Home Bihar आवारा कुत्तों का ‘शूटआउट’: इंसानियत को शर्मसार करने वाली घटना पर पशु प्रेमियों ने कर दी बड़ी मांग, जानें

आवारा कुत्तों का ‘शूटआउट’: इंसानियत को शर्मसार करने वाली घटना पर पशु प्रेमियों ने कर दी बड़ी मांग, जानें

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आवारा कुत्तों का ‘शूटआउट’: इंसानियत को शर्मसार करने वाली घटना पर पशु प्रेमियों ने कर दी बड़ी मांग, जानें

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बेगूसराय जिले में आवारा कुत्तों के आतंक से आम लोगों को निजात दिलाने के लिए ऐसा कदम उठाया, जिससे पशु प्रेमियों में नाराजगी है। पशु प्रेमियों ने इस कार्रवाई को इंसानियत को शर्मसार करने वाली घटना करार दिया है। साथ ही परेशानियों से निपटने के कई उपाय भी बताए है।

हाइलाइट्स

  • ‘ठंड का मौसम’ कुत्तों का प्रजनन काल, मादा की बढ़ जाती है भूख
  • नसबंदी और हिंसक कुत्ते को झुंड से अलग करने की सलाह
  • आवारा कुत्तों के आतंक से परेशानी के उठाया गया कदम
बेगूसराय: बिहार के बेगूसराय जिले के विभिन्न प्रखंडों में लावारिस खूंखार कुत्तों को मारने का काम जारी है। पटना से वन और पर्यावरण की आखेटक टीम ने दो दर्जन से अधिक आवारा खुंखार कुत्तों को मार गिराया। इस कार्रवाई से देशभर के पशु प्रेमियों में आक्रोश है। प्रशासन की इस कार्रवाई को पशु प्रेमियों ने इंसानियत को शर्मसार करने वाली घटना करार दिया है। पशु प्रेमियों ने इस तरह की कार्रवाई का आदेश देने वाले अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग तक कर डाली है।
झारखंड के जमशेदपुर में कुत्तों और अन्य घरेलू पशुओं की देखरेख में सक्रिय भूमिका निभाने वाली संस्था ‘फाउंडेशन प्रारंभ’ के सदस्य विक्टर बनर्जी ने कहा कि जीवन देने की शक्ति किसी के पास नहीं है, तो जीवन देने का अधिकार भी नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में उन्होंने विभिन्न समाचार माध्यमों में देखा कि बेगूसराय में दर्जनों कुत्तों की बेरहमी से हत्या कर दी गई। यदि इस तरह की कार्रवाई किसी सामान्य व्यक्ति की ओर से की जाती, तो उसे क्राइम बता कर कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी जाती।

ठंड का मौसम कुत्तों का प्रजनन काल, मादा की भूख बढ़ती है

पशु प्रेमी विक्टर बनर्जी का कहना है कि ठंड के मौसम को कुत्तों के लिए प्रजनन काल माना जाता है। इस दौरान कई मादा अनेक बच्चों को जन्म देती है, इस कारण उनकी भूख बढ़ जाती है। इस बात को आम लोगों को भी समझनी चाहिए। सड़क पर घूमने वाले कुत्तों को कैसे भोजन मिल सके, इसके लिए भी सामूहिक प्रयास की जरूरत है।

नसबंदी और हिंसक कुत्ते को झुंड से अलग करने का उपाय

कुत्तों और अन्य पालतू पशुओं की देखरेख के लिए लंबे समय समय तक काम करने के अनुभव को ध्यान में रखते हुए विक्टर ने बताया कि यदि कोई कुत्ता हिंसक हो जाता है, तो उसे झुंड से अलग करने का उपाय करना चाहिए। ये उचित नहीं है कि एक की गलती की सजा सभी को मिले। इसके अलावा यदि आवारा कुत्तों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है, तो नसबंदी और अन्य उपायों से कुत्तों की संख्या को नियंत्रित भी किया जा सकता है।

आवारा कुत्तों के आतंक से परेशानी के उठाया गया कदम

बेगूसरायल में पिछले कुछ दिनों से लोग आवारा कुत्तों के आतंक से परेशान थे। बछवाड़ा और भगवानपुर प्रखंड के विभिन्न गांव में आवारा कुत्तों ने अब तक 35 से अधिक लोगों को काट लिया है, जिसमें छह लोगों की मौत भी हो चुकी है। ग्रामीणों के मुताबिक कुत्ते झुंड बनाकर खासकर महिलाओं को निशाना बना रहे हैं। ग्रामीणों में कुत्तों का दशहत इस कदर हावी हैं कि कई गांव में लोग खेत में जाना छोड़ चुके है। अब जिला प्रशासन ने लोगों को आवारा कुत्तों से निजात दिलाने के लिए वन और पर्यावरण विभाग से संपर्क किया और फिर आखटेक टीम भेजी गई है।

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