Home Bihar केंद्रीय बजट में बिहार की मांग: 20 हजार करोड़ दें, योजनाओं में राज्यांश 10% हो, एक रेट पर बिजली मिले

केंद्रीय बजट में बिहार की मांग: 20 हजार करोड़ दें, योजनाओं में राज्यांश 10% हो, एक रेट पर बिजली मिले

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केंद्रीय बजट में बिहार की मांग: 20 हजार करोड़ दें, योजनाओं में राज्यांश 10% हो, एक रेट पर बिजली मिले

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राज्यों के वित्त मंत्रियों के साथ केंद्रीय वित्त मंत्री की बैठक में बिहार ने रखी मांग।।

राज्यों के वित्त मंत्रियों के साथ केंद्रीय वित्त मंत्री की बैठक में बिहार ने रखी मांग।।
– फोटो : अमर उजाला

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बिहार ने विशेष राज्य के दर्जे की सीधी मांग पूरी होती नहीं देख, दूसरा रास्ता अख्तियार किया है। अगले वित्तीय वर्ष के लिए केंद्रीय बजट में बिहार की हालत का हवाला देते हुए राज्य ने आधारभूत संरचनाओं के विकास और परिसंपत्तियों के सृजन पर व्यय के लिए बिहार स्पेशल प्लान के तहत 20 हजार करोड़ रुपए की स्वीकृति मांगी है। इसके साथ ही, बिहार जैसे पिछड़े राज्य की राजकोषीय घाटा सीमा को राज्य सकल घरेलू उत्पाद का 4 प्रतिशत करने की मांग रखी है। राज्य सरकार ने केंद्र प्रायोजित योजनाओं में बिहार को विशेष सहायता के रूप में केंद्र-राज्य का अंश 90:10 करने का प्रस्ताव दिया है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ राज्य व केंद्र शासित प्रदेश के वित्त मंत्रियों की बैठक में शुक्रवार को दिल्ली में बिहार के वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी ने इन मांगों के साथ अगले बजट के लिए कई सुझाव रखे।

30 से ज्यादा योजना दें तो पूरा फंड भी केंद्र दे
बजट-पूर्व इस बैठक में वित्त, वाणिज्य-कर एवं संसदीय कार्य मंत्री विजय चौधरी के साथ वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव डाॅ. एस. सिद्धार्थ भी मौजूद थे। बिहार की ओर से वित्त मंत्री चौधरी ने कहा कि केन्द्र प्रायोजित योजनाओं की संख्या को नीति आयोग के निर्णय के अनुसार 30 तक ही सीमित रखा जाए और अगर यह संख्या अधिक होती है तो उसकी शत प्रतिशत राशि भारत सरकार वहन करे। बिहार ने यह भी मांग रखी है कि 40 दिनो के अंदर योजना की राज्यांश राशि जमा करने की शर्त खत्म की जाए। राज्यों की आय बढ़ाने के लिए सेस और सरचार्ज को केंद्रीय विभाज्य पूल में शामिल किया जाए।

कोसी-मेची नदी जोड़ें, दरभंगा में मखाना अनुसंधान केंद्र जल्दी दें
चौधरी ने बजट के लिए मांगों का एक ज्ञापन भी वित्त मंत्री को सौंपा, जिसमें मुख्य रूप से प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की सड़कों के अनुरक्षण एवं रखरखाव में केंद्रांश की राशि राज्यों को उपलब्ध कराने, सुदूर इलाकों को जिला से जोड़ने के लिए अतिरिक्त सुलभ संपर्क योजना से राज्यों को राशि उपलब्ध कराने, समग्र शिक्षा के तहत शिक्षकों के वेतन मद में कटौती की गई राशि राज्यों को उपलब्ध कराने की मांग रखी गई। इस ज्ञापन में स्मार्ट प्रीपेड मीटर के लिए बिजली कंपनी को नाबार्ड से लोन का प्रावधान करने की भी मांग रखी गई और सभी राज्यों के लिए बिजली का रेट एक रखने का भी प्रस्ताव दिया गया। ज्ञापन में प्रधानमंत्री यशस्वी योजना को पिछड़ा वर्ग एवं अति पिछड़ा वर्ग के आठवीं तक के बच्चों को 50:50 के अनपता में छात्रवृत्ति की मांग की गई। बाकी लंबित मुद्दों के साथ बिहार के वित्त मंत्री ने कोसी-मेची नदी जोड़ योजना के क्रियान्वयन और दरभंगा में राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केंद्र की अविलंब स्थापना की मांग रखी।

