कूली पाठ्यक्रम में भी शामिल करेंगे.वहीं 15 फरवरी 2023 को पहली बार राजकीय दर्जा से यह कार्यक्रम मनाया जाएगा. जिसको लेकर तैयारियां जोरों पर है. प्रशासनिक अधिकारी इसकी लगातार मॉनिटरिंग कर रहे हैं. इस कार्यक्रम में जिला के वरीय अधिकारी सहित विधायक और कई स्थानीय गणमान्य शामिल रहेंगे.
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पहले प्रकाशित : 15 फरवरी, 2023, 09:50 IST
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