Home Bihar आरा में पिता की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए 50 घंटे घर में रखा शव

आरा में पिता की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए 50 घंटे घर में रखा शव

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आरा में पिता की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए 50 घंटे घर में रखा शव

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Ara News: बिहार के भोजपुर जिले में एक शख्स को मौत के लगभग 50 घंटे बाद दफनाया गया। मृतक की अंतिम इच्छा थी कि मौत का बाद उसका भी कब्र पत्नी के बगल में हो। इच्छा के अनुसार, परिवार वालों ने कब्र भी खोद लिया। तब ही जमीन को लेकर विवाद शुरू हो गया।

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हाइलाइट्स

  • 50 घंटे तक पड़ा रहा मृत बुजुर्ग का शव
  • जमीन के अभाव में घर में पड़ा रहा शव
  • मृतक की पत्नी का भी 72 घंटे बाद दफन हुआ था शव
  • घंटों बाद प्रशासन और स्थानीय लोगों की मदद से कराया गया दफन
आरा: भोजपुर जिले के गड़हनी प्रखंड के बड़ौरा गांव में अब्दुल रसीद नामक व्यक्ति की मौत 7 अप्रैल ( शुक्रवार ) को ह गई। मौत के 50 घंटे बाद भी उनका जनाजा नहीं निकला। दो दिनों तक उसका शव घर में पड़ा रहा है। परिजनों ने बताया कि अब्दुल और उनकी दिवंगत पत्नी जैनब बीबी की इच्छा थी कि दोनों की कब्र कब्रिस्तान के बजाय अपनी जमीन पर अगल-बगल हो। अंतिम इच्छा पूरी होने के इंतजार में अब्दुल का शव दो दिनों तक पड़ा रहा। दरअसल, अब्दुल की पत्नी जैनब बीबी की मौत साल 2021 में हुई थी। मौत के पहले जैनब ने परिवार में इच्छा व्यक्त की थी कि पति की मौत के बाद उन्हें मेरे कब्र की बगल में दफनाया जाए। अब्दुल की भी यही इच्छा थी।

पति-पत्नी को अगल-बगल में नसीब हो सका मिट्‌टी

शुक्रवार को अब्दुल की मौत के बाद उनकी कब्र दिवंगत पत्नी की बगल में खोद दी गई। हालांकि अगल-बगल कब्र में दफन होने में बाधा आ गई, और इस इच्छा-पूर्ति के इंतजार में दो दिनों तक शव घर में पड़ा रहा। बताया जा रहा है कि जिस जमीन पर अब्दुल की पत्नी की कब्र है, उसपर उनके पटीदार दावा करते हुए शव को दफन नहीं होने देने के लिए डटे रहे। इधर अब्दुल का परिवार अपनी बात पर अड़ा था। कब्रिस्तान में दफन करने का भी प्रस्ताव आया, पर अब्दुल के परिवार ने खारिज कर दिया। कई दौर की पंचायती, जमीन के कागजात की दिखाई, सीओ और थानेदार के हस्तक्षेप और सरपंच की पहल के बाद भी दो दिन तक निदान नहीं निकला। हालांकि तीसरे दिन सीओ, थानाध्यक्ष और सरपंच के हस्तक्षेप के बाद शव को दफनाया गया।

क्या है पूरा मामला

बताया जा रहा है कि बड़ौरा गांव निवासी अब्दुल की शुक्रवार की रात करीब 8 बजे इंतकाल हो गया। अंतिम इच्छा के मुताबिक उनके परिजन अपने घर के बगल के जमीन में शव को दफनाने जा रहे थे। इसी बीच मृतक का चचेरा भतीजा मोइनुद्दीन और उसकी पत्नी ने शव को दफनाने से रोक दिया। इसके बाद विवाद शुरू हो गया। इसके बाद मृतक के बेटे शोहराब अली और उनकी पत्नी ने जन प्रतिनिधियों के साथ-साथ प्रशासन से गुहार लगाई। हालांकि सभी ने शव को कब्रिस्तान में दफनाने का सलाह दिया। जबकि, मृतक का परिवार वही पर शव को दफनाने के लिए अड़ा रहा।

सीओ ने सुनाया आखिरी फैसला

दोनों पक्षों के अड़ने से अब्दुल का जनाजा नहीं निकला। विवाद बढ़ रहा था, तीसरे दिन तक शव घर में पड़ा था। तब सीओ उदयकांत चौधरी और थानाध्यक्ष राजीव रंजन कुमार बड़ौरा पहुंचे। दोनों पक्षों को आमने-सामने बैठाए। स्थानीय लोगों को भी बुलाया। इसके बाद मृतक अब्दुल के पुत्र शोहराब अली ने जमीन का रजिस्ट्री का कागज दिखाया। जिसके अनुसार जमीन मृतक की पत्नी जैनब बीबी के नाम से करीब 25 वर्ष पहले ही पति ने रजिस्ट्री किया था। दूसरा पक्ष के मैनुदीन ने कहा कि अब्दुल का परिवार अपने शेयर का जमीन बेच चुका है। इस जमीन पर हमलोग कई वर्षो से दावा का केस लड़ रहे हैं। दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद सीओ ने फैसला सुनाया कि शव को वही पर दफनाया जाए। इसके बाद उसी जगह अब्दुल के शव को दफनाया गया।

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