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नालंदा. राजगीर में चले कांग्रेस के दो दिवसीय शिविर में पार्टी की गुटबाजी भी साफ दिखाई पड़ी. इस शिविर में कांग्रेस के कई बड़े चेहरे में नदारद रहे. मीरा कुमार, तारिक अनवर, रंजीत रंजन जैसे कद्दावर लोग बैठक में शामिल तक नहीं हुए. शिविर में अलग-अलग बनाये गए समिति के अध्यक्षों ने अपनी रिपोर्ट के साथ प्रस्ताव पेश किए. शिविर के दूसरे और आखिरी दिन गुरुवार को पूर्व मंत्री अवधेश सिंह ने राजनीतिक प्रस्ताव प्रस्तुत किया. युवा मामलों एवं बेरोजगारी से जुड़ा प्रस्ताव विधान पार्षद प्रेमचंद्र मिश्रा ने सामने रखा. पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अनिल शर्मा ने कृषि और किसानों से संबंधित प्रस्ताव प्रस्तुत किया. विधायक शकील अहमद खान ने सामाजिक न्याय विषय पर तैयार रिपोर्ट जारी की. आनंद माधव ने आर्थिक रिपोर्ट सामने रखी तो विधायक पूनम पासवान ने संगठन विषय पर तैयार रिपोर्ट पेश की.
कांग्रेस के नेता भले ही राजगीर जाकर दो दिनों तक नव संकल्प शिविर में जुटकर मंथन किया. यहां भाषण भी खूब हुए, लेकिन ऐसा कोई रोडमैप तैयार नहीं कर सके जिसके आधार पर पार्टी आगे कोई मजबूत रास्ता अख्तियार कर सके. राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय ने शिविर के बारे में कहा कि कांग्रेस का शिविर सिर्फ फूंके हुए कारतूसों का जमावड़ा था.
बता दें कि बैठक में गरीबी, बेरोजगारी, किसानों के मुद्दों पर भाषण हुए पर कोई रोडमैप तैयार नहीं हुआ. ऐसी न कोई ठोस रूपरेखा तैयार हुई और न ही कोई टाइम फ्रेम की बात हुई कि आने वाले दिनों में बिहार में कब और कैसे आंदोलन होगा. कांग्रेस का जनाधार कैसे बढ़ाया जाएगा, इसको लेकर भी कोई बात नहीं हुई.
राजद से दूर रहने की बिहार कांग्रेस के नेताओं ने दी सलाह
कांग्रेस के राजगीर में चले दो दिवसीय शिविर में पहुंचे तमाम नेता भले ही किसी बात पर सहमत न हों पर आरजेडी से दूरी बनाने के मुद्दे पर अधिकतर नेता साथ दिखे. पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अनिल शर्मा ने खुलकर कहा कि जंगलराज का प्रतिनिधित्व करने वाली पार्टी के साथ जब तक कांग्रेस खड़ी रहेगी कांग्रेस का उद्धार कभी नहीं हो सकता. वहीं, पूर्व मंत्री अवधेश सिंह ने कहा कि कांग्रेस तभी मजबूत होगी, जब हम व्यक्तिगत हित से अधिक पार्टी हित में सोचेंगे.
राजद के साथ पर बिहार कांग्रेस और आलाकमान के बीच दूरी
कांग्रेस के कई नेताओं ने राजद से समझौते को भी पार्टी के कमजोर होने का कारण बताया. इस पर राजनीतिक विश्लेषक रवि उपाध्याय का कहना है कि बिहार कांग्रेस लाख आरजेडी का विरोध करे पर कांग्रेस आलाकमान हमेशा आरजेडी के साथ खड़ा रहना चाहता है. बिहार के नेता कुछ भी बोले; पर लालू सोनिया की एक बातचीत सभी कयासों व विरोध के स्वर को खत्म कर देती है. इस मसले पर बिहार कांग्रेस के नेता और आलाकमान के मत अलग-अलग दिखाई पड़ते हैं.
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प्रथम प्रकाशित : जून 03, 2022, 10:05 पूर्वाह्न IST
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