Home Bihar कयास : बिहार की सियासत से भरा सीएम नीतीश कुमार का मन.. बन सकते हैं उपराष्ट्रपति, कभी राज्यसभा न जाने का जिक्र किया तो छिड़ी चर्चा

कयास : बिहार की सियासत से भरा सीएम नीतीश कुमार का मन.. बन सकते हैं उपराष्ट्रपति, कभी राज्यसभा न जाने का जिक्र किया तो छिड़ी चर्चा

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कयास : बिहार की सियासत से भरा सीएम नीतीश कुमार का मन.. बन सकते हैं उपराष्ट्रपति, कभी राज्यसभा न जाने का जिक्र किया तो छिड़ी चर्चा

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अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली।

द्वारा प्रकाशित: Jeet Kumar
अपडेट किया गया शुक्र, 01 अप्रैल 2022 04:54 AM IST

सार

नीतीश की अब तक राज्यसभा का सदस्य न बनने के जिक्र के बाद कयासों का बाजार गर्म है। चर्चा है कि एक सहमति के तहत भाजपा उन्हें उपराष्ट्रपति बना सकती है। ऐसे में राज्य में मुख्यमंत्री भाजपा का होगा और इसके बदले जदयू को दो उपमुख्यमंत्री का पद मिलेगा।

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बुधवार को बिहार के सीएम नीतीश कुमार की अपनी लंबे राजनीतिक जीवन में एक बार भी राज्यसभा न जाने के जिक्र ने राज्य के सियासी तापमान को गर्म कर दिया है। सियासी गलियारे में इसे नीतीश के बिहार की सियासत से मन भरने के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि राज्य की सत्ता में बदलाव को लेकर भाजपा और जदयू के बीच अब तक कोई बातचीत नहीं हुई है।

भाजपा सूत्रों का कहना है कि नीतीश ने इस आशय का जिक्र पत्रकारों के साथ अनौपचारिक बातचीत में किया था। पार्टी के समक्ष उन्होंने इस संबंध में अब तक कुछ नहीं कहा है। अगर नीतीश भाजपा के समक्ष इस आशय की इच्छा व्यक्त करेंगे, तब राज्य की सियासत में बदलाव के लिए संभावित फार्मूले पर बातचीत होगी।

क्या है चर्चा?
नीतीश की अब तक राज्यसभा का सदस्य न बनने के जिक्र के बाद कयासों का बाजार गर्म है। चर्चा है कि एक सहमति के तहत भाजपा उन्हें उपराष्ट्रपति बना सकती है। ऐसे में राज्य में मुख्यमंत्री भाजपा का होगा और इसके बदले जदयू को दो उपमुख्यमंत्री का पद मिलेगा।

आसान नहीं है इस फाॅर्मूले को लागू करना
इस फार्मूले को लागू करना आसान नहीं है। दरअसल अगर नीतीश उपराष्ट्रपति बने तो वह सकि्रय राजनीति से दूर हो जाएंगे। ऐसे में जदयू के पास ऐसा कोई नेता नहीं है, जो पार्टी को संभाल पाए। किसी एक नेता पर सहमति बनाना भी आसान नहीं है। इससे जदयू में भगदड़ की स्थिति बन सकती है।

नीतीश का सियासी दांव तो नहीं?
नीतीश की इच्छा को उनका सियासी दांव भी माना जा रहा है। दरअसल जदयू के पास इस बार भाजपा के मुकाबले आधी सीटें हैं। नीतीश फिर से मुख्यमंत्री तो बन गए हैं, मगर सरकार में उनकी पुरानी धमक नहीं है। उन्हें कई बार भाजपा के समक्ष हथियार डालने पड़े हैं। ऐसे में नीतीश बिहार की सियासत से हटने का संकेत दे कर सियासी हवा का रुख भांपना चाहते हैं।

लगातार बढ़ रहा है भाजपा का दायरा
विधानसभा चुनाव के बाद सीटों के मामले में भाजपा का दायरा लगातार बढ़ रहा है। सहयोगी वीआईपी के तीन विधायकों को साधने के बाद भाजपा के विधायकों की संख्या 77 हो गई है। यह भी कहा जा रहा है कि कांग्रेस के कई विधायक भाजपा के संपर्क में हैं।

विस्तार

बुधवार को बिहार के सीएम नीतीश कुमार की अपनी लंबे राजनीतिक जीवन में एक बार भी राज्यसभा न जाने के जिक्र ने राज्य के सियासी तापमान को गर्म कर दिया है। सियासी गलियारे में इसे नीतीश के बिहार की सियासत से मन भरने के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि राज्य की सत्ता में बदलाव को लेकर भाजपा और जदयू के बीच अब तक कोई बातचीत नहीं हुई है।

भाजपा सूत्रों का कहना है कि नीतीश ने इस आशय का जिक्र पत्रकारों के साथ अनौपचारिक बातचीत में किया था। पार्टी के समक्ष उन्होंने इस संबंध में अब तक कुछ नहीं कहा है। अगर नीतीश भाजपा के समक्ष इस आशय की इच्छा व्यक्त करेंगे, तब राज्य की सियासत में बदलाव के लिए संभावित फार्मूले पर बातचीत होगी।

क्या है चर्चा?

नीतीश की अब तक राज्यसभा का सदस्य न बनने के जिक्र के बाद कयासों का बाजार गर्म है। चर्चा है कि एक सहमति के तहत भाजपा उन्हें उपराष्ट्रपति बना सकती है। ऐसे में राज्य में मुख्यमंत्री भाजपा का होगा और इसके बदले जदयू को दो उपमुख्यमंत्री का पद मिलेगा।

आसान नहीं है इस फाॅर्मूले को लागू करना

इस फार्मूले को लागू करना आसान नहीं है। दरअसल अगर नीतीश उपराष्ट्रपति बने तो वह सकि्रय राजनीति से दूर हो जाएंगे। ऐसे में जदयू के पास ऐसा कोई नेता नहीं है, जो पार्टी को संभाल पाए। किसी एक नेता पर सहमति बनाना भी आसान नहीं है। इससे जदयू में भगदड़ की स्थिति बन सकती है।

नीतीश का सियासी दांव तो नहीं?

नीतीश की इच्छा को उनका सियासी दांव भी माना जा रहा है। दरअसल जदयू के पास इस बार भाजपा के मुकाबले आधी सीटें हैं। नीतीश फिर से मुख्यमंत्री तो बन गए हैं, मगर सरकार में उनकी पुरानी धमक नहीं है। उन्हें कई बार भाजपा के समक्ष हथियार डालने पड़े हैं। ऐसे में नीतीश बिहार की सियासत से हटने का संकेत दे कर सियासी हवा का रुख भांपना चाहते हैं।

लगातार बढ़ रहा है भाजपा का दायरा

विधानसभा चुनाव के बाद सीटों के मामले में भाजपा का दायरा लगातार बढ़ रहा है। सहयोगी वीआईपी के तीन विधायकों को साधने के बाद भाजपा के विधायकों की संख्या 77 हो गई है। यह भी कहा जा रहा है कि कांग्रेस के कई विधायक भाजपा के संपर्क में हैं।

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