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आरोप है कि साल 2004-2009 के बीच लालू यादव के रेलमंत्री रहते हुए लोगों को गलत तरीके से नौकरी दिलाई गई। नौकरी देने के एवज में लालू यादव ने गरीब लोगों से जमीन लिखवा लिए थे। जब लालू रेल मंत्री थे तब घोटाला हुआ था। दायर शिकायत पत्र में कहा गया है कि लालू यादव ने नौकरी के बदले प्राइम लोकेशन पर जमीन ली थी। लालू यादव जब रेल मंत्री थे तब इस तरह की बातें चर्चा में आई थी कि लालू परिवार के सदस्य जमीन लेकर रेलवे में बड़े पैमाने पर नौकरी दे रहे हैं। इस बात की शिकायत सीबीआई तक भी पहुंची थी और तब से पूरे मामले की जांच में लगी हुई थी। शुरुआती जांच में सबूत मिलने और कोर्ट से अनुमति मिलते ही छापेमारी की कार्रवाई शुरू की गई। लालू यादव फिलहाल दिल्ली में हैं जबकि उनके छोटे बेटे और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव एक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए लंदन गए हुए हैं।
‘तुम मुझे जमीन दो, मैं तुम्हें नौकरी दूंगा’
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि लालू यादव को Symbol Of Corruption In Bihar (बिहार में भ्रष्टाचार के प्रतीक) करार दिया। उन्होंने कहा कि ‘तुम मुझे जमीन दो, मैं तुम्हें नौकरी दूंगा’ की तर्ज पर घोटाले को अंजाम दिया। यह मामला तब का जब लालू यादव रेलमंत्री थे। उस दौरान उन्होंने रेलवे में ग्रुप डी की नौकरी देने के एवज में दर्जनों लोगों से जमीनें लिखवा ली थी। इस मामले को लेकर शिवानंद तिवारी जो इस वक्त आरजेडी के वरिष्ठ नेता हैं और जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मिलने गए थे और ज्ञापन देकर कहा था कि लालू यादव किस तरह से रेलवे में नौकरी के बदले जमीन लिखवा रहे हैं। सुशील मोदी ने ‘लालू लीला’ पुस्तक का हवाला देते हुए कहा कि हृदयनंद चौधरी जो पटना के रेलवे कॉम्प्लेक्स में काम करने वाला कर्मचारी रहा और ललन चौधरी विधान परिषद में कर्मचारी रहा इन दोनों ने लालू यादव के लिए काम किया।
जानिए नौकरी के लिए जमीन की कार्यप्रणाली
सुशील मोदी ने कहा कि जमीन सीधे लालू यादव के नाम पर नहीं लिखवाया जाता था बल्कि किसी और के नाम पर रजिस्ट्री होती थी। पांच-छह साल बाद उस जमीन को गिफ्ट करवा लिया जाता था। अगर तुरंत उसी समय लालू यादव अपने नाम पर जमीन लिखवा लेते तो वो ज्यादा मजबूत सबूत बन जाता। पहले उन्होंने ग्रुप डी की नौकरी दे दी, जमीन की रजिस्ट्री किसी तीसरे आदमी के नाम पर करवा दी, फिर अपने नाम पर गिफ्ट करवा लिया। हृदयनंद चौधरी और ललन चौधरी जो विधान परिषद में चतुर्थ श्रेणी का कर्मचारी है। उसने लाखों रुपए की जमीन राबड़ी देवी को दान