Home Bihar खगड़िया के CS क्राइम की ‘क्वालिटी’ के हिसाब से दंड देते हैं, बंध्याकरण में हुई लापरवाही पर बवाल शुरू

खगड़िया के CS क्राइम की ‘क्वालिटी’ के हिसाब से दंड देते हैं, बंध्याकरण में हुई लापरवाही पर बवाल शुरू

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खगड़िया के CS क्राइम की ‘क्वालिटी’ के हिसाब से दंड देते हैं, बंध्याकरण में हुई लापरवाही पर बवाल शुरू

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खगड़िया : बिहार के खगड़िया जिले में चिकित्सा कर्मियों ने लापरवाही का इतिहास रच दिया। वैसे स्वास्थ्य कर्मियों को सजा देने की जगह सिविल सर्जन पूरे मामले पर लीपापोती में जुटे हैं। सिविल सर्जन की ओर से इस घोर लापरवाही पर एक ऐसा बयान दिया गया है। जिसे सुनकर आप भी कहेंगे कि सिविल सर्जन महोदय महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर कितने चिंतित लग रहे हैं! आपको बता दें कि खगड़िया में गत बुधवार को महिलाओं का बंध्याकरण किया गया। चिकित्सकों ने बिना किसी बेहोशी के इंजेक्शन के महिलाओं का ऑपरेशन कर दिया। वो दर्ज से तड़पती रहीं और ऑपरेशन जारी रहा।

एनजीओ की लापरवाही
इस मामले में एक एनजीओ की घोर लापरवाही सामने आई है। साथ ही प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के कर्चारियों की लापरवाही भी सामने आई है। जब इस मामले में राष्ट्रीय महिला आयोग ने संज्ञान लिया। तब जाकर खगड़िया के सिविल सर्जन की नींद खुली। लेकिन उन्होंने दोषियों को सजा देने की जगह क्राइम की क्वालिटी देख रहे हैं। उनका कहना है कि इस मामले में क्वालिटी और क्वांटिटी के हिसाब से दंड दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि फिलहाल एनजीओ की सेवा रद्द कर दी गई है।

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महिला आयोग ने लिया संज्ञान
इस मामले में एनसीडब्लू ने ट्वीट कर चीफ सेक्रेटरी को पत्र लिखकर एनजीओ, डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मी का लाइसेंस रद्द करने की मांग की है। बिहार स्वास्थ्य विभाग ने दोनों ही मामलों खगड़िया डीएम से जांच रिपोर्ट मांगी है। डीएम की जांच रिपोर्ट के बाद कोई कार्रवाई होगी। जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय महिला आयोग अध्यक्ष रेखा शर्मा ने बिहार मुख्य सचिव आमिर सुबहानी को पत्र लिखकर इलाज के दौरान हुई लापरवाही पर नाराजगी जताते हुए कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
खगड़िया में महिलाओं का जानवरों की तरह बंध्याकरण, बिना बेहोशी का इंजेक्शन दिये कर दिया ऑपरेशन
क्या है मामला
खगड़िया के परबत्ता सीएचसी में 23 महिलाओं को सुन्न (एनेस्थीसिया) सूई दिए बगैर ही ऑपरेशन कर दिया। जिसमें अलौली निवासी महिला प्रतिभा कुमारी ने सीएस के समक्ष ब्यान दिया कि चिकित्सक और एनजीओ की लापरवाही की वजह से जान चली जाती। महिला ने कहा कि चिकित्क ने बगैर बेहोश किये ऑपरेशन कर दिया। ऑपरेशन के समय चार लोगों ने पैर हाथ बांधकर और मुंह दबाकर शांत कराया। महिलाओं को दर्द से चिल्लाने भी नहीं दिया गया।

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