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मधेपुरा. बिहार के मधेपुरा जिले से मर्माहत करने वाली खबर सामने आई है. उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में हुए बस हादसे में जिले के 3 मजदूरों की भी जान चली गई थी. हादसे में मारे गए लोगों के शव जब उनके पैतृक गांव पहुंचा तो हर तरफ मातमी सन्नाटा पसर गया. परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल हो गया. जब गांव में एक साथ 3 चिताएं सजीं तो हर किसी की आंखें नम हो गईं. किसी मृतक को उनके 8 साल के बेटे ने मुखाग्नि दी तो किसी का उनकी दादी ने अंतिम संस्कार किया. इस मौके पर वहां मौजूद ग्रामीण रो पड़े. गांव से एक साथ 3 अर्थियां उठीं तो हर कोई सदमे और दुख में था.
जानकारी के अनुसार, मधेपुरा जिला के सदर प्रखंड के हसनपुर बराही गांव में यूपी के कुशीनगर बस हादसे के शिकार मजदूरों का शव पहुंचा था. शव के पहुंचते ही हर तरफ़ चीख़-पुकार मच गई. बच्चे, बुजुर्ग, महिला-पुरुष सभी दहाड़ें मार कर रोने लगे. हर गांव वाले की आंखें नम थीं. गांव में एक साथ 3-3 चिताएं सजीं. किसी को उनका 8 साल का बेटा मुखाग्नि दे रहा था तो किन्हीं का 80 साल की दादी अंतिम संस्कार कर रही थीं. बस हादस में मारे गए सुशील सादा (35) की पत्नी दया देवी बार-बार बेहोश हो रही थीं. उनकी 12 साल की बड़ी बेटी आशा अपने छोटे भाई बालकृष्ण, बहन शालू और बालमुकुंद को संभालने में लगी थी.
गांव से एक साथ निकलीं 5 अर्थियां, दहाड़ें मारकर रोने लगे परिजन, गांव में नहीं जले चूल्हे

कुशीनगर बस हादसे में 3 मजदूरों के मारे जाने से परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है. (न्यज 18 हिन्दी)
विचलित करने वाला क्षण
मृतक पुरण के घर की स्थिति तो और भी खराब थी. पिता चन्द्रकिशोर और भाई अंदू घायल हैं और पूरण की मां पुनिया देवी होश में नहीं हैं. उनकी बहन चीख-चीख कर रो रही थीं. जिस जगह चिता सजी थी, वहां का नज़ारा विचलित कर देने वाला था. दादी कौशल्या देवी ने अपने जवान पोते पुरण (21 वर्षीय) को मुखाग्नि दी. हृदय को उनका छोटा बेटा धर्मेंद्र (10 वर्ष) ने मुखाग्नि दी तो सुशील का अंतिम संस्कार उनके बड़े बेटे बालकृष्ण (8) ने किया. विचलित करने देने वाले इस द्श्य को जिसने भी देखा, वह खुद पर काबू नहीं रख सका. हर किसी की आंखें नम थीं.
100 मजदूरों को लेकर चली थी बस
बताया जाता हैं कि हसनपुर बराही से 100 मजदूर को लेकर 4 ठेकेदार सिंहेश्वर गए थे. इनमें से एक ठेकेदार पप्पू सादा और उनके मजदूरों को सीट न मिलने के कारण लौटा दिया गया था. उनके साथ में 11 मजदूर थे. कुछ मजदूर सिंहेश्वर के गौरीपुर, कुमारखंड के बेलारी और सदर प्रखंड के खौपैती के रहने वाले थे. जानकारी के अनुसार, ये लोग धान रोपने के लिए पंजाब के पटियाला जा रहे थे. बस भी पंजाब से ही आई थी. पप्पू सादा बताते हैं कि मजदूर 2 महीने के लिए पटियाला जा रहे थे. इसके लिए 2200 रुपये किराया लिया जाता है. एक महीने में 7 से 10 हजार रुपये की बचत लेकर मजदूर अपने घर लौट आते हैं.
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प्रथम प्रकाशित : 16 जून 2022, 10:49 AM IST
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