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बताया जा रहा है कि राजेश सिंह के सहयोगी संजय महतो भी शराब पीकर बीमार हो गए थे, जिनके घर इसुआपुर के डोईला में जब जांच की गई तो कई तरह की होम्योपैथिक दवा और रसायन की सैकड़ों खाली बोतलें बरामद हुई थी। जिसके बाद पुलिस को इस पूरे मामले में एक नया एंगल मिला। जब जांच की गई तो होम्योपैथिक दवा से शराब निर्माण के काले धंधे का खुलासा हुआ। संजय महतो के निशानदेही पर बरामद होम्योपैथिक दवाओं को जांच के लैब भेजा गया है। इस मामले में अवैध स्पिरिट सप्लाई और अन्य मामलों में राजेश और शैलेंद्र राय कई बार जेल जा चुके हैं। हालांकि जेल से छूटने के बाद दोनों फिर इसी काम में शामिल हो जाते थे। इस कांड में संजय महतो शराब पीकर बीमार होने के बाद निजी अस्पताल में इलाज कराया और स्वस्थ होकर घर लौटा, जिसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
एसआईटी की टीम ने संजय महतो से सघन पूछताछ की। पूछताछ के दौरान खुलासा हुआ कि डॉक्टर उर्फ राजेश और शैलेंद्र राय और उसके अन्य सहयोगी होम्योपैथिक दवा और रसायन की बोतल लाकर शराब का निर्माण करते थे। फिर विभिन्न वेंडरों के जरिए अलग-अलग इलाकों में उसका वितरण करते थे। होम्योपैथिक दवा और केमिकल से तैयार शराब संजय महतो द्वारा भी सेवन किया गया था। संजय महतो ने बताया कि शराब के सेवन के कुछ घंटे बाद उन्हें बेचैनी और अन्य समस्या होने लगी। इधर-उधर से भी खबर आने लगी की इनके द्वारा बेची गई शराब से कई लोग बीमार पड़ रहे हैं और मृत्यु हो रही। पूछताछ में यह भी बात सामने आई है कि राजेश सिंह उर्फ डॉक्टर द्वारा पूर्व से ही होम्योपैथिक दवा और रसायन में चीनी जलाकर उसे भूरा रंग दिया जाता था और अंग्रेजी शराब के डिब्बे में डालकर बेचा जाता था।
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