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इनपुट- सीतामढ़ी से राकेश रंजन, समस्तीपुर से मुकेश कुमार, पूर्णिया से कुमार प्रवीण और नालंदा से अभिषेक कुमार
पटना. आज का युग डिजिटल युग है. आज कंप्यूटर आम जिंदगी का खास हिस्सा बन गया है. कंप्यूटर (Computer Education) के बिना कुछ भी सोच पाना आज के दौर में संभव नहीं है लेकिन बिहार में सरकारी स्कूलों में कंप्यूटर शिक्षा चौपट है. बिहार के सरकारी स्कूलों (Government Schools Of Bihar) में लाखों रुपये के कंप्यूटर के साथ-साथ महंगे उपकरण धूल फांक रहे हैं. बिहार के सरकारी स्कूलों में ज्यादातर कंप्यूटर लैब पर ताले लटके हैं. कई स्कूलों में तो कंप्यूटर लैब (Computer Lab) कबाड़खाना बन गया है.
सरकार डिजिटल और ऑनलाइन शिक्षा पर फोकस कर रही है. इसके साथ-साथ सब काम ऑनलाइन कराने की बात कर रही है लेकिन जब कंप्यूटर एजुकेशन की बात आती है तो डिजिटल एजुकेशन का मानों शटडाउन हो जाता है. बिहार से आई कम्प्यूटर शिक्षा की तस्वीरें बेहद कड़वी हैं. एक-एक तस्वीर, डिजिटल इंडिया के सपनों से खिलवाड़ की कहानी बयान करती है.
कंप्यूटर लैब कबाड़खाना
पहले बताते हैं सीतामढ़ी के बारें में. यहां पूरा कंप्यूटर लैब कबाड़खाना बना है. यहां एक-एक सिस्टम सड़ गया है. सीतामढ़ी के MP हाई स्कूल के गार्ड ने जब कंप्यूटर लैब का ताला खोला तो किवाड़ खुलते ही जो पहली तस्वीर नजर आई आई उससे हक्के-बक्के रह गए. लैब कबाड़ खाना बन गया है. सीतामढ़ी के कंप्यूटर लैब में दम घुटने लगता है. गार्ड ने बताया कि सालों से ये लैब लॉक है और सालों से बच्चों का डिजिटल एजुकेशन शट डाउन पड़ा है. प्रिंसिपल मैडम कहती हैं कंप्यूटर खराब है, नया सिस्टम चाहिए
भविष्य को आलमीरा में ताला
समस्तीपुर के गर्ल्स हाई स्कूल में बेटियों को कंप्यूटर शिक्षा देने के लिए 10 कंप्यूटर लगाए गए थे लेकिन यहां पर बेटियों के भविष्य को आलमीरा में ताला जड़ कर रखा गया है. 2017 के बाद से समस्तीपुर गर्ल्स हाई स्कूल में कंप्यूटर एजुकेशन बंद है. सरकार कहती है सब काम ऑनलाइन कराएंगे लेकिन जब कंप्यूटर शिक्षा की बात आती है तो शिक्षा महकमा मानों कान में रूई डाल लेता हो. प्रधानाध्यापक मैम का कहना है कि स्कूल में कंप्यूटर शिक्षक नहीं होने से कंप्यूटर की पढ़ाई नहीं हो पा रही है..
संदूक में कंप्यूटर
बिहार के दरभंगा स्थित प्लस टू हाई स्कूल की कहानी भी दर्दभरी है. यहां संदूक में कंप्यूटर को बंद कर बच्चों को डिजिटली एजुकेट किया जा रहा है. स्कूल के प्रिंसिपल साहब की दलील और हैरान करने वाली है. उन्होंने कंप्यूटर को संभालकर रखने के लिए पूरे 10 हजार रुपये खर्च किए हैं तब जाकर 10 हजार के इस बक्से में सरकारी सिस्टम को संभाला गया है.
धूल फांक रहा कंप्यूटर
पूर्णिया के गर्ल्स हाई स्कूल का कंप्यूटर लैब पिछले 12 सालों से है लेकिन यहां 10 कंप्यूटर धूल फांक रहा है. शुरुआती दिनों में कुछ क्लास चला लेकिन जैसे ही कांट्रेक्चुअल टीचर का टेन्योर खत्म हुआ कंप्यूटर एजुकेशन शट डाउन हो गया. गर्ल्स हाई स्कूल के शिक्षक पप्पू कुमार सिंह मानते हैं कि कंप्यूटर रहने के बावजूद छात्राओं को कोई फायदा नहीं मिल रहा. पूर्णिया गर्ल्स हाई स्कूल के कंप्यूटर लैब में जब हमारी टीम पहुंची तो आनन-फानन में धूल फांकते कंप्यूटर की सफाई शुरू हो गई. जब हम बच्चों से बात कर रहे थे उसी वक्त कंप्यूटर टेबल का तख्ता टूटकर गिर गया.
कंप्यूटर लैब बेहाल
सीएन नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा में भी बच्चों के लिए हाईटेक युग में कंप्यूटर की शिक्षा सपने जैसा बना हुआ है. नालंदा के सिलाव प्रखंड क्षेत्र के रासबिहारी हाई स्कूल का कंप्यूटर लैब बेहाल है. यही है बिहार में डिजिटल एजुकेशन की नियति. सरकार ने स्कूलों को कंप्यूटर तो दे दिया लेकिन टीचर नहीं हैं, तो फिर इन कंप्यूटर्स को कौन संभाले.
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