Home Bihar ईशान की दादी अगला मैच स्टेडिय में देखना चाहेंगी, पिता ने कहा- बल्ले से दिया सवालों का जवाब

ईशान की दादी अगला मैच स्टेडिय में देखना चाहेंगी, पिता ने कहा- बल्ले से दिया सवालों का जवाब

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ईशान की दादी अगला मैच स्टेडिय में देखना चाहेंगी, पिता ने कहा- बल्ले से दिया सवालों का जवाब

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ईशान के मैच को देखते माता-पिता।

ईशान के मैच को देखते माता-पिता।
– फोटो : अमर उजाला

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वनडे क्रिकेट में सबसे तेज दोहरा शतक जड़ने वाले बिहारी ईशान किशन के परिवार और करीबी लोग ही खुश नहीं हैं, बल्कि पूरे बिहार को इस उपलब्धि पर गर्व है। नवादा में किशन की दादी सावित्री शर्मा ने मोहल्ले में मिठाइयां बांटीं तो पटना में पिता प्रणव पांडेय के पास टीवी पर मैच देखने के लिए पड़ोसियों-रिश्तेदारों के साथ मीडियाकर्मियों का जमावड़ा लग गया। नवादा में किशन की दादी सावित्री शर्मा ने कहा कि ईशान किशन का अगला मैच वह स्टेडियम में जाकर देखेंगी। ईशान को दसवीं कक्षा में घर जाकर पढ़ाने वाले शिक्षक ओम प्रकाश मोबाइल पर ही मैच देखकर खुश हो रहे थे तो ईशान की तरह बनने के लिए ग्राउंड पर पसीना बहा रहे आशीष, राजेश, सुमित, सौरभ, विक्की समेत दर्जनों क्रिकेटरों को भी आगे बढ़ने का रास्ता नजर आने लगा।

बल्लेबाज को सवालों का जवाब बल्ले से ही देना चाहिए
‘अमर उजाला’ ने ईशान किशन के पिता प्रणव पांडेय को बधाई देते हुए पूछा कि यह इंतजार कहीं लंबा तो नहीं हो गया? उन्होंने कहा- “मुझे भी लगता है, लेकिन ईशान ने धैर्य नहीं खोया। हमें इंतजार था, क्योंकि हमने घरेलू क्रिकेट में ईशान की विस्फोटक बल्लेबाजी को देखा है। मेहनत और आत्मविश्वास से सबसे तेज दोहरा शतक का यह रिकॉर्ड अपने नाम किया है।” परफॉर्मेंस पर उठाए जा रहे सवाल पर उन्होंने कहा- “चाहे कितना भी बड़ा खिलाड़ी हो, उसपर सवाल उठता ही है। ऐसे सवाल और दृढ़ होकर खेलने की हिम्मत देते हैं। किसी बल्लेबाज को कभी भी ऐसे सवालों का जवाब मुंह से नहीं, बल्कि बल्ले से देना चाहिए। हम सब खुश हैं कि ईशान ने ऐसा ही किया। ईशान के कोच रहे उत्तम मजूमदार ने ऐसी आलोचनाओं के जवाब में ही कहा था कि कुछ वर्षों में ईशान भारत की सीमित ओवरों की टीम के एक महत्वपूर्ण सदस्य बन सकते हैं।”

एप्रोच में पॉजिटिविटी के कारण यह उपलब्धि
जब से ईशान ने इंटरनेशनल मैच खेलने शुरू किए, उनमें किस तरह का चेंज देख रहे? इस सवाल के जवाब में प्रणव पांडेय ने कहा कि “घरेलू क्रिकेट में अलग तरह का मनोविज्ञान काम करता है और इंटरनेशनल में अलग। आप जितना आगे बढ़ते जाते हैं, प्रेशर उतना ही बढ़ता जाता है। यह परिवर्तन ईशान में भी दिखा। अच्छी बात यह है कि एप्रोच में हमेशा पॉजिटिविटी रही।” उन्होंने बीते हुए समय को याद करते हुए कहा कि ईशान की स्कूली पढ़ाई डीपीएस में हुई थी।पढ़ाई से ज्यादा खेल पर ध्यान रहता था। प्रैक्टिस के अलावा मैच खेलने में व्यस्त देखा और परफॉर्मेंस देखा तो आगे बढ़कर सहयोग किया। आज परिणाम सभी के सामने है। एक समय लगता था कि बिहार में रहना मुश्किल है। ऐसा इसलिए क्योंकि बिहार की ओर से अंडर-16 खेलने के बाद आगे की संभावना नहीं दिख रही थी। बिहार में क्रिकेट संघ की मान्यता नहीं थी तो बिहार छोड़ कर झारखंड जाने का फैसला लेना पड़ा। भाई राज किशन भी क्रिकेट खेला करते थे, लेकिन बाद में उन्होंने छोड़ दिया। अब वह डॉक्टर के रूप में समाज की सेवा कर रहे हैं।

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वनडे क्रिकेट में सबसे तेज दोहरा शतक जड़ने वाले बिहारी ईशान किशन के परिवार और करीबी लोग ही खुश नहीं हैं, बल्कि पूरे बिहार को इस उपलब्धि पर गर्व है। नवादा में किशन की दादी सावित्री शर्मा ने मोहल्ले में मिठाइयां बांटीं तो पटना में पिता प्रणव पांडेय के पास टीवी पर मैच देखने के लिए पड़ोसियों-रिश्तेदारों के साथ मीडियाकर्मियों का जमावड़ा लग गया। नवादा में किशन की दादी सावित्री शर्मा ने कहा कि ईशान किशन का अगला मैच वह स्टेडियम में जाकर देखेंगी। ईशान को दसवीं कक्षा में घर जाकर पढ़ाने वाले शिक्षक ओम प्रकाश मोबाइल पर ही मैच देखकर खुश हो रहे थे तो ईशान की तरह बनने के लिए ग्राउंड पर पसीना बहा रहे आशीष, राजेश, सुमित, सौरभ, विक्की समेत दर्जनों क्रिकेटरों को भी आगे बढ़ने का रास्ता नजर आने लगा।

बल्लेबाज को सवालों का जवाब बल्ले से ही देना चाहिए

‘अमर उजाला’ ने ईशान किशन के पिता प्रणव पांडेय को बधाई देते हुए पूछा कि यह इंतजार कहीं लंबा तो नहीं हो गया? उन्होंने कहा- “मुझे भी लगता है, लेकिन ईशान ने धैर्य नहीं खोया। हमें इंतजार था, क्योंकि हमने घरेलू क्रिकेट में ईशान की विस्फोटक बल्लेबाजी को देखा है। मेहनत और आत्मविश्वास से सबसे तेज दोहरा शतक का यह रिकॉर्ड अपने नाम किया है।” परफॉर्मेंस पर उठाए जा रहे सवाल पर उन्होंने कहा- “चाहे कितना भी बड़ा खिलाड़ी हो, उसपर सवाल उठता ही है। ऐसे सवाल और दृढ़ होकर खेलने की हिम्मत देते हैं। किसी बल्लेबाज को कभी भी ऐसे सवालों का जवाब मुंह से नहीं, बल्कि बल्ले से देना चाहिए। हम सब खुश हैं कि ईशान ने ऐसा ही किया। ईशान के कोच रहे उत्तम मजूमदार ने ऐसी आलोचनाओं के जवाब में ही कहा था कि कुछ वर्षों में ईशान भारत की सीमित ओवरों की टीम के एक महत्वपूर्ण सदस्य बन सकते हैं।”



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