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सूखा कचरे में अखबार कागज और पन्नी शीशा का ठोस अपशिष्ट पदार्थ आता है। दोनों कचरे का अलग-अलग छटाई किया जाता है। कचरे को जैविक खाद के रूप में तैयार करने में छह महीने का समय लगता है। गीला कचरे को अपशिष्ट के रूप में एक गड्ढे में डालकर छोड़ दिया जाता है, जिससे एक कंपोस्ट जैविक खाद के रूप में तैयार हो जाता है।
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इसी तरह एक-दूसरा कंपोस्ट खाद को तैयार किया जाता है। बघनगरी पंचायत में जितने भी पेड़ पौधे लगाए गए हैं, सभी में जैविक खाद उपयोग होता है। यहां के लोगों को बाजार से उपलब्ध खादों पर निर्भरता घटता जा रहा है। मांग के अनुरूप जैविक खाद उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। एक पंचायत से जितनी जैविक खाद की जरूरत है उतनी उत्पाद कर पूर्ति भी नहीं किया जा सकता है।
बघनगरी पंचायत के जनता भी काफी जागरूक हैं। स्वच्छता के प्रति भी लोगों में काफी संवेदना है। कैंसर रोगों का खतरा भी बढ़ता जा रहा है, उसका सबसे बड़ा कारण कचरे से निकलने वाला प्रदूषण है। पंचायत प्लास्टिक मुक्त हो इसके लिए एक रुपये रोज का यूजर चार्ज भी लोग दे रहे हैं। इसी यूजर चार्ज से यहां के स्वच्छता मित्र को पेमेंट किया जाता है और इस काम में लगभग 17 से 20 लोगों को रोजगार दिया गया है। मुखिया बबिता कुमारी ने बताया कि कचरे से पंचायत में जो जैविक खाद उपलब्ध कराया जाता है। तीन रुपए किलो किसानों को दिया जाता है।
रिपोर्ट: के रघुनाथ
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