Home Bihar उत्तर बिहार के सियासत की वो चौंकाने वाली कहानी… जब कांग्रेसियों ने अपने बेटों को नहीं सौंपी विरासत

उत्तर बिहार के सियासत की वो चौंकाने वाली कहानी… जब कांग्रेसियों ने अपने बेटों को नहीं सौंपी विरासत

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उत्तर बिहार के सियासत की वो चौंकाने वाली कहानी… जब कांग्रेसियों ने अपने बेटों को नहीं सौंपी विरासत

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संदीप कुमार, मुजफ्फरपुर : बिहार का सियासी इतिहास जब भी लिखा जाएगा, उसमें तिरहुत प्रक्षेत्र की राजनीति जरूर शामिल होगी। उत्तर बिहार की आर्थिक राजधानी मुजफ्फरपुर बड़े राजनीति फैसलों का गढ़ रही। आज हम आपको बताने जा रहे हैं उत्तर बिहार की सियासत में मुख्य भूमिका निभाने वाले दो दिग्गज कांग्रेसी नेताओं की कहानी। ये दो दिग्गज नेता हैं- ललितेश्वर प्रसाद शाही और रघुनाथ पांडेय। वैसे तो दोनों नेताओं का व्यक्तित्व बिल्कुल जुदा रहा, लेकिन इन दोनों में कुछ चीजें समान्य थीं। दोनों राजनेता सूक्ष्म दृष्टि और अग्रसोची, सहनशील, धैर्यवान, खुशमिजाज और मृदुभाषी रहे। इन दोनों नेताओं के एक दूसरे से एक बात और जोड़ती है, वो है इनके राजनीतिक फैसले। इन्होंने अपनी सियासी विरासत को लेकर जो फैसला लिया, वो बाद में उदाहरण बन गया।

बेटों को नहीं सौंपी विरासत

दोनों नेताओं ने अपनी सियासी विरासत को अपने बेटों को नहीं सौंपा। ललितेश्वर प्रसाद शाही और रघुनाथ पांडेय ने अपनी राजनीतिक विरासत को अपनी बहुओं को सौंप दिया। वीणा शाही स्व. ललितेश्वर प्रसाद शाही की बहू हैं। वे पांच बार चुनाव लड़ चुकी हैं। जिसमें 2 बार जीत भी चुकी हैं। वहीं, वीणा शाही की बेटी विदिशा शाही पहले से कांग्रेस में हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे एलपी शाही की पुत्रबधु और पूर्व मंत्री वीणा शाही और उनकी पुत्री डॉ .उज्ज्वला मिश्रा भी राजनीति में सक्रिय हैं। वीणा शाही वैशाली से दो बार विधायक रह चुकी हैं। एलपी शाही के दो पुत्र डॉ.शरद कुमार शाही और पूर्व विधायक हेमंत शाही दिवंगत हो चुके हैं। जिसके बाद उन्होंने अपनी राजनीतिक विरासत अपनी बहू किरण शाही और वीणा शाही को सौंप दी थी।

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कांग्रेस से जुड़ी वीणा

हालांकि, वीणा शाही मार्च 2009 मे कांग्रेस को छोड़ जदयू में चली गईं। दलबदल के बाद पूर्व मंत्री वीणा शाही ने प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व पर टिकट बांटने में रुपयों के भारी लेन-देन का आरोप लगाया।। उन्होंने दावा किया कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अनिल शर्मा और बिहार के प्रभारी सरदार इकबाल सिंह ने उनके एक परिचित से दस लाख रुपये लिये और लोकसभा सीट से टिकट दे दिया। इस आरोप के बाद कांग्रेस में हड़कंप मच गया था। श्रीमती शाही ने कहा था कि कांग्रेस के पास खुद को साबित करने का मौका था लेकिन अनिल शर्मा और इकबाल सिंह की जोड़ी ने सबकुछ बर्बाद कर दिया।

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वीणा शाही के राजनीतिक फैसले

जेडीयू को छोड़कर 2010 में पूर्व मंत्री वीणा शाही राजद में चली गयीं। उसके बाद राजद सुप्रीमों लालू यादव ने वीणा शाही को राजद का प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया। राजद से मोहभंग होने के बाद 2014 पूर्व मंत्री सह राजद की प्रदेश उपाध्यक्ष वीणा शाही भाजपा में शामिल हो गईं। उन्होंने उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मंगल पांडेय के समक्ष सदस्यता ग्रहण किया। उनके साथ ही उनके दामाद हर्ष कुमार भी बीजेपी में शामिल हो गए। मंगल पांडेय ने कहा था कि वीणा शाही के आने से पार्टी को मजबूती मिलेगी। मगर अचानक अक्टूबर 2020 में पहले चरण के चुनाव के ठीक एक दिन पहले भाजपा को बड़ा झटका देते हुए वीणा शाही ने भाजपा का दामन छोड़कर कांग्रेस के साथ हो गईं।

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पांडेय परिवार की भूमिका

मुजफ्फरपुर का जब भी इतिहास लिखा जायेगा तो उसमें एक सुनहरा पन्ना, बिहार सरकार के पूर्व मंत्री स्वर्गीय रघुनाथ पांडेय के नाम का भी होगा। मुजफ्फरपुर में कांग्रेस पार्टी की मजबूत नींव रखी गयी तो उसमें भी रघुनाथ पांडेय का ही योगदान था। कांग्रेस के पुराने नेताओं में रधुनाथ पांडेय की जबरदस्त पैठ थी और मंत्रिमंडल के कई मंत्री रघुनाथ बाबू के मुरीद थे। रघुनाथ पांडेय के निधन के बाद उनके कामों को आगे बढ़ाया उनके बेटे अमर पांडेय ने। अमर पाण्डेय का नाम बिहार के सफल उद्योगपति में आता है, अमर पांडेय ने अपने पिता के सपनों को नई ऊंचाई दी और मुजफ्फरपुर में व्यापार के दृष्टिकोण से बहुत कुछ किया। अमर टॉकीज मुजफ्फरपुर का सबसे प्रसिद्ध सिनेमाघर भी उनका ही है। इसके अलावा ट्रांसपोर्ट के फील्ड में अमर ज्योति बस सर्विस भी पांडेय परिवार की देन है।

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बहू को सौंपी विरासत

रघुनाथ पांडेय ने अपनी राजनीतिक विरासत एकमात्र पुत्र अमर पांडे को न सौंप कर अपनी पुत्रवधू विनीता विजय को सौंप दिया। जिला कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में राजनीतिक जीवन की अभियान शुरुआत करने वाली विनीता विजय कालांतर में बिहार प्रदेश कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष भी बनीं। इस बीच उन्होंने मुजफ्फरपुर नगर विधानसभा क्षेत्र से दो बार कांग्रेस की प्रत्याशी रहीं। एक बार मुजफ्फरपुर संसदीय क्षेत्र से भी प्रत्याशी रहीं। हालांकि तीनों मौकों पर उन्हें पराजय झेलनी पड़ी। एक ऐसा दौर भी आया जब तिलक मैदान की जमीन को लेकर खड़े हुए विवाद के कारण विनीता विजय ने कांग्रेस को अलविदा कह दिया और भाजपा में शामिल हो गईं। इसके साथ ही जिला कांग्रेस में रघुनाथ पांडे युग का अंत हो गया।

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