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बिहार में भविष्य के अग्निवीरों ने जिस तरीके से उत्पात मचाया है इसे देख कर अब लोगों में नाराजगी है। लोगों में गुस्सा है, लोगों मानें तो उन्हें ऐसे अग्निवीर नहीं चाहिए। वहीं लोगों के मन में सवाल है कि आखिर इतना उपद्रव मचता रहा और नीतीश कुमार आखिर देखते क्यों रहे? उन्होंने इसे काबू क्यों नहीं किया ?
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जी हां, हम जानते हैं कि नीतीश कुमार किसी को कुछ नहीं कहते हैं… क्योंकि आप करने में यकीन रखते हैं। 17 सालों से नीतीश कुमार बिहार में सरकार ऐसे ही नहीं चला रहे। विकास पुरुष हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को करीब से ऑब्जर्ब करने वाले ये जानते हैं कि वो नाराज कैसे होते हैं। उनको पता है कि किसे, कब और कैसे सबक सिखाना आता है। दरअसल, ये सबक प्रदेश बीजेपी को सिखाया गया है। बताते चलें नीतीश कुमार बिहार के बीजेपी के कुछ नेताओं से नाराज हैं। भीतर सब ठीक तो है मगर सब कुछ ठीक नहीं है। दरअसल, सामने राष्ट्रपति चुनाव है। लाजिम सी बात है। इस उपद्रव का असर बीजेपी पर पूरे देश में पड़ेगा। जिसे नीतीश कुमार चाहते तो इसे रोक सकते थे। बताते चलें कि हाल के कुछ दिनों पहले में बीजेपी के तीसरी लाइन के विधायकों ने नीतीश कुमार के नेतृत्व और छवि पर सवाल उठाए थे। माना जा रहा है नीतीश कुमार ने ‘कुछ न करके’ बहुत कुछ कर दिया। दरअसल, नीतीश कुमार मैसेज देने में भी मास्टर हैं। उन्हें जो संदेश देना था वो उन्होंने पहुंचा दिया।
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क्या उपद्रवियों को मिला मौन समर्थन?
दरअसल, पूरा मामला राजनीतिक है। दो दिन पहले ही से ही ये साफ हो गया था कि बिहार में तांडव मचेगा। जिसपर जेडीयू मौन रहेगी। गृह विभाग मुख्मंत्री के पास है और पुलिस भी। उसपर क्या, कितना और कैसे ऐक्शन लेना है ये भी बिहार की राजनीति तय कर चुकी थी। बताते चलें कि जेडीयू दफ्तर में विजेंद्र यादव, ऊर्जा मंत्री
ने साफ कह दिया था कि ‘मामला केंद्र का है, इसे केंद्र ही समझे।’ इस बयान के बाद एक बात और साफ हो गई थी कि बिहार पुलिस उपद्रवियों को रोकेगी, मगर रोकने के लिए नहीं रोकेगी।
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ललन सिंह ने केंद्र के मत्थे ही फोड़ दिया था ठीकरा
वहीं दूसरी ओर जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने अपने ट्वीट और रिर्काडेड स्टेटमेंट में एक बार फिर से ये बात जाहिर कर दी कि बिहार के विकास पुरुष नीतीश कुमार केंद्र के अग्निवीर स्कीम वाले मसले पर इस बार बीजेपी का साथ नहीं देना चाहते हैं। बीजेपी की ओर से भी पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट कर बिहार सरकार से अपील की कि वो अग्निवीर स्कीम में शामिल अभ्यर्थियों बिहार पुलिस में प्राथमिकता दें। ये भी एक रस्म अदायगी ही थी। जिसकी वजह से बिहार जलता रहा, उपद्रवी तांडव मचाते रहे और मौन रहे मुखिया।
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राजनीति के लिए जलाया गया बिहार
अग्निवीर स्कीम की आड में बिहार में राजनीतिक रोटी सेंकी जाती रही। एक तरफ वाम दल कथित छात्रों को उकसाते और समर्थन करते नजर आए, तो वहीं पप्पू यादव ने भी पटना में मोर्चा खोल दिया। तीसरी तरफ आरजेडी ने भी उपद्रवियों का समर्थन कर दिया और उनके उपद्रव को जायज ठहरा दिया। बताते चलें इस समर्थन की वजह से बिहार के आम लोगों की जान आफत में नजर आई।
खाक हुई करोड़ों की संपत्ति परेशान हुए लोग
राजनीतिक पार्टियों के समर्थन से करोड़ो रुपए की संपत्ति के आग के हवाल कर दिया गया। छात्रों के बीच शामिल गुंडे देश की संपत्ति को नुकसान पहुंचाते रहे। पुलिस उन्हें समझाती रही, छात्र मानकर मौन रही। बिहार में 8 ट्रेनों की दर्जनों बोगियों को आग के हवाले कर दिया। जगह-जगह बच्चों की स्कूल बसों आग के हवाले कर दिया गया। बिहार भर में हजारों गाडि़यों को नुकसान पहुंचाया गया। उनमें आग लगा दी गई। बिहार की सड़कें को अफगानिस्तान, इराक, यूक्रेन बना दिया गया, लेकिन अफसोस कि बिहार के मुखिया मौन रहे।
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भविष्य के अग्निवीरों ने दिखाई वीरता
बिहार की राजधानी पटना सहित, हाजीपुर, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, नवादा, नालंदा, औरंगाबाद, आरा, बक्सर, रोहतास, सासाराम, बेगूसराय, जहानाबाद, अरवल, समस्तीपुर, गोपलागंज,पटना, पश्चिमी चंपारण आधे से ज्यादा जिले सुलगते रहे। डरे सहमे लोग घरों की छतों वीडियो बनाते रहे, वाहनों के शोरूम तोड़े जाते रहे, महिलाएं इज्जत बचाती रही, बेटियां डर से दुबकी रहीं। सड़कें सूनी रहीं, सरकारी कर्मचारी रेलवे काउंटर के कैश बचाते रहे, सुरक्षाकर्मी आग बुझाते रहे और बिहार उन्हें सेना अभ्यर्थी मानता रहा, पुलिस उन्हें छात्र मानती रही, पत्रकार उन्हें बेरोजगार मानते रहे, लेकिन उपद्रवी बिहार जलाते रहे। मुखिया परसों भी मौन थे, कल भी मौन रहे, शायद आज भी। लेकिन उनकी ये चुप्पी, उपद्रव को मौन समर्थन ही माना जाएगा।
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