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उन्होंने अपने बड़े बेटे विजय प्रकाश झा उर्फ सुधीर झा को बुलाया और कहा की तुम संकल्प करो की मेरे मरने के बाद तुम सिर्फ कर्म कर देना और समाज में भोज नहीं करना। उस भोज के पैसे से समाज के लिए उस महत्वपूर्ण सड़क पर एक पुल मेरे याद में बना देना। उन्होंने कहा था कि दोनों सड़क के बीच में पानी और कीचड़ भरे जगह पर पुल बन जाने से दोनों सड़क आपस में मिल जाएगा और लोगों को आवागमन में काफी सुविधा होगी। इससे लगभग 25 हजार की आबाद को नरार गांव सहित विभिन्न इलाकों में आने जाने में काफी सहूलियत होगी।
उनके बड़े बेटे विजय प्रकाश झा उर्फ सुधीर झा ने प्रण ले रखा था कि पिता के देहांत के बाद यह पुल बनाना सबसे पहली प्राथमिकता उनके जीवन का होगा। 2020 में उनके पिताजी का देहांत हो गया। उन्होंने बताया कि बीच के 2 साल कोरोना काल विश्व एवं भारत त्राहिमाम कर रहा था। जिस वजह से पुल निर्माण कार्य नहीं हो सका। उन्होंने बताया कि जैसे ही करोना काल से देश उबरा तो उन्होंने मिस्त्री रखकर तुरंत पुल निर्माण का कार्य शुरू कर पूरी तरह से पुल निर्माण पूरा कर दिया। पुल से लोगों का आवागमन शुरू हो चुका है। उन्होंने अपने दिवंगत पिता महादेव झा के नाम का पुल पर बोर्ड लगा कर समाज को समर्पित कर दिया।
इस पंचायत के मुखिया जितेन्द्र कुमार ने कहा पुल के लिये मंत्री विधायक सांसद को कहा लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। मुखिया ने कहा युवक विजय ने दिवंगत पिता की याद में पुल बनाकर समाज के लिए एक उदाहरण पेश किया है। लोग भोज में लाखों खर्च करते हैं लेकिन समाज के लिए कुछ नहीं कर पाते हैं। ग्रामीण ने बताया कि भूतपूर्व सरपंच विजय प्रकाश झा ने अपने निजी स्तर से करीब 5 लाख का पूल बनाकर समाज को समर्पित कर लोगों के लिए एक विकास को लेकर समाज में मिसाल कायम करते हुए एक अच्छा संदेश देने का काम किया है।
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