
[ad_1]

औरंगाबाद: हादसे में घायल युवक को बेहतर इलाज के लिए रेफर किया गया।
– फोटो : अमर उजाला
ख़बर सुनें
विस्तार
आदमी की जिंदगी का मोल नहीं समझने वाले ही ऐसा कर सकते हैं, जो औरंगाबाद में स्कॉर्पियो सवार लोगों ने किया। कुटुम्बा थाना क्षेत्र के परसावां मोड़ के पास शुक्रवार सुबह एक तेज रफ्तार स्कॉर्पियो ने बाइक में जबरदस्त टक्कर मार दी। बाइक सवार 22 साल का युवक उछलता हुआ गड्ढे में गिर गया। भीड़भाड़ होती तो लोग देख भी लेते, लेकिन इलाका उस समय वीरान था। जांच टूटने के कारण युवक वहीं पड़ा रोता रहा। कराहता रहा। करीब तीन घंटे में वह कई बार दर्द से बेसुध भी हुआ, लेकिन फिर हिम्मत कर आवाज लगाई तो लोगों ने कुटुम्बा रेफरल अस्पताल में भर्ती कराया। यहां से प्राथमिक उपचार के बाद चिकित्सकों ने उसे औरंगाबाद सदर अस्पताल रेफर किया। वहां से भी उसकी बुरी हालत और इलाज में हुई देर के कारण रेफर कर दिया गया। युवक कुटुम्बा निवासी मंटू सिंह का पुत्र मनीष कुमार है।
पुलिस को भी बहुत देर से मिली जानकारी
युवक गुरुवार को देर शाम बारात में शामिल होने नवीनगर गया था। वहीं से शुक्रवार को सुबह करीब 5 बजे बाइक से वापस लौट रहा था। इसी दौरान यह हादसा हुआ, जिसमें वह गंभीर रूप से घायल हो गया। युवक जिस जगह पर हादसे में घायल हुआ, उस जगह से कुटुम्बा थाना की दूरी करीब 10 किलोमीटर है। रात्रि गश्ती खत्म होने के बाद और सुबह की पुलिस गश्ती शुरू होने के बीच एक-दो घंटे का अंतराल रहता ही है, इसलिए पुलिस को भी घटना की जानकारी घायल के अस्पताल पहुंचने के बाद हुई। पुलिस को सूचना मिलने तक परिजन युवक को बेहतर इलाज के लिए जिला से निकल चुके थे।
रक्तस्राव से जान का खतरा: डॉ. अमूल्य
बिहार में पटना छोड़कर किसी शहर में ट्रॉमा सेंटर जैसी सुविधा नहीं है। पटना में भी यह सुविधा प्राइवेट स्तर पर ही है। बाकी शहरों में ऐसी व्यवस्था नहीं रहने के कारण सड़क हादसे में घायल होने पर इलाज में मुश्किल आती है। ज्यादातर मौतें समय पर इलाज नहीं मिल पाने के कारण होती हैं। पटना के प्रख्यात हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. अमूल्य सिंह कहते हैं कि सड़क हादसे में चोटग्रस्त व्यक्ति को इस तरह छोड़ना भारी अपराध है। कानूनी से ज्यादा सामाजिक। सड़क हादसे में रक्तस्राव के कारण बहुत ज्यादा मौतें होती हैं। रक्तस्राव अंदरूनी भी हो सकता है। इसके अलावा हड्डियों के खिसकने से भी नस क्षतिग्रस्त होने का बहुत डर रहता है। इसलिए किसी हालत में ऐसे घायल की अनदेखी नहीं की जानी चाहिए।
[ad_2]
Source link