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गया. गया शहर के बकसुबीघा स्थित प्राथमिक विद्यालय हिंदू मुस्लिम एकता का मिसाल पेश कर रहा है. देश के अन्य लोगों के लिए एक संदेश दे रहा है कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है. यहां सभी धर्मों की पूजा की जाती है, और सदियों से चली आ रही गंगा जमुनी तहजीब की परम्परा अभी भी कायम है. हम यह भी कह सकते हैं कि शिक्षा ग्रहण करने के लिए धर्म की दीवार को भी तोड़ दिया जाय तो किसी को गुरहेज नही होना चाहिए.
प्राथमिक विद्यालय 1998 से एक मंदिर में चल रहा है…
भारत सदियों से गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल पेश करते आ रहा है. इसका जीता जागता उदाहरण हम आपको बिहार के गया से भी दिखाने जा रहे हैं. गया शहर के बकसुबीघा स्थित प्राथमिक विद्यालय 1998 से एक मंदिर में चल रहा है. जहां 107 बच्चे नामांकित हैं. इन छात्रों में 30 ऐसे बच्चे हैं जो मुस्लिम समुदाय से आते हैं. बिना भेदभाव के यह बच्चे मंदिर के प्रांगण में एक साथ पढ़ते हैं. दोनों समुदाय के अभिभावक अपने बच्चों को शिक्षा के मंदिर में इस उद्देश्य के साथ भेजते हैं कि बच्चे यहां पर बेहतर शिक्षा ग्रहण करें और भारत का एक आदर्श नागरिक बने.
विद्यालय का अपना कोई भवन नहीं है जिस कारण बच्चे बोरा बिछा कर बैठते हैं और शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं कई समस्याएं होने के बावजूद बच्चे रोजाना स्कूल आते हैं, चाहे सर्दी के दिन हो, बरसात हो या गर्मी बच्चे रोजाना पढने आते हैं.
शिक्षा ग्रहण करना है मुख्य उद्देश्य, परिवार वाले भी नहीं रोकते
मंदिर के प्रांगण में पढ़ाई कर रहे हैं मुस्लिम बच्चों से जब न्यूज़ 18 लोकल ने बात की तो बच्चों ने बताया बिना किसी भेदभाव के रोजाना स्कूल आते हैं. एक साथ बैठकर पढ़ाई करते हैं. घर वालों ने भी कभी मंदिर में पढ़ाई करने से नहीं रोका. हम लोग बस एक उद्देश्य के साथ पढ़ने आते हैं कि हमें शिक्षा ग्रहण करना है. अपने देश का नाम रोशन करना है. इस संबंध में विद्यालय के प्रधानाध्यापिका कुमारी अंजना प्रसाद बताती हैं की विद्यालय में 107 बच्चे नामांकित है. जिसमें 30 बच्चे मुस्लिम समुदाय के हैं लेकिन मंदिर में चल रहे इस स्कूल में आने से उन्हे कोई परहेज नहीं है. बच्चे रोजाना स्कूल आ रहे हैं और बेहतर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं.
बकसुबिगहा हमेशा से गंगा जमुनी तहजीब का पेश किया मिशाल
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता संतोष कुमार बताते है बकसुबिगहा हमेशा से गंगा जमुनी तहजीब का मिशाल पेश करते आ रहा है. बिना किसी भेदभाव के हिंदु तथा मुस्लिम समुदाय के बच्चे एक साथ पढते है. मंदिर के अंदर एक मजार भी है. जहां दोनों समुदाय के लोग पूजा करते है. अच्छे माहौल में हमारे बच्चे इस स्कूल मे पढाई कर रहे है. किसी को कोई परेशानी नही है.
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प्रथम प्रकाशित : 27 दिसंबर, 2022, 18:49 IST
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