![उपेंद्र कुशवाहा बोले- जदयू बीमार है, कई बड़े नेता भाजपा के संपर्क में…पार्टी ही बार-बार भाजपा के साथ जाती है उपेंद्र कुशवाहा बोले- जदयू बीमार है, कई बड़े नेता भाजपा के संपर्क में…पार्टी ही बार-बार भाजपा के साथ जाती है](https://muzaffarpurwala.com/wp-content/uploads/https://staticimg.amarujala.com/assets/images/2023/01/22/750x506/upendra-kushwaha-with-bjp-leaders-commented_1674384996.jpeg)
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![उपेंद्र कुशवाहा बोले- जदयू बीमार है, कई बड़े नेता भाजपा के संपर्क में...पार्टी ही बार-बार भाजपा के साथ जाती है पटना एयरपोर्ट पर उपेंद्र कुशवाहा ने निकाली भड़ास।](https://staticimg.amarujala.com/assets/images/2023/01/22/750x506/upendra-kushwaha-with-bjp-leaders-commented_1674384996.jpeg?w=414&dpr=1.0)
पटना एयरपोर्ट पर उपेंद्र कुशवाहा ने निकाली भड़ास।
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने एक बार फिर कहा है कि उनकी पार्टी जनता दल यूनाईटेड बीमार है। कमजोर हो रही है। उसके इलाज की जरूरत है। कुशवाहा ने यह भी कहा कि पार्टी के कई बड़े नेता भाजपा के लगातार संपर्क में हैं तो पार्टी को कमजोर स्वीकार करना ही चाहिए। ऐसे में अगर भाजपा का कोई नेता मुझसे अस्पताल में मिलने आता है तो इतना हंगामा करने की जरूरत नहीं। उन्होंने इस भेंट पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बयान को लेकर भी तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि जदयू रणनीति और वक्त के हिसाब से दो-तीन बार भाजपा के साथ जाकर लौट चुका है, इसलिए मेरी एक मुलाकात पर ऐसी बात का आना उचित नहीं है। कुशवाहा ने कहा कि मीडिया के जरिए मुझे यह पता चल रहा है कि मेरे मन की बात समझने के लिए नीतीश जी से बात करने के लिए कहा जा रहा है, यह भी गलत है। मुझे उनसे बात करना होगा तो मीडिया की इसमें जरूरत नहीं है।
::किस बात पर किस अंदाज में क्या जवाब दिया::
भाजपा में शामिल होने के सवाल पर…
भाजपा के किसी नेता से मुलाकात का यह अर्थ निकालना गलत है। भाजपा के नेताओं से हमारी पार्टी का जो जितना बड़ा नेता है, वह उतना ही ज्यादा संपर्क में है। उपेंद्र कुशवाहा से अस्पताल में मुलाकात की एक तस्वीर क्या आ गई, बात का बतंगड़ बना दिया गया। इसका कोई मतलब है क्या? व्यक्तिगत संबंध किसी के साथ किसी का हो सकता है।
भाजपा नेताओं के साथ तस्वीर पर प्रतिक्रिया को लेकर…
रास्ते में जानकारी मिली। दिल्ली में एक व्यक्ति है, जो अस्पताल में सौ फीसदी जिंदा है। उसका पोस्टमार्टम बिहार में लोग कर रहे हैं। चिकित्सा विज्ञान की यह नवीनतम तकनीक है। यह देखा है इस बार।
पार्टी बदलते रहने का नीतीश कुमार का बयान
इसका क्या मतलब है? हम यह कह रहे हैं कि हमारी पार्टी (जदयू) दो बार, तीन बार भारतीय जनता पार्टी के संपर्क में गई और फिर उससे अलग भी हुई। पूरी पार्टी जब अपनी रणनीति के हिसाब से जो आवश्यक होता है, करती है। और, मेरे बारे में चले गए कभी तो उसको लेकर चर्चा करना…यह कोई बात है क्या?
पार्टी बदलने के फैसले को लेकर स्वतंत्रता पर…
किस बात का फैसला? मेरे अलावा यह कौन तय कर सकता है? आप या कोई और थोड़े ही तय कर सकता है। हम जेडीयू में हैं और हमारी चिंता का विषय है कि जेडीयू कमजोर हो रहा है।
जदयू के कमजोर होने की बात पर…
यह हमारे लिए चिंता का विषय है कि जेडीयू कमजोर हो रहा है। इसकी मजबूती के लिए हम लगातार प्रयास कर रहे हैं। लगातार हमारा यह प्रयास जारी हो रहा है। सब लोग…एक-एक व्यक्ति, जो भी नेता हैं…सब से अलग-अलग बात कीजिए तो सब लोग कमजोरी की बात करते हैं। यह अलग बात है कि कोई कैमरा के सामने नहीं बोलते हैं। अगर कोई कमजोरी है, बीमारी है तो इसे स्वीकार करना होगा। स्वीकार नहीं करेंगे तो ट्रीटमेंट कैसे होगा? 100 प्रतिशत ट्रीटमेंट हो सकता है।
नीतीश कुमार से बात करेंगे क्या…
नीतीश जी से बात करने के लिए माध्यम की जरूरत नहीं होगी उपेंद्र कुशवाहा को। जिस रूप में यह बातें प्रचारित हुई हैं, यह मैसेज आप लोग दे रहे हैं कि उपेंद्र कुशवाहा जी बात कर लेंगे मुख्यमंत्री जी से। मैसेज की जरूरत होगी तो एक मिनट में बात कर लेंगे।
आपकी अपनी पार्टी क्या वापस जिंदा होगी…
जिस बात की कोई चर्चा नहीं है, उसे तूल दे रहे हैं। पार्टी (जदयू) की कमजोरी को कोई व्यक्ति बोल रहा है तो इस बात का अर्थ की जगह अनर्थ निकाला जा रहा है। क्या मतलब है?
अपने संगठन की सक्रियता को लेकर…
महात्मा फुले समता परिषद् सामाजिक संगठन है, राजनीतिक नहीं है। दो फरवरी पर शहीद जगदेव बाबू की जयंती पर हर जिले में कार्यक्रम करना है। उसकी तैयारी हो रही है। इस संगठन को भी नीचे गांव-गांव तक पहुंचाने के लिए सभी लोग नीचे तक काम कर रहे हैं। यह संगठन जिंदा है। इसका राजनीतिक मकसद है। दूसरे दल के लोग भी करते हैं। यह पहले भी होता रहा है कार्यक्रम। दो साल में पार्टी के लोगों ने भी इसमें हिस्सा लिया।
आगे की रणनीति के सवाल पर…
पार्टी (जदयू) को मजबूत करना है। यही रणनीति है।
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