Home Bihar क्‍या होगी प्रशांत किशोर की ‘राजनीतिक चाल’? कितना आसान है नीतीश और लालू सरीखे नेताओं को मात देना?

क्‍या होगी प्रशांत किशोर की ‘राजनीतिक चाल’? कितना आसान है नीतीश और लालू सरीखे नेताओं को मात देना?

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क्‍या होगी प्रशांत किशोर की ‘राजनीतिक चाल’? कितना आसान है नीतीश और लालू सरीखे नेताओं को मात देना?

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पटना. चुनाव रणनीतिकार के तौर पर ख्‍याति अर्जित करने वाले प्रशांत किशोर उर्फ PK ने सक्रिय राजनीति में दूसरी पारी शुरू करने का ऐलान कर चुके हैं. उन्‍होंने JDU के साथ पहली पारी की शुरुआत की थी, लेकिन वह सफल नहीं रहे थे और जल्‍द ही अपने पुराने पेशे का रुख कर लिया था. एक बार फिर से उन्‍होंने सक्रिय राजनीति में लौटने का ऐलान किया है. कांग्रेस की न के बाद प्रशांत किशोर ने इसकी घोषणा की. उन्‍होंने बिहार में ‘जन सुराज’ अभियान शुरू करने की बात कही है. प्रशांत किशोर गुरुवार को इस संबंध में अपनी रणनीति के बारे में बड़ी घोषणा कर सकते हैं. सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्‍या प्रशांत किशोर नई राजनीतिक पार्टी का गठन करेंगे? यदि उन्‍होंने नया राजनीतिक दल गठित करने की योजना बनाई है तो क्‍या वह मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव को सियासी चाल में पीछे छोड़ पाएंगे?

प्रशांत किशोर की घोषणा ने बिहार की राजनीति में उबाल ला दिया है. तकरीबन सभी राजनीतिक दलों के नेताओं ने अपनी-अपनी प्रतिक्रियाएं व्‍यक्‍त की हैं. दरअसल, बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव प्रदेश के दो शक्तिशाली वोट बैंक का प्रतिनिधित्‍व करते हैं. बिहार में जातिगत राजनीति की जड़ें इतनी गहरी हैं कि उसकी तह तक पहुंच कर उसे उखाड़ पाना कतई आसान नहीं है. ऐसे में एक बड़ा सवाल यह भी उठता है कि प्रशांत किशोर ने यदि राजनीतिक दल गठित करने का फैसला किया है तो फिर उनका वोट बैंक क्‍या होगा? फिलहाल ये सब बातें भविष्‍य के गर्भ में हैं और वक्‍त के साथ ही इससे पर्दा उठेगा. साथ ही समय के ही साथ यह भी तय होगा कि प्रशांत किशोर का ‘जन सुराज’ अभियान सामाजिक होगा या फिर राजनीतिक. कुछ तबकों में यह भी कहा जा रहा है कि हो सकता है कि प्रशांत किशोर जन सुराज अभियान के जरिये राजनीतिक पार्टी बनाने से पहले ग्राउंड वर्क कर रहे हों!

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कांग्रेस से नहीं बनी बात
प्रशांत किशोर के कांग्रेस में जाने की अटकलें काफी तेज थीं. बताया जाता है कि प्रशांत किशोर की कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेताओं से इस मसले पर चर्चा भी हुई थी, लेकिन बात नहीं बन सकी. इसके बाद प्रशांत किशोर ने अपने दम पर राजनीति में लौटने की घोषणा कर दी. इससे देश के साथ ही बिहार के सियासी गलियारों में भी हलचल मच गई. इसके बाद पीके ने जन सुराज अभियान चलाने की घोषणा कर दी. ऐसे में अटकल यह भी लगाई जा रही है कि क्‍या यह राजनीतिक दल गठित करने के पूर्व की तैयारी है? बहरहाल, जो भी हो प्रशांत किशोर ने सक्रिय राजनीति में दोबारा से लौटने की घोषणा कर सबको चौंका जरूर दिया है.

JDU में राष्‍ट्रीय उपाध्‍यक्ष से लेकर बात बिहार की
प्रशांत किशोर 2018 में जेडीयू में शामिल हो गए थे. नीतीश कुमार ने उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया था. साथ ही उन्हें युवा कैडर को सक्रिय करने की जिम्‍मेदारी सौंपी गई थी. साल 2019 के पटना विश्वविद्यालय में हुए छात्र संगठन के चुनावों में उन्हें जेडीयू के छात्र विंग की उपस्थिति दर्ज कराने में मदद करने का श्रेय दिया गया. प्रशांत किशोर को साल 2020 में जेडीयू से निष्कासित कर दिया गया था. जेडीयू से निकाले जाने के बाद पीके ने ‘बात बिहार की’ अभियान शुरू कियाा था. तमाम प्रयासों के बाद भी उनका यह अभियान धीरे-धीरे ठंडे बस्‍ते में चला गया.

टैग: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, लालू प्रसाद यादव, Prashant Kishor

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