Home Bihar चला रही हैं ई-रिक्शा ताकि पढ़-लिखकर बच्चे भरें उड़ान, पढ़ें भागलपुर की एक महिला की प्रेरक स्टोरी – she is driving an e rickshaw so that children become literate read inspiring story of a woman from bhagalpur – News18 हिंदी

चला रही हैं ई-रिक्शा ताकि पढ़-लिखकर बच्चे भरें उड़ान, पढ़ें भागलपुर की एक महिला की प्रेरक स्टोरी – she is driving an e rickshaw so that children become literate read inspiring story of a woman from bhagalpur – News18 हिंदी

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चला रही हैं ई-रिक्शा ताकि पढ़-लिखकर बच्चे भरें उड़ान, पढ़ें भागलपुर की एक महिला की प्रेरक स्टोरी – she is driving an e rickshaw so that children become literate read inspiring story of a woman from bhagalpur – News18 हिंदी

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रिपोर्ट : शिवम कुमार सिंह

भागलपुर. शिक्षा का महत्त्व जानना है तो भागलपुर की पिंकी से पूछिए. अब आप सोच रहे होंगे कि ये पिंकी कौन है? बता दें कि पिंकी ई-रिक्शाचालक हैं. ई-रिक्शा की स्टियरिंग थामने के पीछे की कहानी बहुत ही दिलचस्प और प्रेरणादायी है. आपको बता दें कि पिंकी अपने बच्चों को नर्स और इंजीनियर बनाना चाहती हैं. कभी तंगहाली ने पिंकी से उसकी शिक्षा छीन ली थी. आज वही पिंकी अपने बच्चों के साथ वह कहानी नहीं दोहराने देना चाहती हैं.

वह कहती हैं कि मैं नहीं पढ़ सकी तो क्या, बच्चों को जरूर पढ़ाऊंगी. आर्थिक तंगी ने मेरे सपने तोड़ दिए. लेकिन जब मेरी पहली बेटी हुई तो मेरा सपना फिर जागृत हो उठा. तब सोचने लगी कि मैं तो पढ़ाई नही कर सकी, लेकिन अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा दिलाकर काबिल बनाऊंगी. मेरे पति की मजदूरी से सिर्फ घर और बच्चों का भरण-पोषण ही हो पाता था. तब मैंने संकल्प लिया कि मैं भी मेहनत करूंगी. आर्थिक स्थिति मजबूत कर, बच्चों को बेहतर शिक्षा दिलाकर नर्स-इंजीनियर या ऑफिसर बनाऊंगी.

ई-रिक्शा चालक महिला को देख लगभग सभी यात्री एक पल के लिए उसकी हिम्मत को सराहने लगते हैं. सुल्तानगंज प्रखंड अंतर्गत बाथ थाना क्षेत्र के नयागांव पंचायत स्थित उत्तर टोला ऊंचागांव के रहनेवाले मजदूर अमरजीत शर्मा की पत्नी पिंकी देवी (30) घर से ई-रिक्शा लेकर निकलती हैं. आत्मनिर्भर पिंकी महिलाओं के लिए प्रेरणा की स्रोत हैं.

पिंकी ने News18 Local से अपनी स्थिति बताई. उन्होंने कहा कि वे मुंगेर के असरगंज थाना अंतर्गत ममई गांव की रहनेवाली हैं. चार भाई-बहन में सबसे बड़ी. पढ़-लिखकर कुछ बनना चाहती थीं, लेकिन पिता की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं रहने के कारण 8वीं तक ही पढ़ाई कर सकीं. पिंकी ने बताया कि मेरे 4 बच्चे हैं. इनमें दो बेटिया वर्षा (10) और रिया (7) हैं. दो बेटे शिवम (5) और सत्यम (3) हैं. बच्चों की बेहतर शिक्षा और घर की आर्थिक स्थिति मजबूत करने का संकल्प लिया. सब्जी बेचकर ई-रिक्शा खरीदी. अब प्रतिदिन 500-800 रुपये कमाती हूं. 8वीं पास पिंकी बच्चों को नर्स और इंजीनियर बनाना चाहती हैं.

शुरू में उन्होंने करहरिया, असरगंज और लखनपुर हाट में सब्जी बेची. पति दिल्ली में फर्नीचर का काम करते हैं. बीते वर्ष लॉकडाउन में हम दोनों ने जमा पूंजी से एक ई-रिक्शा निकलवाया है. फिलहाल तो अपने 3 बच्चों को सरकारी स्कूल भेजती हूं. लेकिन प्राइवेट ट्यूशन भी पढ़ने भेज रही हूं. उन्होंने कहा कि अगर सरकार भी मुझे कुछ आर्थिक सहयोग करे, तो बच्चों के पठन-पाठन में और बेहतर सुविधा मुहैया कराने में सफल हो पाऊंगी.

टैग: भागलपुर खबर, बिहार के समाचार, शिक्षा

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