Home Bihar चंपारण में महात्मा गांधी की मूर्ति तोड़ी: बापू ने यही से अंग्रेजों के खिलाफ फूंका था सत्याग्रह आंदोलन का बिगुल, जांच में जुटी पुलिस

चंपारण में महात्मा गांधी की मूर्ति तोड़ी: बापू ने यही से अंग्रेजों के खिलाफ फूंका था सत्याग्रह आंदोलन का बिगुल, जांच में जुटी पुलिस

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चंपारण में महात्मा गांधी की मूर्ति तोड़ी: बापू ने यही से अंग्रेजों के खिलाफ फूंका था सत्याग्रह आंदोलन का बिगुल, जांच में जुटी पुलिस

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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, पटना
Published by: रोमा रागिनी
Updated Tue, 15 Feb 2022 03:01 PM IST

सार

बिहार के चंपारण में असामाजिक तत्वों ने महात्मा गांधी की मूर्ति को क्षतिग्रस्त कर दिया। वहीं डीएम ने कहा कि महान लोग अपने आदर्शों के रूप में जिंदा रहते हैं। ऐसी हरकत से सच्चाई के लिए लड़ने वाले बापू की महानता कम नहीं की जा सकती है। 

चंपारण में बापू की टूटी मूर्ति

चंपारण में बापू की टूटी मूर्ति
– फोटो : Amar Ujala

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विस्तार

चंपारण के जिस जगह से महात्मा गांधी ने सत्याग्रह की शुरुआत की थी, वहां उनकी मूर्ति टूटी मिली। यहां पर चरखा पार्क में बापू की मूर्ति उनकी याद में लगाई गई थी। पुलिस मामले की जांच कर रही है।

पूर्वी चंपारण के डीएम शीर्षत कपिल अशोक ने बताया कि रविवार की रात चरखा पार्क में लगी महात्मा गांधी की मूर्ति तोड़कर जमीन पर फेंक दी गई। पुलिस मामले की जांच कर रही है। इस मामले में तोड़फोड़ करने वालों पर उचित कार्रवाई की जाएगी। 

वहीं सोशल मीडिया पर चर्चा है कि क्षेत्र में कुछ लोगों ने धार्मिक नारे भी लगाए। हालांकि, डीएम ने इस मामले पर कुछ नहीं कहा लेकिन उन्होंने कहा कि मैं इस अवसर पर सभी को यह याद दिलाना चाहता हूं कि महान लोग अपने आदर्शों के रूप में जिंदा रहते हैं। ऐसी घटना से अहिंसा और सच्चाई के लिए खड़े बापू की महानता को कभी कम नहीं किया जा सकता।

शीर्षत कपिल अशोक ने जानकारी दी कि पार्क में निर्माण और रखरखाव के काम का जिम्मा पावर ग्रिड कॉपरेशन पर है। मैं उन्हें पार्क में सीसीटीवी कैमरा और सुरक्षा के इंतजाम करने के लिए कहूंगा। वहीं जिला प्रशासन बापू की प्रतिमा फिर से स्थापित करवाएगा।

चंपारण सत्याग्रह

अंग्रेजों के खिलाफ गांधीजी ने कई आंदोलन किए थे। उन्हीं आंदोलन में से एक है चंपारण सत्याग्रह। बापू ने 1917 में पहली बार अंग्रेजों के खिलाफ बिहार के चंपारण बिगुल फूंकी थी। ये अंग्रेजों द्वारा नील के खेती के लिए किसानों के दमन के खिलाफ थी। चंपारण में किसानों से जबरदस्ती नील की खेती करवाई जाती थी। किसान इससे परेशान थे क्योंकि उनकी जमीन खराब हो रही थी। जिसके बाद चंपारण के कई लोग गांधीजी से मिले और अंग्रेजों के अत्याचार की जानकारी दी। जिसके बाद गांधी बिहार आ गए। वहीं गांधीजी ने यहां के लोगों को शिक्षित करने के लिए स्कूल भी खुलवाया था। महिलाओं की शिक्षा और उनसे भेदभाव के लिए भी गांधीजी ने कई कार्यक्रम चलाए। 

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