Home Bihar जेडीयू ने पहले काटा टिकट, अब आरसीपी सिंह की मांग भी करने लगा खारिज, जानें माजरा

जेडीयू ने पहले काटा टिकट, अब आरसीपी सिंह की मांग भी करने लगा खारिज, जानें माजरा

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जेडीयू ने पहले काटा टिकट, अब आरसीपी सिंह की मांग भी करने लगा खारिज, जानें माजरा

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पटना. राज्यसभा का टिकट कटने के बाद केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने मीडिया के सामने कई बातें रखी थीं. उन्होंने जेडीयू के शीर्ष नेतृत्व से मांग की थी कि उनके समय के बनाए गए उन प्रकोष्ठों को फिर से बहाल कर दिया जाए, जो फिलहाल भंग हैं. उन्होंने यह भी गुजारिश की थी कि और नए प्रकोष्ठ भी बनाए जाएं. इस मांग के दो दिन बाद ही जेडीयू प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने साफ कर दिया कि आरसीपी सिंह की मांग जेडीयू कतई नहीं मानने वाली है. बल्कि प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि ज्यादा प्रकोष्ठ बनाए जाने से पार्टी को कितना नुक़सान हो रहा था.

उमेश कुशवाहा ने सबसे पहले ये साफ कर दिया कि पार्टी को सशक्त और प्रभावी बनाने के लिए प्रकोष्ठों को प्रभावी स्वरूप प्रदान किया गया है और इसीलिए प्रकोष्ठों की संख्या कम की गई है. बुधवार को जनता दल यूनाइटेड के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने पार्टी के विभिन्न प्रकोष्ठ के पूर्व प्रदेश अध्यक्षों से मुलाकात की और इस दौरान सभी भंग प्रकोष्ठ के पूर्व अध्यक्षों से उनकी राय जानी. पूर्व प्रदेश अध्यक्षों ने पार्टी के फैसले का स्वागत किया और नीतीश कुमार में अपनी पूरी आस्था व्यक्त करते हुए मूल संगठन को मजबूती प्रदान करने की अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की.

इसके बाद पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने साफ-साफ वह वजह भी बता दी कि क्यों कई प्रकोष्ठ भंग किए गए और कैसे ज्यादा प्रकोष्ठ की वजह से JDU को नुकसान हो रहा था. उमेश कुशवाहा ने बताया कि नीतीश कुमार के निर्देशानुसार और राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह के मार्गदर्शन में पार्टी को सशक्त और प्रभावी बनाने के लिए कई महत्त्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं. उन्होंने बताया कि समान प्रकृति के पूर्व के कई प्रकोष्ठों को प्रभावी स्वरूप प्रदान करने का प्रयास किया गया है और उत्तर व दक्षिण बिहार में बांटे गए संगठन को भी एकीकृत कर व्यवहारिक समस्याओं के समाधान करने का प्रयास किया गया है.

इसके बाद उमेश कुशवाहा ने यह भी बताया कि संगठन की विभिन्न इकाइयों में समन्वय और पार्टी के सशक्तीकरण के लिए प्रकोष्ठ की संख्या कम कर संगठन को प्रभावी बनाने का प्रयास किया गया है. जदयू का मानना है कि पार्टी के प्रभाव और इसकी सफलता में कार्यकर्ताओं की भूमिका काफी महत्त्वपूर्ण है. अनेक प्रकोष्ठ के गठन से पार्टी में कई पावर सेंटर बनें, जिनका पार्टी की एकता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा. परिणाम स्वरूप मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा किए गए व्यापक लोक-कल्याणकारी कार्य और सुशासन की सफलता के बावजूद जदयू में अंदरुनी एकता प्रभावित हुई.

टैग: बिहार की राजनीति, सीएम नीतीश कुमार, आरसीपी सिंह

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