में दे दिया। इसमें सवाल उठता है रेलवे और विधान परिषद के चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी के पास करोड़ों की संपत्ति कहां से आ गई, जिन्होंने लालू यादव के परिवार को जमीनें दान दे दी। सुशील मोदी ने बताया कि पहले सब्सीट्यूट के नाते नौकरी दी गई, बाद में नियमों का उल्लंघन कर उसे नियमित कर दिया गया। एक दर्जन से ज्यादा मामलों के बारे में शिवानंद तिवारी और ललन सिंह ने उजागर किया। हमें खुशी है कि सीबीआई ने पुख्ता सबूत मिलने पर इतने साल बाद कार्रवाई शुरू की है। इस मामले में प्रीमियर इंक्वायरी (PE) 21 सितंबर 2021 को ही दर्ज की जा चुकी है।
टिकट देने के लिए भी जमीन लेने के आरोप
सिर्फ नौकरी देने के लिए ही लालू परिवार पर जमीन लेने के आरोप नहीं है बल्कि पार्टी से टिकट देने के लिए भी जमीन लेने के इल्जाम हैं। लालू यादव पर पार्टी से टिकट देने के बदले जमीन लिखवाने का आरोप पुराना है। जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने कहा था कि लालू प्रसाद का परिवार जमीन के धंधे में लगा रहा है। नौकरी के नाम पर जमीन लिखवाना, टिकट के बदले जमीन लेना, ये उनकी परंपरा रही है। 2019 लोकसभा चुनाव के वक्त उन्होंने आरोप लगाया था कि अमित कुमार बाकरगंज लहेरियासराय से उनकी जमीन आरजेडी के नाम लिखवा लिया। तेजस्वी यादव ने बद्री पूर्वे वीआईपी पार्टी के लोकसभा उम्मीदवार से जमीन का पेपर ले लिया।
सबूतों के साथ सुशील मोदी ने खोला था कच्चा चिट्ठा
लालू परिवार के करप्शन का चिट्ठा खोलने में सुशील मोदी एक्सपर्ट माने जाते हैं। तथ्यों के साथ लालू परिवार के जमीन-जायदाद का हिसाब रखते हैं। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा था कि कांति सिंह ने छह जनवरी 2005 को तेज प्रताप और तेजस्वी को चितकोहरा में तीन मंजिला मकान सहित 9.39 डिसमिल जमीन गिफ्ट के रूप में दे दीं। जमीन के रजिस्ट्री दस्तावेज में लिखा है कि दानकर्ता से दानप्राप्तकर्ता का लंबे समय से नजदीक का संबंध है और उनकी सेवा से खुश होकर ये जमीन दान में दी जा रही है। उस समय 15-16 साल लालू प्रसाद यादव के पुत्रों की उम्र रही होगी। उन्होंने कहा था कि तेज प्रताप बांसुरी बजाते थे और तेजस्वी क्रिकेट खेलते थे, तब उन्होंने कांति सिंह की कौन-सी सेवा की, जिसके बदले उन्हें जमीन और मकान गिफ्ट में दे दिया गया। प्रेमचंद गुप्ता, रघुनाथ झा और कांति सिंह ने क्यों ऐसा किया? इसका एक ही उद्देश्य है, टिकट पाना और मंत्री बनना। उन्होंने आरोप लगाया कि जमीन दान किए जाने के बाद लालू प्रसाद ने कांति सिंह के पति केशव प्रसाद सिंह को चुनाव का टिकट दिया था।
‘141 प्लॉट, 30 फ्लैट और 6 मकान कैसे हुआ?’
