Home Bihar क्या Nitish-Tejashwi के काबू में नहीं मंत्री चंद्रशेखर? मनाही के बावजूद रामचरितमानस को फिर बताया कूड़ा-कचरा

क्या Nitish-Tejashwi के काबू में नहीं मंत्री चंद्रशेखर? मनाही के बावजूद रामचरितमानस को फिर बताया कूड़ा-कचरा

0
क्या Nitish-Tejashwi के काबू में नहीं मंत्री चंद्रशेखर? मनाही के बावजूद रामचरितमानस को फिर बताया कूड़ा-कचरा

[ad_1]

पटना: रामचरित मानस पर बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर की जुबान बेलगाम हो गई है। एक बार फिर उन्होंने रामचरितमानस को लेकर विवादास्पद बयान दिया है। सीएम नीतीश कुमार उनके बयान पर संयमित अंदाज में पहले आपत्ति जता चुके हैं। उनकी पार्टी जेडीयू को भी चंद्रशेखर के बोल पर एतराज है। देश भर में इसकी आलोचना होती रही है। फिर भी मंत्री रामचरित मानस पर अपने बेतुके बोल से बाज नहीं आ रहे हैं। हालांकि यह पहला मौका नहीं है, जब बिहार में किसी मंत्री के बोल बिगड़े हों। इससे पहले सेना पर अपनी टिप्पणी को लेकर मंत्री सुरेंद्र यादव अपनी फजीहत करा चुके हैं। सवर्णों पर ओछी टिप्पणी कर एक और मंत्री आलोक मेहता ने भी खासा विवाद पैदा कर दिया था। विधायक सुधाकर सिंह और विजय मंडल तो अपनी ही सरकार के मुखिया की बखिया उधेड़ने में लगे हैं। अपने विवादी बयानों से चर्चा में रहने वाले सभी नेता संयोगवश आरजेडी के ही हैं। इनमें दो विधायक हैं तो तीन नीतीश मंत्रिमंडल के सदस्य। हालांकि जेडीयू के एक पूर्व एमएलसी गुलाम रसूल बलियावी ने भी सेना को लेकर अटपटा बयान दिया था। ऐसे बोल-बयान से चार महीने में ही महागठबंधन के भीतर अंतर्विरोध उजागर होने लगा है। चंद्रशेखर के ताजा बयान पर जेडीयू विधायक संजीव कुमार ने उन्हें डिफेक्टिव दिमाग का आदमी बता दिया है।


मंत्री ने अब कहा- रामचरितमानस में कूड़ा भरा है

शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने पहले कहा था कि रामचरित मानस नफरती ग्रंथ है। इसे स्पष्ट करने के लिए उन्होंने ढोल, गंवार, शूद्र, पशु, नारी सकल ताड़ना के अधिकारी जैसी कुछ चौपाइयों के सहारे रामचरितमानस को नफरत फैलाने वाला बताया था। अब उन्होंने कहा है कि रामचरित मानस में कूड़ा-कचरा भरा हुआ है। उसकी सफाई जरूरी है।

‘हमसे बड़ा हिंदू कौन, ज्ञान बांटने वालों को बहस की चुनौती देता हूं…’, Ramcharitmanas पर बोले मंत्री चंद्रशेखर

चंद्रशेखर के बयान पर राजद में मतभेद

चंद्रशेखर के बयान पर आरजेडी के ही राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने आपत्ति जतायी थी, लेकिन बिहार प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने चंद्रशेखर का समर्थन किया था। दोनों पदाधिकारी पार्टी कार्यालय में ही चंद्रशेखर की मौजूदगी में उलझ गए थे। दोनों के बीच तर्क-वितर्क में राम मनोहर लोहिया के विचार उद्धृत किये गये। शिवानंद का तर्क था कि लोहिया रामचरित मानस को उम्दा ग्रंथ मानते थे। रामायण मेला लगवाते थे। हां, उन्होंने यह जरूर कहा था कि कुछ चीजों को छोड़ दें तो यह सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ है। चंद्रशेखर को ताकत उनके नेता तेजस्वी से मिली, जब उन्होंने महागठबंधन के साथी दल जेडीयू की आपत्ति के बावजूद उन्हें टोका और न रोका।

मंडल-कमंडल जैसा विवाद पैदा करने की कोशिश तो नहीं!

रामचरित मानस पर विवाद की चंद्रशेखर ने शुरुआत की और इसकी धमक उत्तर प्रदेश में सुनाई देने लगी। समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने इसी पैटर्न पर ही अपनी बातें रखीं। रामचरित मानस के विरोध का आलम यह रहा कि लखनऊ में इसकी प्रतियां तक जलायी गयीं। मौर्य से एक संत की हाथपाई भी हो गयी। राजनीतिक हलकों में माना जा रहा है कि यह हिन्दू समाज में मंडल-कमंडल जैसे टकराव को जन्म दे सकता है। वीपी सिंह ने जब बीपी मंडल आयोग की सिफारिशें लागू की थीं तो देश भर में हिंसक टकराव हुआ था। बिहार में लालू प्रसाद यादव, आयोग की सिफारिशें लागू करने के पक्ष में थे। सवर्णों को आयोग की सिफारिशें पच नहीं रही थीं। इसलिए हिन्दू समाज दो हिस्सों में बंट गया था। बीजेपी ने सिफारिशों का विरोध किया था। विरोध स्वरूप बीजेपी ने वीपी सिंह की सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। संभव है कि बीजेपी को परास्त करने के लिए विपक्षी दलों ने जानबूझ कर रामचरित मानस के विरोध की रणनीति अपनायी हो।

बेढंगे बयान से महागठबंधन को हो सकता है नुकसान

बिहार में अभी महागठबंधन बीजेपी पर भारी पड़ रहा है, लेकिन अपने नेताओं के इस कदम से उसे नुकसान उठाना पड़ सकता है। कोई लाख तफरका डाले, लेकिन राम और रामायण हिन्दुओं के लिए अब भी आदर्श और आराध्य हैं। पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी भी रामायण और राम के खिलाफ बोलते रहते हैं। जाहिर है कि जिसके बोल-बयान से किसी की भावना आहत होगी तो वह उससे प्रेम नहीं, नफरत ही करेगा। नीतीश कुमार इस संवेदनशीलता को समझ रहे हैं। तभी को महागठबंधन के विधायकों-विधान पार्षदों की बैठक में उन्होंने कहा कि नेताओं को बीजेपी के खिलाफ अपना मुंह फाड़ना चाहिए, न कि अनावश्यक मुद्दों पर और अपने लोगों के खिलाफ। हालांकि उनका इशारा आरजेडी विधायक सुधाकर सिंह की ओर अधिक था, जो आजकल लगातार अपनी ही सरकार पर हमलावर हैं। सुधाकर के निशाने पर विशेष रूप से नीतीश कुमार हैं। (रिपोर्टः ओमप्रकाश अश्क)

[ad_2]

Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here