Home Bihar अविभाजित बिहार में आदिवासी कल्याण मंत्री रहे यदुनाथ बास्के का घाटशिला में निधन

अविभाजित बिहार में आदिवासी कल्याण मंत्री रहे यदुनाथ बास्के का घाटशिला में निधन

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अविभाजित बिहार में आदिवासी कल्याण मंत्री रहे यदुनाथ बास्के का घाटशिला में निधन

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जमशेदपुर. पूर्वी सिंहभूम मुसाबनी के पूर्व मंत्री सह घाटशिला के पूर्व विधायक यदुनाथ बास्के (97) का बुधवार को निधन हो गया. वे घाटशिला के स्वर्ण रेखा नर्सिंग होम में भर्ती थे. इनके निधन से अविभाजित बिहार की राजनीति के एक युग का अंत हो गया. यदुनाथ बास्के के निधन पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन ने गहरा शोक व्यक्त किया है. बीते 26 मई को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने नर्सिंग होम में पहुंचकर उनसे भेंट की थी.

यदुनाथ बास्के वर्ष 1968 से 1971 तक घाटशिला के विधायक रहे थे. अविभाजित बिहार में कर्पूरी ठाकुर के मुख्यमंत्री काल में वे 40 दिनों तक आदिवासी कल्याण मंत्री रह चुके हैं. उन्होंने कोल्हान में शिबू सोरेन के साथ झारखंड मुक्ति मोर्चा के गठन और अलग झारखंड राज्य के लिए चले आंदोलन में बेहद सक्रिय रहे थे. वे अपने पीछे 6 पुत्रों सहित भरा-पूरा परिवार छोड़ गए हैं. गुरुवार को पूरे राजकीय सम्मान के साथ यदुनाथ बास्के का अंतिम संस्कार होगा.

पूर्व मंत्री यदुनाथ बास्के का जन्म 7 जनवरी 1928 को मुसाबनी के रागांमटिया में एक गरीब किसान परिवार में हुआ था. 1969 में वे ऐनी होरो के झारखंड पार्टी के समर्थन से निर्दलीय चुनाव लड़ें. उन्हें सूरज छाप मिला और फिर अविभाजित बिहार की झारखंडी राजनीति में उनका उदय हुआ. उन्होंने सीपीआई के बास्को बेसरा को हराकर चुनाव जीता था. 1969 से 1972 तक वे घाटशिला के विधायक रहे.

उनकी काबिलियत और लोकप्रियता के कारण उन्हें कर्पूरी ठाकुर ने उन्हें आदिवासी कल्याण मंत्री भी बनाया. वे इस पद पर 40 दिनों तक रहे. फिर रहे 3 साल बाद हुए 1973 के विधानसभा चुनाव में वे सीपीआई के उम्मीदवार बास्को बेसरा से चुनाव हार गए. यदुनाथ बास्के को हराने के लिए वामपंथ और जनसंघ (जो वर्तमान में भाजपा है) का अनोखा गठबंधन हुआ था. चुनाव हारने के बाद भी अलग झारखंड राज्य के आंदोलन और झारखंड मुक्ति मोर्चा के गठन में भी यदुनाथ बास्के की भूमिका अहम रही.

1980 में धनबाद में झामुमो का गठन होने के बाद शिबू सोरेन ने पार्टी का सचिव बनकर कोल्हान में पार्टी का गठन करने का मन बनाया तो मुसाबनी पहुंचे और यदुनाथ बास्के से संपर्क कर कोल्हान में मुसाबनी से ही झामुमो की नींव रखी और फिर अलग झारखंड राज्य आंदोलन को भी उनकी अगुआई में कोल्हान में एक नई धार मिली. यदुनाथ बास्के के इन सब योगदान की वजह से ही अविभाजित बिहार में वर्ष 1998 में बने झारखंड स्वायत्य परिषद के गठन पर उनके द्वारा ही शपथ ग्रहण भी कराया गया था.

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