सुशील मोदी ने कहा कि ये तो बिहार का बच्चा बच्चा जानता है कि कांति सिंह हों, रघुनाथ झा हों इन लोगों को मंत्री बनाने के एवज में मकान लिखवा लिया। रघुनाथ झा को केंद्र में मंत्री बनवाया तो गोपालगंज में तीन मंजिला उनका मकान लिखवा लिया। जब कांति सिंह को टिकट दिया फिर मंत्री बनाया उसके बदले उनसे जमीन लिखवा लिया। सुशील मोदी ने आरोप लगाया कि इस वक्त लालू यादव के पास कुल मिलाकर 141 भूखंड है। 30 फ्लैट हैं और करीब 6 मकान के मालिक हैं। जिसका मैंने प्रमाण दिया है। आखिर एक चपरासी के घर में पैदा लेने वाला व्यक्ति 15-20 साल में 141 भूखंड का मालिक कैसे हो गया।
करप्शन मामले पर छापेमारी का पॉलिटिकिल एंगल
वैसे करप्शन के इस मामले को आरजेडी के नेता पॉलिटिकल एंगल देने में लगे हुए हैं। राबड़ी आवास पर पहुंचे आरजेडी के एमएलसी सुनील सिंह ने आरोप लगाया कि ये पूरी कार्रवाई राजनीतिक है। छापेमारी की टाइमिंग पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि देश में सभी को मालूम है कि सीबीआई अपनी मर्जी से एक गिलास पानी भी नहीं पी सकती है। सीबीआई पूरी तरह से केंद्र सरकार का तोता है। 17 साल से आरजेडी सत्ता से बाहर है। इसके बाद भी राज्य में सबसे बड़ी पार्टी है। पिछले कुछ दिनों में तेजस्वी यादव की लोकप्रियता जिस रूप में बढ़ी है उससे बीजेपी के मन में डर समा गई है कि कहीं आरजेडी सरकार ना बना ले। आरजेडी नेताओं की ओर से सवाल उठाए जाने के बाद पटना के राजनीतिक गलियारों में चर्चा शुरू हो गई है कि नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव की फैमिली के बीच नजदीकी से बीजेपी घबरा गई है। इसलिए वो सीबीआई कार्रवाई के जरिए लालू यादव और उनकी फैमिली को परेशान करने की कोशिश की जा रही है।
नीतीश-तेजस्वी की नजदीकियों की वजह से रेड?
पिछले कुछ महीनों में कई ऐसे मुद्दे हैं जिसपर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सुर एक साथ दिखे। धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटाने के मसले पर बीजेपी देशभर में आक्रामक दिखी। वहीं, जेडीयू और आरजेडी ने एक सुर में इसका विरोध किया। जातीय जनगणना के मुद्दे पर तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार लगातार एक ही बात कह रहे हैं। बिहार में जातीय जनगणना कराने को लेकर नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की अलग से मुलाकात हो चुकी है। राबड़ी देवी के आवास पर आयोजित इफ्तार पार्टी में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने सरकारी आवास से पैदल चलकर पहुंचे थे। तेजस्वी यादव आगे आकर नीतीश कुमार की अगवानी करते दिखे थे। इतना ही नहीं, राबड़ी आवास पर नीतीश कुमार को लालू फैमिली के साथ बिठाया गया था। इस मुलाकात के बाद तेजप्रताप यादव ने कहा था कि बिहार में खेला होने वाला है। इसके बाद जेडीयू की ओर से आयोजित इफ्तार पार्टी में भी तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार काफी घुलमिल कर बात करते दिखे थे। जातीय जनगणना के मुद्दे पर नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव अलग से करीब एक घंटे मुलाकात की थी। ये तमाम मौके हैं जब सीएम नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बीच नजदीकियां देखने को मिली। हालांकि जेडीयू की ओर से इन मुलाकातों को औपचारिक बताया गया। लेकिन आरजेडी बिहार राजनीतिक होने की बातें कहती रही है।
जमीन के बदले जॉब मामले की पहले से जांच- BJP
रेलवे में जमीन के बदले जॉब मामले में लालू यादव के 17 ठिकानों पर सीबीआई छापेमारी पर बीजेपी की ओर से कहा गया कि कानून किसी राजनीति से प्रेरित होकर कार्रवाई नहीं करती है। बीजेपी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा कि कानून अपना काम करती है। रेलवे भर्ती में गड़बड़ी के मामले में सीबीआई पहले से जांच कर रही है। रेलवे में हुए घोटाले और भ्रष्टाचार के मामले में जो भी दोषी होंगे सीबीआई निष्पक्ष तरीके से उनके खिलाफ कार्रवाई कर रही है और आगे भी करेगी। पूरे देश के अंदर इस मामले में छापेमारी हो रही है। जिनकी भी संलिप्ता होगी, उन सबके ऊपर कार्रवाई होगी।
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