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बिहार ने विशेष राज्य के दर्जे की सीधी मांग पूरी होती नहीं देख, दूसरा रास्ता अख्तियार किया है। अगले वित्तीय वर्ष के लिए केंद्रीय बजट में बिहार की हालत का हवाला देते हुए राज्य ने आधारभूत संरचनाओं के विकास और परिसंपत्तियों के सृजन पर व्यय के लिए बिहार स्पेशल प्लान के तहत 20 हजार करोड़ रुपए की स्वीकृति मांगी है। इसके साथ ही, बिहार जैसे पिछड़े राज्य की राजकोषीय घाटा सीमा को राज्य सकल घरेलू उत्पाद का 4 प्रतिशत करने की मांग रखी है। राज्य सरकार ने केंद्र प्रायोजित योजनाओं में बिहार को विशेष सहायता के रूप में केंद्र-राज्य का अंश 90:10 करने का प्रस्ताव दिया है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ राज्य व केंद्र शासित प्रदेश के वित्त मंत्रियों की बैठक में शुक्रवार को दिल्ली में बिहार के वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी ने इन मांगों के साथ अगले बजट के लिए कई सुझाव रखे।

30 से ज्यादा योजना दें तो पूरा फंड भी केंद्र दे

बजट-पूर्व इस बैठक में वित्त, वाणिज्य-कर एवं संसदीय कार्य मंत्री विजय चौधरी के साथ वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव डाॅ. एस. सिद्धार्थ भी मौजूद थे। बिहार की ओर से वित्त मंत्री चौधरी ने कहा कि केन्द्र प्रायोजित योजनाओं की संख्या को नीति आयोग के निर्णय के अनुसार 30 तक ही सीमित रखा जाए और अगर यह संख्या अधिक होती है तो उसकी शत प्रतिशत राशि भारत सरकार वहन करे। बिहार ने यह भी मांग रखी है कि 40 दिनो के अंदर योजना की राज्यांश राशि जमा करने की शर्त खत्म की जाए। राज्यों की आय बढ़ाने के लिए सेस और सरचार्ज को केंद्रीय विभाज्य पूल में शामिल किया जाए।

कोसी-मेची नदी जोड़ें, दरभंगा में मखाना अनुसंधान केंद्र जल्दी दें

चौधरी ने बजट के लिए मांगों का एक ज्ञापन भी वित्त मंत्री को सौंपा, जिसमें मुख्य रूप से प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की सड़कों के अनुरक्षण एवं रखरखाव में केंद्रांश की राशि राज्यों को उपलब्ध कराने, सुदूर इलाकों को जिला से जोड़ने के लिए अतिरिक्त सुलभ संपर्क योजना से राज्यों को राशि उपलब्ध कराने, समग्र शिक्षा के तहत शिक्षकों के वेतन मद में कटौती की गई राशि राज्यों को उपलब्ध कराने की मांग रखी गई। इस ज्ञापन में स्मार्ट प्रीपेड मीटर के लिए बिजली कंपनी को नाबार्ड से लोन का प्रावधान करने की भी मांग रखी गई और सभी राज्यों के लिए बिजली का रेट एक रखने का भी प्रस्ताव दिया गया। ज्ञापन में प्रधानमंत्री यशस्वी योजना को पिछड़ा वर्ग एवं अति पिछड़ा वर्ग के आठवीं तक के बच्चों को 50:50 के अनपता में छात्रवृत्ति की मांग की गई। बाकी लंबित मुद्दों के साथ बिहार के वित्त मंत्री ने कोसी-मेची नदी जोड़ योजना के क्रियान्वयन और दरभंगा में राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केंद्र की अविलंब स्थापना की मांग रखी।



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