Home Bihar ओठ कटा है, बाईं कलाई नहीं…इसलिए पटना में तीन साल पहले बच्चे को मां-बाप छोड़ गए, अब अमेरिकी दंपति ने लिया गोद

ओठ कटा है, बाईं कलाई नहीं…इसलिए पटना में तीन साल पहले बच्चे को मां-बाप छोड़ गए, अब अमेरिकी दंपति ने लिया गोद

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ओठ कटा है, बाईं कलाई नहीं…इसलिए पटना में तीन साल पहले बच्चे को मां-बाप छोड़ गए, अब अमेरिकी दंपति ने लिया गोद

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पटना का बच्चा अब अमेरिका में रहेगा।

पटना का बच्चा अब अमेरिका में रहेगा।
– फोटो : Social Media

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लड़का था, मगर दिव्यांग। ओठ कटा था, इसलिए चेहरा खराब दिखता था। बाईं कलाई तो थी ही नहीं। शायद यही कारण होगा कि तीन साल पहले पटना में ब्रिकम के भादवा गांव में उसे मां-बाप लावारिस छोड़ गए। बच्चे को ‘बदकिस्मत’ साबित करने का प्रयास करने वाली यह तीन साल पुरानी कहानी है। नया ट्वीस्ट यह है कि अमेरिका की एक दंपती उस बच्चे को गोद ले रही है। कागजी प्रक्रिया हो गई है। पासपोर्ट बनने की देर है, बस। इधर पासपोर्ट बना और उधर बच्चा अमेरिकी दंपति का दत्तक पुत्र हो जाएगा। अमेरिका की नागरिकता हासिल करेगा। तीन साल तक बच्चे को पालने वाली संस्था, दत्तक ग्रहण की अनुमति देने वाले अधिकारी और उस बच्चे के आसपास रहने वाले लोग अब उसकी खुशकिस्मती की कहानी बनाते नहीं थक रहे।

जरूरतमंद भारतीय बच्चे को पालने की चाहत ले आई यहां
तीन साल पहले बिक्रम में जब यह बच्चा मिला तो अनाम था, गुमनाम था। एक निजी संस्था ने उसे पालन पोषण के लिए रखा और नाम दिया- अर्जित। अर्जित को उसके रूप और इस तरह मां-बाप के परित्याग के कारण लोग बदकिस्मत कहते थे, लेकिन जब दो बेटों और एक बेटी के अभिभावक करलिन राय मिलर और कैथरिन सुचिविलन मिलर ने संस्था से उसे गोद लेने की इच्छा बताई तो सब चौंक गए। वाशिंगटन की इस मिलर दंपति ने एक बार भारत भ्रमण के दौरान यहां की संस्कृति से खुश होकर यह मन बनाया था कि किसी जरूरतमंद भारतीय बच्चे को गोद लेंगे। अर्जित उनकी पसंद बना तो सब चौंक गए।

सरकारी अनुमति पर गोद लियापासपोर्ट के लिए आवेदन भी
उम्मीद जगी थी, मगर बहुत धूमिल। लेकिन, मिलर दंपति का इरादा पक्का था। इसलिए, दानापुर के अनुमंडल पदाधिकारी प्रदीप सिंह से अनुमति के बाद मिलर दंपति ने सृजनी दत्तक संस्थान आकर कागजी कानूनी प्रक्रिया पूरी की। जिला बाल संरक्षण के सहायक निदेशक उदय कुमार की गवाही में अर्जित को गोद लेने की प्रक्रिया पूरी हो गई है। इस प्रक्रिया के साथ ही मिलर दंपति ने अर्जित को अपने साथ अमेरिका ले जाने के लिए पासपोर्ट का ऑनलाइन आवेदन भी कर दिया और वीजा के लिए तैयारी भी कर ली।

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लड़का था, मगर दिव्यांग। ओठ कटा था, इसलिए चेहरा खराब दिखता था। बाईं कलाई तो थी ही नहीं। शायद यही कारण होगा कि तीन साल पहले पटना में ब्रिकम के भादवा गांव में उसे मां-बाप लावारिस छोड़ गए। बच्चे को ‘बदकिस्मत’ साबित करने का प्रयास करने वाली यह तीन साल पुरानी कहानी है। नया ट्वीस्ट यह है कि अमेरिका की एक दंपती उस बच्चे को गोद ले रही है। कागजी प्रक्रिया हो गई है। पासपोर्ट बनने की देर है, बस। इधर पासपोर्ट बना और उधर बच्चा अमेरिकी दंपति का दत्तक पुत्र हो जाएगा। अमेरिका की नागरिकता हासिल करेगा। तीन साल तक बच्चे को पालने वाली संस्था, दत्तक ग्रहण की अनुमति देने वाले अधिकारी और उस बच्चे के आसपास रहने वाले लोग अब उसकी खुशकिस्मती की कहानी बनाते नहीं थक रहे।

जरूरतमंद भारतीय बच्चे को पालने की चाहत ले आई यहां

तीन साल पहले बिक्रम में जब यह बच्चा मिला तो अनाम था, गुमनाम था। एक निजी संस्था ने उसे पालन पोषण के लिए रखा और नाम दिया- अर्जित। अर्जित को उसके रूप और इस तरह मां-बाप के परित्याग के कारण लोग बदकिस्मत कहते थे, लेकिन जब दो बेटों और एक बेटी के अभिभावक करलिन राय मिलर और कैथरिन सुचिविलन मिलर ने संस्था से उसे गोद लेने की इच्छा बताई तो सब चौंक गए। वाशिंगटन की इस मिलर दंपति ने एक बार भारत भ्रमण के दौरान यहां की संस्कृति से खुश होकर यह मन बनाया था कि किसी जरूरतमंद भारतीय बच्चे को गोद लेंगे। अर्जित उनकी पसंद बना तो सब चौंक गए।

सरकारी अनुमति पर गोद लियापासपोर्ट के लिए आवेदन भी

उम्मीद जगी थी, मगर बहुत धूमिल। लेकिन, मिलर दंपति का इरादा पक्का था। इसलिए, दानापुर के अनुमंडल पदाधिकारी प्रदीप सिंह से अनुमति के बाद मिलर दंपति ने सृजनी दत्तक संस्थान आकर कागजी कानूनी प्रक्रिया पूरी की। जिला बाल संरक्षण के सहायक निदेशक उदय कुमार की गवाही में अर्जित को गोद लेने की प्रक्रिया पूरी हो गई है। इस प्रक्रिया के साथ ही मिलर दंपति ने अर्जित को अपने साथ अमेरिका ले जाने के लिए पासपोर्ट का ऑनलाइन आवेदन भी कर दिया और वीजा के लिए तैयारी भी कर ली।



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