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डॉक्टर से जानिए कालाजार के कारण

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डॉक्टर से जानिए कालाजार के कारण

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मुजफ्फरपुर: बिहार में 2022 में कालाजार उन्मूलन के लिए कई स्तरों पर अभियान चलने के बाद भी 2023 में एक ही मरीज को दूसरी बार कालाजार होने से स्वास्थ्य विभाग की चिंताएं बढ़ा दी है। कई ऐसे मरीज मिले हैं, जिन्हें दूसरी बार कालाजार यानि रिलेप्स केस अपनी आगोश में ले रहा है। कालाजार रोग ठीक होने के बाद भी त्वचा कालाजार यानी पीकेडीएल रोग होने की संभावना रहती है। त्वचा कालाजार इलाज से ठीक हो जाता है। इलाज के दौरान रोगी को लगातार 12 सप्ताह तक दवा का सेवन करना पड़ता है। उसके बाद मरीज पूर्णरूपेण स्वस्थ्य हो जाता है।

जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ सतीश कुमार ने बताया कि पीकेडीएल का इलाज पूर्ण रूप से किया जा सकता है। इलाज के बाद मरीज को चार हजार रुपये का सरकारी अनुदान भी दिया जाता है। जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉक्टर सतीश कुमार के अनुसार पीकेडीएल यानि त्वचा का कालाजार एक ऐसी स्थिति है, जब लीशमैनिया डोनोवानी नामक परजीवी त्वचा कोशिकाओं पर आक्रमण कर संक्रमित कर देता है। जिससे त्वचा पर लाल धब्बा उभरने लगता है। कालाजार बीमारी के ठीक होने के बाद त्वचा पर सफेद धब्बे या छोटी-छोटी गांठें बन जाती हैं। त्वचा संबंधी लिशमेनिसिस रोग एक संक्रामक बीमारी है। जो मादा फ्लेबोटोमिन सैंडफ्लाइज प्रजाति की बालू मक्खी के काटने से फैलती है।

बालू मक्खी कम रोशनी, नमी वाले स्थानों, मिट्टी की दीवारों के दरारों, चूहे के बिलों में रहती है। इससे सावधानी बरतनी आवश्यक है। इसके दवा से कुछ साइड इफेक्ट के भी मामले सामने आए हैं। स्किन कालाजार की दवा खाने से मरीज के स्वास्थ्य पर साइड इफैक्ट हो रहा है। दवा खाने से मरीज की आंख खराब हो रही है।

मुजफ्फरपुर में भी साहेबगंज, सकरा और पारू में कुल चार मरीजों की आंख में समस्या हो चुकी है। इसके लिए अब इलाज शुरू होने से पहले आंख की जांच शुरू करने का निर्देश दिया गया है। आंख ठीक होने के बाद ही दवा खिलाई जाएगी।

रिपोर्ट- संदीप कुमार

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