Home Bihar जानिए, 2 बजे बजट पेश क्यों?: पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने टाइम मैनेजमेंट को लेकर बदला था बजट का समय, तारकिशोर निभा रहे परंपरा

जानिए, 2 बजे बजट पेश क्यों?: पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने टाइम मैनेजमेंट को लेकर बदला था बजट का समय, तारकिशोर निभा रहे परंपरा

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जानिए, 2 बजे बजट पेश क्यों?: पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने टाइम मैनेजमेंट को लेकर बदला था बजट का समय, तारकिशोर निभा रहे परंपरा

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पटना19 मिनट पहले

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बिहार के वित्त सह उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने 2 बजे से बजट पेश किया। हालांकि, पहले ये बजट सुबह 11 बजे पेश होता था। अब लोगों के जेहन में ये सवाल आ रहा है कि कहीं तारकिशोर प्रसाद ने बजट पेश करने की परंपरा तो नहीं बदल दी। ऐसे में जब दैनिक भास्कर ने पड़ताल की तो पता चला कि 2 बजे से बजट सुशील मोदी ही पेश करते रहे हैं। दरअसल, 2017 में जब JDU-BJP ने साथ मिलकर सरकार बनाई थी, उस सरकार की पहली बजट उस समय के वित्त मंत्री सुशील मोदी ने 2018 में पेश किया था और उसका समय रखा गया था दोपहर का 2 बजे। नहीं तो इससे पहले 11 बजे ही बजट पेश किया जाता था।

सुशील मोदी ने टाइम मैनेजमेंट किया

इसके पीछे ये तर्क दिया गया था कि जिस दिन बजट पेश किया जाता है उस दिन को सार्थक बनाने के लिए समय को बदला गया है। बताया गया कि दो पालियों के इस सत्र में बजट के दिन यदि पहले पाली में बजट पेश कर दिया जाता था जो विधायक और बाकी नेता सदन से चले जाते थे और दूसरे हाफ में सदन की कार्यवाही नहीं हो पाती थी। ऐसे में सुशील मोदी ने पहले हाफ को सदन के विधायी कार्यों के लिए रखा था और दूसरे हाफ में बजट पढ़ा था। उसके बाद वह उच्च सदन यानी विधान परिषद में बजट पेश करते थे और उसके बाद मीडिया को संबोधित करते थे। तब से ये परंपरा चली आ रही है।

अंग्रेजों की वजह से शाम 5 बजे पेश होता था आम बजट

वहीं, केन्द्र में पहले शाम 5 बजे बजट पेश किया जाता था। अंग्रेजों के काल से यह परंपरा जारी थी। भारत और इंग्लैंड के समय में करीब 6 घंटे के अंतर के कारण भारत में जब शाम का 5 बजता था तो इंग्लैंड में दिन का 11 बजता था। आजादी के दशकों के बाद अटल बिहारी की सरकार के दौरान इस परम्परा को परिवर्तित कर सुबह 11 बजे बजट पेश किया जाने लगा। इसी तरह पहले 28 फरवरी को बजट पेश किया जाता था जिसके कारण पूरा बजट 31 मार्च तक पारित नहीं हो पाता था। मगर नरेन्द्र मोदी की सरकार ने 2017 में इस परंपरा को तोड़ते हुए 1 फरवरी को बजट पेश करना शुरू किया। इसके कारण 31 मार्च से पहले पूरा बजट पारित हो पाता है।

2005 के बाद एक साथ पूरा बजट होने लगा, पहले दो किस्तों पेश होता था बजट

2005 के बाद NDA ने 31 मार्च से पहले पूरे बजट को एक साथ पारित कराने की परंपरा शुरू की। ताकि पहली अप्रैल से शुरू होने वाले वित्तीय वर्ष बजट के अनुसार खर्च किया जा सके। पहले दो किस्त में मार्च में शुरू के चार महीने और जुलाई में शेष आठ महीने के लिए लेखानुदान पारित होता था। NDA की सरकार ने बजट से पूर्व आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट जारी करने के साथ ही बजट पूर्व विमर्श, जेंडर और परिणाम बजट के साथ ही स्थानीय निकायों के लिए बजट पेश करना प्रारंभ किया।

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